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तहसील और थाना समाधान दिवस में फरियादी खा रहे ठोकर, नहीं हो रही सुनवाई

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में अधिकारियों की लापरवाही के चलते फरियादी दर दर की ठोकर खा रहे हैं. पीड़ितों की सुनवाई नहीं हो रही हैं. ऐसे में तहसील और थाना समाधान दिवस की मंशा साकार नहीं हो पा रही है.

तहसील और थाना समाधान दिवस में ठोकरें खा रहे फरियादी
तहसील और थाना समाधान दिवस में ठोकरें खा रहे फरियादी
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Published : Mar 14, 2021, 7:47 AM IST

सुलतानपुर: जिले में भूमि और संपत्ति की सुरक्षा में नागरिक नाकामयाब होते जा रहे हैं. संवैधानिक अधिकार भले ही तमाम प्रकार से नागरिकों को दिए गए हो, लेकिन शासन प्रशासन की सुस्ती से भू-माफियाओं की चुस्ती बढ़ गई है. जगह-जगह अवैध कब्जे से कब्जेधारियों ने नागरिकों को हलकान कर रखा है. महीनों दौड़ और दर-दर की ठोकरें खाने के बावजूद नागरिकों को न्याय नहीं मिल रहा है. ऐसे में तहसील और थाना समाधान दिवस की मंशा साकार नहीं हो पा रही है.

तहसील और थाना समाधान दिवस पर फरियादी परेशान
लंबी अदालती कार्रवाई से फरियादी निराश
राजस्व अफसरों के जनता दर्शन से मायूस फरियादी पुलिस स्टेशनों पर उम्मीद के साथ पहुंच रहे हैं. लेकिन भूमि विवाद मामलों में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होने से दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है. पुलिस आंकड़ों में इनकी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. वहीं न्यायालय में लंबी तारीख और पीढ़ियों के बाद न्याय मिलने की चर्चा ने पीड़ितों को अदालती कार्रवाई से निराश कर रखा है.
पीड़ित बोले नहीं मिल रहा कहीं न्याय



कूरेभार ब्लॉक के निद्दूरा गांव निवासी राजतिलक वर्मा ने बताया कि कि डेढ़ माह से दौड़ रहे हैं. पुलिस आए दिन उत्पीड़न करती है. हमें न्याय नहीं मिलता है. उनकी पत्नी माना देवी का कहना है कि थाने पर न्याय मांगने गए तो पति को बैठा लिया. मुझे कोई न्याय कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.

कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के उसरी गांव निवासी जितेंद्र सिंह कहते हैं कि उनकी भूमि धरी जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. आए दिन शिकायत कर कर उत्पीड़न किया जा रहा है. सुनवाई के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. न्याय नहीं मिल रहा है. तुलसी सत्संग भवन के नाम से पट्टा मिला था. बिल्डरों ने ढांचे को ढहा दिया है. अफसरों के पास गुजारिश की पर न्याय नहीं मिल पा रहा है.

अतिचारियों पर अफसर करें कारवाई


जिलाधिकारी ने बताया कि अमूमन यह देखने में आता है कि पुलिस 107 /16 की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेती है. जिस पर उप जिलाधिकारियों को सतर्क किया गया है कि आप निर्णय करिए कि कौन अतिचारी है. उस पर निरोधात्मक कार्रवाई कीजिए.


आपसी समझौते से कराते विवाद का निस्तारण

एसपी डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि भूमि विवाद दो प्रकार के हैं. जमीन से संबंधित और आबादी से संबंधित. जमीन विवाद का निस्तारण राजस्व विभाग करता है. आबादी का निस्तारण सिविल न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है. पुलिस और प्रशासन आपसी समझौते के आधार पर विवादों का समाधान कराता है. शासन की तरफ से तहसील और थाना समाधान दिवस नियुक्त किए गए हैं, जहां टीम का गठन कर विवादों का निस्तारण कराया जाता है.

आंकड़ों की जुबानी

तहसील समाधान दिवस में 200 से अधिक प्रार्थना पत्र दर्ज किए जा रहे हैं. वहीं थाना समाधान दिवस का आंकड़ा 50 पार कर रहा है. जनता दर्शन की तस्वीरों को देखें तो रोजाना 60 से 70 मामले जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पंजीकृत किए जा रहे हैं. आईजीआरएस इन मामलों पर खानापूर्ति रिपोर्ट लगने से फरियादियों को धरातल पर इन दिवस का लाभ नहीं मिल पा रहा है. डिफाल्टर प्रार्थना पत्रों पर खानापूर्ति रिपोर्ट लगाकर जिम्मेदार अपना पीछा छुड़ा रहे हैं.

नहीं मिल रहा अफसरों से न्याय

सिविल न्यायालय सुलतानपुर के अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ला ने बताया कि किसी को भी अनाधिकृत अतिक्रमण जमीन कब्जा करने का अधिकार नहीं है. फरियादी जब अधिकारियों के पास जाता है तो खसरा और खतौनी मांगते हैं. टीम गठित करने का आश्वासन दिया जाता है. इसी बीच फरियादी हैरान और परेशान हो जाता है और उसे न्याय नहीं मिल पाता है.

