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सुलतानपुर : जिला न्यायालय ने डीएम और एसपी को किया तलब - तलब

सुलतानपुर में जिला न्यायालय ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को तलब किया है. बता दें कि कैदी वाहन से मासूम के कुचलने के मामले में परिजनों को अभी तक क्षतिपूर्ति नहीं मिलने को लेकर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.

जिला न्यायालय
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Published : Mar 19, 2019, 10:34 AM IST

सुलतानपुर : मासूम की मौत के मामले में संवेदनहीनता बरतने और उनके माता पिता को क्षतिपूर्ति नहीं दिलाने के मामले को न्यायालय ने बेहद गंभीरता से लिया है. अपर जिला जज चतुर्थ मनोज कुमार शुक्ला ने मानवीय दृष्टिकोण से हटकर कार्य करने को देखते हुए जिलाधिकारी सुल्तानपुर और पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर को समन जारी कर तलब किया है.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता आशुतोष मिश्रा.

मामला कैदी वाहन से मासूम के कुचलने से जुड़ा हुआ है. इसमें कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आरोप पत्र को न्यायालय भेजा गया था. कोर्ट ने 25 मार्च को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश दिया है.

बता दें कि सदर तहसील क्षेत्र के शाहपुर में जुलाई 2002 में एक मासूम की कैदी वाहन से घर के बाहर खेल रहे मासूम अनवर की मौत हो गई थी. इसके बाद चालक राजनारायण को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. साथ ही परिजनों ने जिला न्यायालय में क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दाखिल की थी.

सुलतानपुर : मासूम की मौत के मामले में संवेदनहीनता बरतने और उनके माता पिता को क्षतिपूर्ति नहीं दिलाने के मामले को न्यायालय ने बेहद गंभीरता से लिया है. अपर जिला जज चतुर्थ मनोज कुमार शुक्ला ने मानवीय दृष्टिकोण से हटकर कार्य करने को देखते हुए जिलाधिकारी सुल्तानपुर और पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर को समन जारी कर तलब किया है.

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता आशुतोष मिश्रा.

मामला कैदी वाहन से मासूम के कुचलने से जुड़ा हुआ है. इसमें कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आरोप पत्र को न्यायालय भेजा गया था. कोर्ट ने 25 मार्च को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश दिया है.

बता दें कि सदर तहसील क्षेत्र के शाहपुर में जुलाई 2002 में एक मासूम की कैदी वाहन से घर के बाहर खेल रहे मासूम अनवर की मौत हो गई थी. इसके बाद चालक राजनारायण को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. साथ ही परिजनों ने जिला न्यायालय में क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दाखिल की थी.

Intro:शीर्षक - कैदियों के वाहन से कुचले मासूम के माता-पिता को नहीं दिलाई क्षतिपूर्ति, डीएम एसपी कोर्ट में तलब।

मासूम की मौत के मामले में संवेदनहीनता बरतने और उनके माता पिता को क्षतिपूर्ति 14 वर्ष बाद भी नहीं दिलाने के मामले को न्यायालय ने बेहद गंभीरता से लिया है। अपर जिला जज चतुर्थ मनोज कुमार शुक्ला ने मानवीय दृष्टिकोण से हटकर कार्य करने को देखते हुए जिलाधिकारी सुल्तानपुर और पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर को समन जारी कर तलब किया है। 25 मार्च को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश दिया है। मामला कैदियों से भरी पुलिस गाड़ी से मासूम के कुचलने से जुड़ा हुआ है । जिसमें कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर आरोप पतर को न्यायालय भेजा गया था।


Body:मामलाप्रकरण सदर तहसील क्षेत्र स्थित शाहपुर से जुड़ा हुआ है। जहां की रहने वाली रेहाना बेगम पत्नी सरवर का 10 वर्षीय पुत्र अनवर जॉब कक्षा पांचवी का छात्र है। 23 जुलाई 2002 को खेल रहा था। इसी बीच कैदियों से बड़े वाहन, जो जेल का वाहन है। कैदियों को लाने ले जाने में प्रयुक्त होता है। तेजी से बालक को कुचलते हुए चला गया। चालक राजनारायण को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मामले में गंभीर रूप से जख्मी अनवर को जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज लखनऊ रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था। इसमें पुलिस अधिकारियों को भी कार्य में लापरवाही का दोषी पाया गया। बेटे की मौत से टूट चुकी रेहाना बेगम और उसके पति सरवर की तरफ से जिला न्यायालय में क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दाखिल की गई थी। याचिका के विचारण के बाद अदालत ने पुलिस विभाग को जिम्मेदार मानते हुए एसपी के खिलाफ फैसला सुनाया था। जिसमें पुलिस अधीक्षक की तरफ से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए पुलिस अधीक्षक का पक्ष हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। उसका पिता लगातार न्यायालय की शरण में अर्जी देता रहा हैं। धनराशि ₹3, 57000 रिकवरी पुलिस अधीक्षक और जिला अधिकारी को लाने का दोषी मानते हुए जिला चतुर्थ मनोज कुमार कार्यवाही करते हुए दोनों को तलब किया है । 25 मार्च को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।


Conclusion:वॉइस ओवर : पीड़ित परिवार लगातार 14 साल से न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहा है। दौड़ रहा है, भटक रहा है। तारीख पर तारीख हो रही है और उसे न्याय नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए न्यायालय ने संवेदना का पक्ष लिया और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को समन जारी कर तलब करने का आदेश दिया है। प्रशासनिक उदासीनता का अर्थ इसी से लगाया जा सकता है कि सरकारी वाहन से कुचलने के बावजूद उसके माता-पिता को अभी तक ₹357000 की क्षति पूर्ति नहीं दी जाती है।


आशुतोष मिश्रा 94 15049 256
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