सुलतानपुरः ग्राम प्रधानों के कंधों पर पर ग्राम्य विकास का जिम्मा होता है. जब वही कर्तव्यविमूढ़ हो जाएं, तो ग्राम विकास की रफ्तार का क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा. कुछ ऐसा ही सुलतानपुर की ग्राम पंचायतों के साथ हुआ. 92 ग्राम पंचायतों को परफॉर्मेंस ग्रांट आनी थी, लेकिन प्रधानों की तरफ से प्रत्येक वर्ष की ऑडिट नहीं कराए जाने की वजह से परफॉर्मेंस ग्रांट के लिए एक भी ग्राम पंचायत का चयन नहीं हो सका. ऐसे में शासन से भेजी गई इमदाद का कोई लाभ जिले को नहीं मिल पाया.
मामला विकास विभाग की तरफ से आने वाले परफॉर्मेंस ग्रांट से जुड़ा हुआ है. सरकार की तरफ से 90 फीसदी धनराशि उन ग्राम में विकास के लिए भेजी जाती है, जो ग्राम पंचायतें बेहतर रोजगार के अवसर और कमाऊ ग्राम पंचायतें बनती हैं. कुल धनराशि में 10% का परफॉर्मेंस ग्रांट का हिस्सा होता है, लेकिन सुलतानपुर में प्रधानों की लापरवाही से एक भी ग्राम पंचायत को परफॉर्मेंस ग्रांट नहीं मिल सका.
जिलाधिकारी इंदुमती ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति मिलने के बाद इसके लिए आवेदन की कार्यवाही शुरू की गई. इसमें 92 ग्राम पंचायतों ने आवेदन किया था. पात्रता के आधार पर पात्र ग्राम पंचायतों को चयन करने की प्रक्रिया शुरू की. 2016-17 में मेरी अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर मुझे रिपोर्ट दी गई. परफॉर्मेंस ग्रांट में काफी शिकायतें आ रही थीं.
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जिलाधिकारी ने बताया कि 92 ग्राम पंचायतों में से एक भी ग्राम पंचायत परफॉर्मेंस ग्रांट के लिए पात्र घोषित नहीं की जा सकी. इसके लिए एक अनिवार्य शर्त शासन स्तर से तय की गई थी कि हर साल ऑडिट कराना है. इनकम रिटर्न को देखते हुए अमूमन प्रधान 2 साल में एक बार ऑडिट कराते हैं. मानक के सापेक्ष प्रत्येक वर्ष ऑडिट नहीं होने से एक भी ग्राम पंचायत उत्तीर्ण नहीं हो सकी.