सुलतानपुर: खेलने कुदने की उम्र में नन्हे-मुन्ने मासूम बच्चे अपने माता-पिता की खुशी के लिए दूसरों के आगे हाथ पसार रहे हैं. मासूम बच्चे दिनभर भीख मांगते हैं और शाम को भीख से मिले पैसों को अपने माता-पिता को दे देते हैं. पुलिस विभाग की जांच रिपोर्ट में मामला सामने आया है. सुलतानपुर में भीख एक कारोबार के रूप में फल फूलने लगा है.
मां-बाप बच्चों के हाथ में थमाते हैं कटोरा
यह उन किशोर बच्चों की दास्तान है जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. इनके माता-पिता हाथों में किताब देने के बजाए कटोरा थमा रहे हैं. भीख मांगने के लिए इन्हें इनके माता-पिता ही प्रेरित कर रहे हैं. अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज कहते हैं कि "गांव के लड़के भीख मांगने के कार्य में संलिप्त पाए गए हैं. इसमें किसी गिरोह की संलिप्तता फिलहाल नहीं पाई गई है. यह जरूर पता चला है बच्चों के माता-पिता ही भिक्षा मांगने के लिए उन्हें उसकाते हैं. मामले में सीडब्ल्यूसी के जरिए इनके माता-पिता को बुलाया गया है.
अभिभावकों पर होगी वैधानिक कार्रवाई
अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज का कहना है कि "माता-पिता को यह हिदायत दी जा रही है कि वह अपने बच्चों से भीख मांगने का काम नहीं कराएंगे. इसके बावजूद यदि बच्चों को इस कार्य में लगाया जाएगा तो इनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. सुल्तानपुर शहर में कई बाल कल्याण संस्थान चल रहे हैं, ताकि इन बच्चों को बेहतर ढंग से रखा जाए. इनकी परवरिश की जाती है. इनके शिक्षण और रोजगार के प्रबंध किए जाते हैं. समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शासन स्तर से कई योजनाएं संचालित की जा रही है." श्रम विभाग भी समय-समय पर छापामारी अभियान चलाता है, लेकिन यह सब कागजों तक ही सीमित है. असल में भीख मांगने के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए सार्थक प्रयास नहीं हो पा रहे हैं.