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सुलतानपुर: परिजन 14 साल तक मांगते रहे मुआवजा, अब हुआ न्याय का आदेश

पुलिस की जीप से कुचलकर बालक की मौत हो जाने के मामले में 14 साल से पीड़ित परिवार भटकता रहा. परिजनों को बच्चे की मौत का मुआवजा लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी. लम्बे अरसे के बाद सुलतानपुर न्यायालय ने मामले को संज्ञान में लेने के बाद पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया है.

कोर्ट ने मुकदमे का दिया आदेश
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Published : Apr 9, 2019, 6:28 PM IST

सुलतानपुर: मामला जिले की सदर तहसील के अंतर्गत शाहपुर गांव से जुड़ा हुआ है. रेहाना बेगम पत्नी सरवर का 10 साल का पुत्र अनवर 23 जुलाई 2002 के दिन खेल रहा था. इसी बीच पुलिस की जीप से टक्कर लगने की वजह से उसकी मौत हो गई थी. इसको लेकर पीड़ित परिवार 2002 से अब तक क्षतिपूर्ति के लिए भटकता रहा. आखिरकार पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली. इस पर पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स के खिलाफ फैसला सुनाया गया है.

क्षतिपूर्ति की धनराशि जमा करने के लिए पुलिस विभाग को जिम्मेदार बताते हुए अनुपालन करने को कहा गया है. पुलिस विभाग ने हाई कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय के आदेश को बहाल रखते हुए पुलिस विभाग की अपील को खारिज कर दिया था. इसी धनराशि की वसूली के विचाराधीन मामले में संवेदनहीनता और लापरवाही बरती गई थी. इस पर पुलिस अधीक्षक को चुनाव आयोग के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर व्यस्त दर्शाया गया था.

कोर्ट ने मुकदमे का दिया आदेश

निर्वाचन आयोग से उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए कहा था. 27 अप्रैल को मामले में अगली सुनवाई की जाएगी. 14 साल से अधिक समय तक पीड़ित परिवार अपने बेटे की मौत का मुआवजा लेने के लिए भटकता रहा. न्यायालय की चौखट पर न्याय की गुहार लगाता रहा लेकिन पुलिस अधीक्षक संवेदनहीन बने रहे. आखिरकार न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश कर दिया है. इससे पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

सुलतानपुर: मामला जिले की सदर तहसील के अंतर्गत शाहपुर गांव से जुड़ा हुआ है. रेहाना बेगम पत्नी सरवर का 10 साल का पुत्र अनवर 23 जुलाई 2002 के दिन खेल रहा था. इसी बीच पुलिस की जीप से टक्कर लगने की वजह से उसकी मौत हो गई थी. इसको लेकर पीड़ित परिवार 2002 से अब तक क्षतिपूर्ति के लिए भटकता रहा. आखिरकार पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली. इस पर पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स के खिलाफ फैसला सुनाया गया है.

क्षतिपूर्ति की धनराशि जमा करने के लिए पुलिस विभाग को जिम्मेदार बताते हुए अनुपालन करने को कहा गया है. पुलिस विभाग ने हाई कोर्ट में इस मामले को चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय के आदेश को बहाल रखते हुए पुलिस विभाग की अपील को खारिज कर दिया था. इसी धनराशि की वसूली के विचाराधीन मामले में संवेदनहीनता और लापरवाही बरती गई थी. इस पर पुलिस अधीक्षक को चुनाव आयोग के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर व्यस्त दर्शाया गया था.

कोर्ट ने मुकदमे का दिया आदेश

निर्वाचन आयोग से उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए कहा था. 27 अप्रैल को मामले में अगली सुनवाई की जाएगी. 14 साल से अधिक समय तक पीड़ित परिवार अपने बेटे की मौत का मुआवजा लेने के लिए भटकता रहा. न्यायालय की चौखट पर न्याय की गुहार लगाता रहा लेकिन पुलिस अधीक्षक संवेदनहीन बने रहे. आखिरकार न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश कर दिया है. इससे पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.

Intro:शीर्षक : पीड़ित 14 साल तक मांगता रहा मौत का मुआवजा, एसपी पर मुकदमे का आदेश।

सुल्तानपुर : पुलिस की जीप से कुचलकर बालक की मौत हो जाने के मामले में 14 साल तक पीड़ित परिवार भटकता रहा। उसे बच्चे की मौत का मुआवजा लेने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। न्यायालय ने मामले को संज्ञान में लिया। पुलिस अधीक्षक को मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया । बावजूद एसपी सुल्तानपुर लापरवाही बरतते रहे कार्य में शिथिलता और संवेदनहीनता को संज्ञान में लेते हुए न्यायालय ने एसपी सुल्तानपुर अनुराग वत्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। पुलिस अधीक्षक अनुराग वत्स के खिलाफ नोटिस भी जारी की जा रही है।


Body:प्रकरण सुल्तानपुर जिले की सदर तहसील अंतर्गत शाहपुर गांव से जुड़ा हुआ है। रेहाना बेगम पत्नी सरवर का 10 साल का पुत्र अनवर 23 जुलाई 2002 के दिन खेल रहा था। इसी बीच पुलिस की गाड़ी की टक्कर लगने से उसकी मौत हो गई थी। जिसे लेकर पीड़ित परिवार 2002 से अब तक क्षतिपूर्ति के लिए भटकता रहा। आखिरकार पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। जिस पर पुलिस अधीक्षक के खिलाफ फैसला सुनाया गया। छतिपूर्ति की धनराशि जमा करने के लिए पुलिस विभाग को जिम्मेदार बताते हुए अनुपालन करने को कहा गया। पुलिस विभाग ने हाई कोर्ट में इस मामले को चुनौती भी दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय के आदेश को बहाल रखते हुए पुलिस विभाग की अपील को खारिज कर दिया था। इसी धनराशि की वसूली के विचाराधीन मामले में संवेदनहीनता और लापरवाही बरती गई थी। जिस पर पुलिस अधीक्षक को चुनाव आयोग के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर व्यस्त दर्शाया गया था। निर्वाचन आयोग से उन्हें कार्यमुक्त करने के लिए भी कहा था। 27 अप्रैल को मामले में अगली सुनवाई की जाएगी।


Conclusion: वॉइस ओवर : 14 साल से अधिक समय तक पीड़ित परिवार अपने बेटे की मौत का मुआवजा लेने के लिए भटकता रहा। न्यायालय की चौखट चूमता रहा। कोर्ट से आदेश मिलता रहा लेकिन पुलिस अधीक्षक संवेदनहीन बने रहे। आखिरकार पुलिस अधीक्षक पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश न्यायालय ने कर दिया है । इससे पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

आशुतोष मिश्रा 94 150 49 256
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