सुलतानपुर: जिले में भूमि और संपत्ति की सुरक्षा में नागरिक नाकामयाब होते जा रहे हैं. संवैधानिक अधिकार भले ही तमाम प्रकार से नागरिकों को दिए गए हो, लेकिन शासन प्रशासन की सुस्ती से भू-माफियाओं की चुस्ती बढ़ गई है. जगह-जगह अवैध कब्जे से कब्जेधारियों ने नागरिकों को हलकान कर रखा है. महीनों दौड़ और दर-दर की ठोकरें खाने के बावजूद नागरिकों को न्याय नहीं मिल रहा है. ऐसे में तहसील और थाना समाधान दिवस की मंशा साकार नहीं हो पा रही है.

तहसील और थाना समाधान दिवस पर फरियादी परेशान
लंबी अदालती कार्रवाई से फरियादी निराश
राजस्व अफसरों के जनता दर्शन से मायूस फरियादी पुलिस स्टेशनों पर उम्मीद के साथ पहुंच रहे हैं. लेकिन भूमि विवाद मामलों में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होने से दर-दर की ठोकरें खाना पड़ रहा है. पुलिस आंकड़ों में इनकी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. वहीं न्यायालय में लंबी तारीख और पीढ़ियों के बाद न्याय मिलने की चर्चा ने पीड़ितों को अदालती कार्रवाई से निराश कर रखा है.
पीड़ित बोले नहीं मिल रहा कहीं न्याय



कूरेभार ब्लॉक के निद्दूरा गांव निवासी राजतिलक वर्मा ने बताया कि कि डेढ़ माह से दौड़ रहे हैं. पुलिस आए दिन उत्पीड़न करती है. हमें न्याय नहीं मिलता है. उनकी पत्नी माना देवी का कहना है कि थाने पर न्याय मांगने गए तो पति को बैठा लिया. मुझे कोई न्याय कहीं से भी नहीं मिल पा रहा है.

कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के उसरी गांव निवासी जितेंद्र सिंह कहते हैं कि उनकी भूमि धरी जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. आए दिन शिकायत कर कर उत्पीड़न किया जा रहा है. सुनवाई के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. न्याय नहीं मिल रहा है. तुलसी सत्संग भवन के नाम से पट्टा मिला था. बिल्डरों ने ढांचे को ढहा दिया है. अफसरों के पास गुजारिश की पर न्याय नहीं मिल पा रहा है.

अतिचारियों पर अफसर करें कारवाई


जिलाधिकारी ने बताया कि अमूमन यह देखने में आता है कि पुलिस 107 /16 की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेती है. जिस पर उप जिलाधिकारियों को सतर्क किया गया है कि आप निर्णय करिए कि कौन अतिचारी है. उस पर निरोधात्मक कार्रवाई कीजिए.


आपसी समझौते से कराते विवाद का निस्तारण

एसपी डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि भूमि विवाद दो प्रकार के हैं. जमीन से संबंधित और आबादी से संबंधित. जमीन विवाद का निस्तारण राजस्व विभाग करता है. आबादी का निस्तारण सिविल न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है. पुलिस और प्रशासन आपसी समझौते के आधार पर विवादों का समाधान कराता है. शासन की तरफ से तहसील और थाना समाधान दिवस नियुक्त किए गए हैं, जहां टीम का गठन कर विवादों का निस्तारण कराया जाता है.

आंकड़ों की जुबानी

तहसील समाधान दिवस में 200 से अधिक प्रार्थना पत्र दर्ज किए जा रहे हैं. वहीं थाना समाधान दिवस का आंकड़ा 50 पार कर रहा है. जनता दर्शन की तस्वीरों को देखें तो रोजाना 60 से 70 मामले जिलाधिकारी कार्यालय और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पंजीकृत किए जा रहे हैं. आईजीआरएस इन मामलों पर खानापूर्ति रिपोर्ट लगने से फरियादियों को धरातल पर इन दिवस का लाभ नहीं मिल पा रहा है. डिफाल्टर प्रार्थना पत्रों पर खानापूर्ति रिपोर्ट लगाकर जिम्मेदार अपना पीछा छुड़ा रहे हैं.

नहीं मिल रहा अफसरों से न्याय

सिविल न्यायालय सुलतानपुर के अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ला ने बताया कि किसी को भी अनाधिकृत अतिक्रमण जमीन कब्जा करने का अधिकार नहीं है. फरियादी जब अधिकारियों के पास जाता है तो खसरा और खतौनी मांगते हैं. टीम गठित करने का आश्वासन दिया जाता है. इसी बीच फरियादी हैरान और परेशान हो जाता है और उसे न्याय नहीं मिल पाता है.

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