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किसान के बेटे ने दूसरे ही प्रयास में UPSC में हासिल की सफलता, जानिए क्या है सफलता का मंत्र - यूपीएससी की खबरें

सुलतानपुर में किसान के बेटे ने दूसरे ही प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल कर जिले का नाम रोशन कर दिया है.

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Published : May 24, 2023, 3:57 PM IST

सुलतानपुरः जिले के शुभम मिश्र आईएएस बन गए हैं. वह एक किसान के बेटे हैं. UPSC (सिविल सेवा) की परीक्षा में उन्होंने 688वीं रैंक हासिल की है. उनकी इस सफलता से परिवार और जिले में खुशी की लहर है. दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने तीन साल बिना कोचिंग के ये सफलता हासिल की है.

पिता यादवेंद्र मिश्र ने बताया कि शुभम ने प्राथमिक शिक्षा गांव के विद्यालय से की है. साल 2013 में दसवीं की परीक्षा BD सरस्वती विद्या मंदिर नोएडा से उत्तीर्ण की. 2015 में बारहवीं की परीक्षा DAV एकेडमी टांडा, अंबेडकर नगर से पास किया. उनको 88% अंक मिले थे. फिर उन्होंने आईआईटी दिल्ली से वर्ष 2020 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. बीटेक करने के बाद जॉब प्लेसमेंट न लेकर वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गया. वह रोज छह से आठ घंटे तक लगातार पढ़ाई करता था. उसने अपने लक्ष्य़ के लिए दिन रात एक कर दिया. उसी कड़ी मेहनत का परिणाम सफलता के रूप में सामने आया है.

शुभम की सफलता से घर में खुशी का माहौल है. शुभम के आईएएस बनने पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. शुभम ने अपने बड़े भाई प्रशांत मिश्रा के साथ दिल्ली में रहकर आईआईटी की शिक्षा प्राप्त की थी. उनकी माता संगम मिश्रा गृहिणी हैं. चाचा धर्मेंद्र उर्फ गुल्लू मिश्र अनाज का व्यवसाय करते हैं. उनके बाबा श्याम लाल मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने संयुक्त परिवार, माता-पिता, चाचा और भाई को दिया है.

सुलतानपुरः जिले के शुभम मिश्र आईएएस बन गए हैं. वह एक किसान के बेटे हैं. UPSC (सिविल सेवा) की परीक्षा में उन्होंने 688वीं रैंक हासिल की है. उनकी इस सफलता से परिवार और जिले में खुशी की लहर है. दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने तीन साल बिना कोचिंग के ये सफलता हासिल की है.

पिता यादवेंद्र मिश्र ने बताया कि शुभम ने प्राथमिक शिक्षा गांव के विद्यालय से की है. साल 2013 में दसवीं की परीक्षा BD सरस्वती विद्या मंदिर नोएडा से उत्तीर्ण की. 2015 में बारहवीं की परीक्षा DAV एकेडमी टांडा, अंबेडकर नगर से पास किया. उनको 88% अंक मिले थे. फिर उन्होंने आईआईटी दिल्ली से वर्ष 2020 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. बीटेक करने के बाद जॉब प्लेसमेंट न लेकर वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गया. वह रोज छह से आठ घंटे तक लगातार पढ़ाई करता था. उसने अपने लक्ष्य़ के लिए दिन रात एक कर दिया. उसी कड़ी मेहनत का परिणाम सफलता के रूप में सामने आया है.

शुभम की सफलता से घर में खुशी का माहौल है. शुभम के आईएएस बनने पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. शुभम ने अपने बड़े भाई प्रशांत मिश्रा के साथ दिल्ली में रहकर आईआईटी की शिक्षा प्राप्त की थी. उनकी माता संगम मिश्रा गृहिणी हैं. चाचा धर्मेंद्र उर्फ गुल्लू मिश्र अनाज का व्यवसाय करते हैं. उनके बाबा श्याम लाल मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने संयुक्त परिवार, माता-पिता, चाचा और भाई को दिया है.

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