सुलतानपुरः पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी (MP Maneka Gandhi) बुधवार को शिक्षक की भूमिका में नजर आईं. सुलतानपुर दौरे के अंतिम दिन उन्होंने प्राथमिक स्कूल और जिला अस्पताल का निरीक्षण किया है. प्राथमिक स्कूल में नन्हे-मुन्ने बच्चों की दक्षता का परीक्षण किया. प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की तरफ से कोई जवाब नहीं देने पर सांसद बेहद खिन्न नजर आईं. उन्होंने कहा कि यहां के बच्चों को कुछ नहीं आता है, पता नहीं शिक्षक क्या पढ़ाते हैं. यहां तो भोजन में भी भ्रष्टाचार है.
सांसद मेनका गांधी (MP Maneka Gandhi) दौरे के अंतिम दिन कैंप कार्यालय में आयोजित जनता दर्शन में बड़ी संख्या में फरियादियों की समस्याओं का निस्तारण किया. इसके बाद लंभुआ विधानसभा क्षेत्र के दादरी, विकवाजितपुर, मझलेगांव समेत 6 से अधिक ग्राम पंचायतों में जन चौपाल के माध्यम से जन समस्याओं का निस्तारण किया. मेनका गांधी ने भदैया ब्लॉक के मझले गांव प्राथमिक विद्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने विद्यालय में बच्चों की पाठशाला भी लगाई, जिसमें गांधी ने अंग्रेजी व गणित विषय की गहन जानकारी बच्चों कौन नहीं होने की बात सामने आई.
प्राथमिक विद्यालय के निरीक्षण के दौरान गांधी ने बताया कि परिषदीय स्कूलों की बेहतरी के लिए सरकार बड़ा बजट दे रही है, लेकिन स्कूलों से अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहा है, जो चिंताजनक है. उन्होंने बताया कि निरीक्षण में शैक्षिक स्तर एवं मिड-डे मील में व्यापक स्तर पर लापरवाही मिली है.
इसके बाद सांसद मेनका गांधी ने सुल्तानपुर जिला अस्पताल में स्थापित डेंगू वार्ड का भी निरीक्षण किया. इस अवसर पर पूर्व मंत्री व स्थानीय भाजपा विधायक विनोद कुमार सिंह भी मौजूद थे. डेंगू वार्ड में भर्ती मरीजों के बेहतर इलाज के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिए हैं. जिला अस्पताल में डेंगू वार्ड के निरीक्षण के दौरान गांधी ने कहा कि चिकित्सीय व्यवस्था से तो वह संतुष्ट हैं लेकिन बाहर की दवाई लिखना एवं प्राइवेट पैथोलॉजी में जांच कराने के मामले को वह बर्दाश्त नहीं कर सकती, उन्होंने पूरी चिकित्सीय टीम को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह की गलती न की जाए, जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी को पूरा करने का भी गांधी ने आश्वासन दिया है.
सांसद मेनका गांधी ने मीडियो से बातचीत करते हुए बताया कि 'हमने प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया. यहां पर 64 बच्चे शिक्षा रखते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों का भोजन नहीं बना है. विद्यालय भी अस्त-व्यस्त और टूटा फूटा है, प्रिंसिपल ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया है. यहां पर इन बच्चों को विज्ञान, गणित समेत अन्य विषय की मूलभूत जानकारियां भी नहीं है. इनको कुछ भी जानकारी नहीं है. यहां के शिक्षक पता नहीं क्या सिखाते हैं'.
पढ़ेंः BHU में गरमाया फीस वृद्धि का मुद्दा, ABVP के छात्रों ने बंद किया गेट