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महाकुंभ 2025 ; इस बार मौनी अमावस्या का स्नान क्यों है सबसे खास, यहां जानिए - MAUNI AMAVASYA FESTIVAL

29 जनवरी को पड़ने वाला महत्वपूर्ण स्नान पर्व है फलदायी, कल्पवास का भी अहम स्थान

इस बार महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान बेहद खास है.
इस बार महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान बेहद खास है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 19 hours ago

वाराणसी: महाकुंभ शुरू होने जा रहा है. 13 जनवरी से 28 फरवरी तक पड़ने वाले अलग-अलग स्नान और शाही स्नान पर्व हर राशि, हर नक्षत्र के जातकों के लिए खास हैं. मान्यता है कि इन स्नान पर्वों पर त्रिवेणी में डुबकी पापों से मुक्ति दिलाती है, लेकिन 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर बन रहा अद्भुत संयोग बेहद खास है. क्यों महत्वपूर्ण है यह स्नान पर्व और कौन से ग्रह-नक्षत्र का मेल इस दिन को बना रहा विशेष रूप से फलदायी, आइए जानिए.

इस बार महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान बेहद खास है. (Video Credit; ETV Bharat)

आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला पर्व: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित विनय कुमार पांडेय ग्रहों के बदलाव के अनुसार स्नान की महत्ता के बारे में बताते हैं. कहते हैं, सबसे पहले समझिए कि कुंभ पर्व है या सनातन धर्म लंबियों के लिए आस्था का महापर्व? कहते हैं, इसमें आध्यात्मिक विषय का समावेश होता है. आस्था के इस महापर्व में चाहे जिस राशि या जिस नक्षत्र में उत्पन्न हुए जातक हों, हर किसी के लिए यह आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला पर्व है. हमारे यहां बताया गया है कि जो चार स्थान हैं, उनमें विभिन्न राशियों में सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति के आने पर कुंभ का आयोजन किया जाता है. ऐसे में यह महासंयोग बनता है.

स्नान का यह दिन क्यों खास : बताया कि प्रयाग में इस बार महाकुंभ का संयोग बना रहा है. इसका पारंपरिक और पौराणिक आधार यह है कि जब भगवान बृहस्पति की स्थिति वृषभ राशि में, सूर्य मकर राशि में और चंद्रमा भी मकर राशि में जाए तो वह कुंभ का प्रमुख पर्व है. यह किस दिन होगा यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है. यह अद्भुत संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को पड़ रहा है. यह पूर्ण संयोग वाला काल है. बताया कि वैसे तो गुरु और सूर्य का राशि परिवर्तन कुम्भ कराता है लेकिन 29 जनवरी को चंद्रमा का भी मकर राशि में आना महाकुंभ का योग बना रहा है. जिसके कारण इस दिन स्नान करना और भी महत्वपूर्ण होगा.

कल्पवास की महत्ता: इसके अतिरिक्त प्रयाग में कल्पवास का भी विशेष महत्व होता है. कोई 12 वर्ष वाला या अर्द्ध कुंभ वाला संयोग हो या ना हो, प्रयाग क्षेत्र में हमेशा ही माघ महीने में कल्पवास करने का वर्णन शास्त्रों में लिखा गया है. इससे ज्यादा फलदायी कोई भी महापर्व नहीं है. कल्पवास का आरंभ पूर्ण माघ महीने तक रहता है. कल्पवास का आरंभ माघ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. 13 जनवरी से ही इसकी शुरुआत हो जाएगी और इस दिन कल्पवासी यहां साधू संन्यासियों के साथ पूरे एक महीने तक का संकल्प लेंगे.

इन राशि के जातकों के लिए फलदायी है संगम में डुबकी: ज्योतिषाचार्य का कहना है कि वैसे तो महाकुंभ का पर्व हर राशि के लिए अति उत्तम है, लेकिन इस दौरान मकर, कुंभ, मेष, वृषभ, मीन राशि वालों को विशेष तौर पर कुंभ के मौके पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना चाहिए. क्योंकि इन राशियों पर ग्रहों के 2025 में हो रहे बदलाव का असर दिखाई देगा. जिसका प्रभाव कुंभ स्नान से पुण्य फल के रूप में प्राप्त होगा.

महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्व

  • 13 जनवरी पौष पूर्णिमा स्नान पर्व ( कल्पवास शुरू )
  • 14 जनवरी मकर संक्रांति पहला शाही स्नान
  • 29 जनवरी पौष पूर्णिमा दूसरा शाही स्नान
  • 3 फरवरी बसंत पंचमी अंतिम शाही स्नान
  • 12 फरवरी माघी पूर्णिमा स्नान पर्व (कल्पवास समाप्त)
  • 26 फरवरी महाशविरात्री स्नान पर्व महाकुंभ समाप्त

यह भी पढ़ें : अथ श्री महाकुंभ कथा; प्रयागराज कुंभ का क्या है महत्व, तीर्थों में इसे क्यों माना जाता सर्वश्रेष्ठ? - MAHA KUMBH MELA 2025

वाराणसी: महाकुंभ शुरू होने जा रहा है. 13 जनवरी से 28 फरवरी तक पड़ने वाले अलग-अलग स्नान और शाही स्नान पर्व हर राशि, हर नक्षत्र के जातकों के लिए खास हैं. मान्यता है कि इन स्नान पर्वों पर त्रिवेणी में डुबकी पापों से मुक्ति दिलाती है, लेकिन 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर बन रहा अद्भुत संयोग बेहद खास है. क्यों महत्वपूर्ण है यह स्नान पर्व और कौन से ग्रह-नक्षत्र का मेल इस दिन को बना रहा विशेष रूप से फलदायी, आइए जानिए.

इस बार महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान बेहद खास है. (Video Credit; ETV Bharat)

आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला पर्व: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित विनय कुमार पांडेय ग्रहों के बदलाव के अनुसार स्नान की महत्ता के बारे में बताते हैं. कहते हैं, सबसे पहले समझिए कि कुंभ पर्व है या सनातन धर्म लंबियों के लिए आस्था का महापर्व? कहते हैं, इसमें आध्यात्मिक विषय का समावेश होता है. आस्था के इस महापर्व में चाहे जिस राशि या जिस नक्षत्र में उत्पन्न हुए जातक हों, हर किसी के लिए यह आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला पर्व है. हमारे यहां बताया गया है कि जो चार स्थान हैं, उनमें विभिन्न राशियों में सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति के आने पर कुंभ का आयोजन किया जाता है. ऐसे में यह महासंयोग बनता है.

स्नान का यह दिन क्यों खास : बताया कि प्रयाग में इस बार महाकुंभ का संयोग बना रहा है. इसका पारंपरिक और पौराणिक आधार यह है कि जब भगवान बृहस्पति की स्थिति वृषभ राशि में, सूर्य मकर राशि में और चंद्रमा भी मकर राशि में जाए तो वह कुंभ का प्रमुख पर्व है. यह किस दिन होगा यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है. यह अद्भुत संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को पड़ रहा है. यह पूर्ण संयोग वाला काल है. बताया कि वैसे तो गुरु और सूर्य का राशि परिवर्तन कुम्भ कराता है लेकिन 29 जनवरी को चंद्रमा का भी मकर राशि में आना महाकुंभ का योग बना रहा है. जिसके कारण इस दिन स्नान करना और भी महत्वपूर्ण होगा.

कल्पवास की महत्ता: इसके अतिरिक्त प्रयाग में कल्पवास का भी विशेष महत्व होता है. कोई 12 वर्ष वाला या अर्द्ध कुंभ वाला संयोग हो या ना हो, प्रयाग क्षेत्र में हमेशा ही माघ महीने में कल्पवास करने का वर्णन शास्त्रों में लिखा गया है. इससे ज्यादा फलदायी कोई भी महापर्व नहीं है. कल्पवास का आरंभ पूर्ण माघ महीने तक रहता है. कल्पवास का आरंभ माघ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. 13 जनवरी से ही इसकी शुरुआत हो जाएगी और इस दिन कल्पवासी यहां साधू संन्यासियों के साथ पूरे एक महीने तक का संकल्प लेंगे.

इन राशि के जातकों के लिए फलदायी है संगम में डुबकी: ज्योतिषाचार्य का कहना है कि वैसे तो महाकुंभ का पर्व हर राशि के लिए अति उत्तम है, लेकिन इस दौरान मकर, कुंभ, मेष, वृषभ, मीन राशि वालों को विशेष तौर पर कुंभ के मौके पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना चाहिए. क्योंकि इन राशियों पर ग्रहों के 2025 में हो रहे बदलाव का असर दिखाई देगा. जिसका प्रभाव कुंभ स्नान से पुण्य फल के रूप में प्राप्त होगा.

महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्व

  • 13 जनवरी पौष पूर्णिमा स्नान पर्व ( कल्पवास शुरू )
  • 14 जनवरी मकर संक्रांति पहला शाही स्नान
  • 29 जनवरी पौष पूर्णिमा दूसरा शाही स्नान
  • 3 फरवरी बसंत पंचमी अंतिम शाही स्नान
  • 12 फरवरी माघी पूर्णिमा स्नान पर्व (कल्पवास समाप्त)
  • 26 फरवरी महाशविरात्री स्नान पर्व महाकुंभ समाप्त

यह भी पढ़ें : अथ श्री महाकुंभ कथा; प्रयागराज कुंभ का क्या है महत्व, तीर्थों में इसे क्यों माना जाता सर्वश्रेष्ठ? - MAHA KUMBH MELA 2025

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