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लॉकडाउन की मार और कुम्हारों का दर्द

कुम्हार रोजी रोटी चलाने के लिए कुल्हड़, घड़ा के अलावा मिट्टी के बर्तन तैयार करते हैं. होटल रेस्टोरेंट में बनने वाले मिट्टी के सांचे तैयार करते हैं. लेकिन, महामारी में कारोबार चौपट हो गया है. ऐसे में कुम्हारों का परिवार आर्थिक तंगी से दो-चार हो रहा है.

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सुलतानपुर
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Published : May 25, 2021, 10:24 PM IST

सुलतानपुर : शहर में गभड़िया और कुम्हार टोला में बड़े पैमाने पर मिट्टी के कारीगर हैं. मिट्टी तैयार करते हैं. चाक पर चढ़ाते हैं और खिलौने और मिट्टी के बर्तन बनाते हैं. इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है. कहने को तो इलेक्ट्रॉनिक चाक इन्हें कागजों में मुहैया करा दिया गया है लेकिन, असल तस्वीर में यह आज भी पारंपरिक चाक के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

कुम्हारों ने बताई अपनी पीड़ा

मिट्टी की कारीगर शांति देवी कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित है. मिट्टी के जो बर्तन बनाए हैं, वह दो महीनों से बिके नहीं हैं. वहीं कुम्हार बाबूराम कहते हैं कि इन परिस्थितियों में कहां से खाएंगे और कहां से बच्चों को खिलाएंगे. मिट्टी के जो बर्तन बनाकर बेच चुके हैं, उनके पैसे भी नहीं मिले हैं. पूरा परिवार बहुत परेशानी का सामना कर रहा है. वहीं अमित प्रजापति बताते हैं कि शादी-ब्याह के लिए बड़े बर्तन बनते हैं. उससे थोड़ी अच्छी कमाई हो जाती थी. लेकिन, फिलहाल सारा धंधा ठप पड़ा है. इस समय हालत काफी खराब है.

मुख्य विकास अधिकारी ने दी जानकारी

इस बारे में बात करने पर मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स कहते हैं कि श्रमिक और मिट्टी के कारीगर लॉकडाउन की वजह से आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं. इनका चिन्हीकरण किया जा रहा है. इनके पुनर्वास और आर्थिक मदद के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है.

इसे भी पढ़ें - 100 बेड का अस्पताल बनाने के लिए मेनका गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र

सुलतानपुर : शहर में गभड़िया और कुम्हार टोला में बड़े पैमाने पर मिट्टी के कारीगर हैं. मिट्टी तैयार करते हैं. चाक पर चढ़ाते हैं और खिलौने और मिट्टी के बर्तन बनाते हैं. इसी से इनकी रोजी रोटी चलती है. कहने को तो इलेक्ट्रॉनिक चाक इन्हें कागजों में मुहैया करा दिया गया है लेकिन, असल तस्वीर में यह आज भी पारंपरिक चाक के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

कुम्हारों ने बताई अपनी पीड़ा

मिट्टी की कारीगर शांति देवी कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से बिक्री प्रभावित है. मिट्टी के जो बर्तन बनाए हैं, वह दो महीनों से बिके नहीं हैं. वहीं कुम्हार बाबूराम कहते हैं कि इन परिस्थितियों में कहां से खाएंगे और कहां से बच्चों को खिलाएंगे. मिट्टी के जो बर्तन बनाकर बेच चुके हैं, उनके पैसे भी नहीं मिले हैं. पूरा परिवार बहुत परेशानी का सामना कर रहा है. वहीं अमित प्रजापति बताते हैं कि शादी-ब्याह के लिए बड़े बर्तन बनते हैं. उससे थोड़ी अच्छी कमाई हो जाती थी. लेकिन, फिलहाल सारा धंधा ठप पड़ा है. इस समय हालत काफी खराब है.

मुख्य विकास अधिकारी ने दी जानकारी

इस बारे में बात करने पर मुख्य विकास अधिकारी अतुल वत्स कहते हैं कि श्रमिक और मिट्टी के कारीगर लॉकडाउन की वजह से आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं. इनका चिन्हीकरण किया जा रहा है. इनके पुनर्वास और आर्थिक मदद के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है.

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