सोनभद्रः जनपद सोनभद्र में एनजीटी के सख्त निर्देश पर जिले की प्रमुख नदी सोन में छह से अधिक बालू खनन पट्टों को फिलहाल बंद कर दिया गया है. शिकायतकर्ता ने सोन नदी में घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र व वन सेंचुरी क्षेत्र का हवाला देते हुए शिकायत की थी जिस पर एनजीटी ने सोन नदी में खनन करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. बता दें कि सोन नदी एमपी यूपी और बिहार के तटीय क्षेत्रों से होकर गुजरती है. एनजीटी ने एमपी यूपी और बिहार सरकार की संयुक्त टीम गठित करकर जलीय जीव-जंतुओं का संरक्षण सुरक्षित करने और तीन माह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है.
एनजीटी ने मध्यप्रदेश, यूपी और बिहार सरकार की संयुक्त टीम बनाकर जलीय जीव जंतुओं के संरक्षण सुनिश्चित करने और तीन महीने में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है तब तक के लिए सोन नदी में बालू खनन पर रोक लगाई गई है. बता दें कि कुड़ॉरी, अघोरी, भगवा, ब्रह्मोरी, खेवन्दा में बालू पट्टे किये गए थे जिसको जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश के बाद बंद करा दिया है.
जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने बताया कि 2 दिन पहले ही एनजीटी का निर्देश मिला है. उस निर्देश के क्रम में जनपद के सोन नदी में हुए बालू खनन पट्टों को बंद करा दिया गया है. साथ ही एनजीटी ने कुछ शर्तों के लिए आदेश जारी किया है, जिनको पूरा कराया जा रहा है. साथ ही उस पर निगाह भी रखी जा रही है और सयुंक्त टीम बनाकर रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है.
बता दें कि जनपद में लंबे समय के बाद जब बालू के पट्टे चालू हुए तो तमाम नियम और शर्तों की बात पर्यावरण की पब्लिक हियरिंग के दौरान अधिकारियों ने की लेकिन समय गुजरने के साथ-साथ नियम और शर्तो को ताक पर रखकर बड़ी-बड़ी मशीनों व नावों को नदी में उतारकर नदियों का दोहन कराया जाने लगा. यहां तक कि नदियों के स्वरूप के साथ खिलवाड़ किया गया और नदी की बहती अविरल धारा को रोककर खनन कराया जाने लगा. जिला प्रशासन भी इस ओर से आंखे मूंदे रहा. बड़ा सवाल तो यह है कि खनन पट्टों को जारी करने से पहले जिला प्रशासन उनकी वैधानिकता की पूरी जांच करता है यहां तक कि पर्यावरण की एनओसी भी राज्य स्तरीय संस्था देती है ऐसे में पर्यावरण को लेकर इतनी बड़ी चूक होना किसी की भी समझ से परे है.