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मनमानी तफ्तीश पर कोतवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज, कोर्ट ने किया तलब

सुलतानपुर में कोर्ट के आदेश पर नगरपालिका चेयरमैन समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ दर्ज छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामले में नगर कोतवाल ने मनमानी तफ्तीश कर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. मामले में लापरवाही बरतने पर कोर्ट ने कोतवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में तलब किया है.

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कोतवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज
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Published : May 19, 2022, 3:20 PM IST

सुलतानपुर: कोर्ट के आदेश पर नगरपालिका चेयरमैन समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ दर्ज छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामले में नगर कोतवाल ने मनमानी तफ्तीश कर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. विवेचना में कई खामियां दिखने पर स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने कोतवाल से जवाब मांगा तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. इस पर कोर्ट ने कोतवाल राम आशीष उपाध्याय की लापरवाही का संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ पुलिस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर 23 मई को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है.

बता दें कि मामला नगर कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है. 29 मई 2021 की शाम हुई घटना का जिक्र करते हुए एक महिला अभियोगी ने नगर पालिका चेयरमैन बबिता जायसवाल, उनके पति अजय जायसवाल के खिलाफ छेड़खानी एवं पॉक्सो एक्ट समेत कई गंभीर आरोपों से जुड़े मामले में पुलिस में सुनवाई न होने पर कोर्ट में अर्जी दी है. इसमें नगर पालिका चेयरमैन और उनके पति समेत 14 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के नाम शामिल हैं. मामले में पहले भी कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ था. लेकिन पुलिस की तरफ से कार्रवाई न होने पर महिला अभियोगी की अर्जी पर कोर्ट ने पुन: मामले का संज्ञान लेकर कोतवाल को तलब किया है.

दरअसल, बीते 28 जुलाई 2021 को स्पेशल कोर्ट ने मामले में मुकदमा दर्ज कर नगर कोतवाल को निष्पक्ष जांच के लिए आदेशित किया था. मामले में कोर्ट के आदेश पर कोतवाली नगर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. प्रकरण की तफ्तीश पहले सीताकुंड चौकी प्रभारी कमलेश यादव को मिली, उनके जरिए की जा रही विवेचना पर सवाल उठा तो विवेचना नगर कोतवाल को सौंप दी गई. लेकिन उनका भी वही हाल रहा. सामने आए तथ्यों के मुताबिक नगर कोतवाल राम आशीष उपाध्याय ने न तो चश्मदीद गवाहों का बयान दर्ज किया और न ही मामले से जुड़े अन्य साक्ष्यों को सही ढंग से जुटाने की कोशिश की.

यह भी पढ़ें- मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका मंजूर, सिविल कोर्ट में होगी सुनवाई

यहां तक कि विवेचना का अहम अंग माने जाने वाले नक्शा-नजरी को भी नहीं बनाया और विवेचना का कोई भी पर्चा कम्प्यूटर में इंट्री नहीं किया. उन्होंने मनमाने तरीके से तफ्तीश कर आरोपियों को अनुचित लाभ देते हुए क्लीन चिट दे दी. कोर्ट ने नगर कोतवाल की मनमानी तफ्तीश पर संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा. इस पर नगर कोतवाल का कोर्ट को भेजा गया जवाब गोलमोल रहा. संतोषजनक जवाब न मिलने पर स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने नगर कोतवाल के खिलाफ पुलिस एक्ट की धारा -29 के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. अदालत ने 23 मई को कोतवाल को व्यक्तिगत रूप से तलब करने का आदेश जारी किया है.

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सुलतानपुर: कोर्ट के आदेश पर नगरपालिका चेयरमैन समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों के खिलाफ दर्ज छेड़खानी और पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामले में नगर कोतवाल ने मनमानी तफ्तीश कर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. विवेचना में कई खामियां दिखने पर स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने कोतवाल से जवाब मांगा तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. इस पर कोर्ट ने कोतवाल राम आशीष उपाध्याय की लापरवाही का संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ पुलिस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर 23 मई को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है.

बता दें कि मामला नगर कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है. 29 मई 2021 की शाम हुई घटना का जिक्र करते हुए एक महिला अभियोगी ने नगर पालिका चेयरमैन बबिता जायसवाल, उनके पति अजय जायसवाल के खिलाफ छेड़खानी एवं पॉक्सो एक्ट समेत कई गंभीर आरोपों से जुड़े मामले में पुलिस में सुनवाई न होने पर कोर्ट में अर्जी दी है. इसमें नगर पालिका चेयरमैन और उनके पति समेत 14 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के नाम शामिल हैं. मामले में पहले भी कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ था. लेकिन पुलिस की तरफ से कार्रवाई न होने पर महिला अभियोगी की अर्जी पर कोर्ट ने पुन: मामले का संज्ञान लेकर कोतवाल को तलब किया है.

दरअसल, बीते 28 जुलाई 2021 को स्पेशल कोर्ट ने मामले में मुकदमा दर्ज कर नगर कोतवाल को निष्पक्ष जांच के लिए आदेशित किया था. मामले में कोर्ट के आदेश पर कोतवाली नगर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ. प्रकरण की तफ्तीश पहले सीताकुंड चौकी प्रभारी कमलेश यादव को मिली, उनके जरिए की जा रही विवेचना पर सवाल उठा तो विवेचना नगर कोतवाल को सौंप दी गई. लेकिन उनका भी वही हाल रहा. सामने आए तथ्यों के मुताबिक नगर कोतवाल राम आशीष उपाध्याय ने न तो चश्मदीद गवाहों का बयान दर्ज किया और न ही मामले से जुड़े अन्य साक्ष्यों को सही ढंग से जुटाने की कोशिश की.

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यहां तक कि विवेचना का अहम अंग माने जाने वाले नक्शा-नजरी को भी नहीं बनाया और विवेचना का कोई भी पर्चा कम्प्यूटर में इंट्री नहीं किया. उन्होंने मनमाने तरीके से तफ्तीश कर आरोपियों को अनुचित लाभ देते हुए क्लीन चिट दे दी. कोर्ट ने नगर कोतवाल की मनमानी तफ्तीश पर संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा. इस पर नगर कोतवाल का कोर्ट को भेजा गया जवाब गोलमोल रहा. संतोषजनक जवाब न मिलने पर स्पेशल जज पवन कुमार शर्मा ने नगर कोतवाल के खिलाफ पुलिस एक्ट की धारा -29 के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. अदालत ने 23 मई को कोतवाल को व्यक्तिगत रूप से तलब करने का आदेश जारी किया है.

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