सोनभद्र: रामजन्म भूमि विवाद मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के माध्यम से हल निकालने की बात कही तो इस पर दोनों सम्प्रदायों के लोगों ने अलग-अलग विचार रखे. अयोध्या के दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास जी ने कहा कि हम कोर्ट के मध्यस्थता के निर्णय से सहमत नहीं हैं.
महंत सुरेश दास जी का कहना है कि राम मंदिर के निर्माण का फैसला मध्यस्थता से नहीं निकलने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने जिनके नेतृत्व में मध्यस्थता की बात कही है, उसमें कोई भी अयोध्यावासी नहीं है. केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी की सरकार है, इनके नेतृत्व में ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा. जिस तरह से हाईकोर्ट ने राम मंदिर होने की बात कहते हुए फैसला सुनाया था उसी तरह सुप्रीम कोर्ट को भी 100 करोड़ हिन्दुओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए फैसला सुनाना चाहिए.
सोनभद्र के विंढमगंज में आयोजित श्री राम कथा में आए दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए जिन तीन लोगों के नाम रखे हैं, उसके पक्ष में कोई भी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफ.एम.आई कलीफुल्ला को मध्यस्थता के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि पैनल के अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल हैं. लेकिन दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि मध्यस्थता समिति में किसी भी अयोध्यावासी को नहीं रखा गया. इसमें दिगम्बर अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा व विश्व हिंदू परिषद को शामिल नहीं किया गया है. इसके पहले भी मध्यस्थता का प्रयास किया जा चुका है, जो असफल रहा. उन्होंने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अयोध्या में राम मंदिर के स्थान पर मस्जिद नहीं बनने देंगे. नरेंद्र मोदी और योगी के नेतृत्व में ही अयोध्या में राम मंदिर बनेगा.