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सुलतानपुर: कुम्हारी कला को लगे तकनीक के पंख, कम समय में होगा अधिक उत्पादन

मिट्टी के बर्तन बनाना भारत की प्राचीन कला रही है. सरकार का खादी और ग्रामोद्योग संगठन (केवीआईसी) कुम्हार सशक्तिकरण योजना लेकर आया है. इस योजना के अन्तर्गत सरकार कुम्हारों को मुफ्त में मिट्टी के बर्तन बनाने वाली मशीन का वितरण कर रही है, जिससे कम समय में अधिक उत्पादन हो सके.

मशीन से बनाए जाएंगे मिट्टी के बर्तन.
मशीन से बनाए जाएंगे मिट्टी के बर्तन.
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Published : Feb 15, 2020, 5:01 PM IST

सुलतानपुर: हाथ से पहिया घुमाकर मिट्टी के बर्तन तैयार करने की व्यवस्था अब बस कुछ ही दिनों की बात होगी. सरकार ने तकनीक को पंख लगा दिए हैं. कुम्हारों को ऐसी मशीन दी जा रही है, जिससे चंद मिनटों में 12 से अधिक कुल्हड़ तैयार किए जा सकेंगे. इस मशीन की कीमत 20,000 रुपये बताई जा रही है, जो कुम्हारों को मुफ्त में दिया जाएगा.

मशीन से बनाए जाएंगे मिट्टी के बर्तन.


कम समय में अधिक उत्पादन
कुम्हारीकला स्वरोजगार का सशक्त माध्यम है. इसके जरिए बड़ी संख्या में ऐसे परिवार रोजगार प्राप्त करते हैं, जो कुल्हड़ समेत मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाते हैं. कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए पहिया घुमाना पड़ता था, जिससे अधिक श्रम लगता था और उत्पादन कम होता था. कम समय में अधिक उत्पादन करने की मंशा से सरकार ने वैज्ञानिकों की मदद से एक ऐसी मशीन इजाद की है, जो चंद सेकेंड में कुम्हार के चाक को घुमा देगी.


कुम्हारों को मुफ्त में दी गई मशीन
सरकार की तरफ से मिली मशीन का प्रदर्शन करने आए कटका खानपुर निवासी राम प्रकाश प्रजापति कहते हैं कि इससे काफी सहूलियत मिल रही है. पहले हाथ से चॉक चलाया जाता था लेकिन अब सरकार की मदद से बिजली से चल रहा है. इससे मेहनत कम लगती है और काम ज्यादा होता है. इससे उत्पादन बढ़ने के साथ बर्तनों की सुंदरता भी बढ़ जाती है. इस मशीन को सरकार की तरफ से मुफ्त में दिया गया है.

इसे भी पढ़ें:- किसानों की टेंशन: खतौनी में नाम की दर्जगी ने धान के भुगतान पर लगाया बैरियर

सुलतानपुर: हाथ से पहिया घुमाकर मिट्टी के बर्तन तैयार करने की व्यवस्था अब बस कुछ ही दिनों की बात होगी. सरकार ने तकनीक को पंख लगा दिए हैं. कुम्हारों को ऐसी मशीन दी जा रही है, जिससे चंद मिनटों में 12 से अधिक कुल्हड़ तैयार किए जा सकेंगे. इस मशीन की कीमत 20,000 रुपये बताई जा रही है, जो कुम्हारों को मुफ्त में दिया जाएगा.

मशीन से बनाए जाएंगे मिट्टी के बर्तन.


कम समय में अधिक उत्पादन
कुम्हारीकला स्वरोजगार का सशक्त माध्यम है. इसके जरिए बड़ी संख्या में ऐसे परिवार रोजगार प्राप्त करते हैं, जो कुल्हड़ समेत मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाते हैं. कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए पहिया घुमाना पड़ता था, जिससे अधिक श्रम लगता था और उत्पादन कम होता था. कम समय में अधिक उत्पादन करने की मंशा से सरकार ने वैज्ञानिकों की मदद से एक ऐसी मशीन इजाद की है, जो चंद सेकेंड में कुम्हार के चाक को घुमा देगी.


कुम्हारों को मुफ्त में दी गई मशीन
सरकार की तरफ से मिली मशीन का प्रदर्शन करने आए कटका खानपुर निवासी राम प्रकाश प्रजापति कहते हैं कि इससे काफी सहूलियत मिल रही है. पहले हाथ से चॉक चलाया जाता था लेकिन अब सरकार की मदद से बिजली से चल रहा है. इससे मेहनत कम लगती है और काम ज्यादा होता है. इससे उत्पादन बढ़ने के साथ बर्तनों की सुंदरता भी बढ़ जाती है. इस मशीन को सरकार की तरफ से मुफ्त में दिया गया है.

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