सोनभद्र: जिले के तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का कच्चा रास्ता होने के कारण अध्यापकों और बच्चों को स्कूल आने-जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरा मामला चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का है. इस विद्यालय का निर्माण 1980 में हुआ था, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इस विद्यालय में अध्यापक अपनी और बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर हैं.
विद्यालय की छत से टपकता है पानी
भरहरी प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका का कहना है कि विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. विद्यालय के बारे में प्रशासन को कई बार अवगत भी कराया जा चुका है. प्रशासन की लापरवाही के चलते अध्यापक जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि स्कूल की छत से पानी टपकता है. स्कूल की दीवारें कमजोर होने की वजह से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है.
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जानें प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष ने क्या कहा
प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि सरकार पहले मूलभूत सुविधाएं सड़क, बिजली, पानी उपलब्ध कराए. इसके साथ ही साथ जर्जर स्कूलों की मरम्मत भी कराए. प्रेरणा ऐप की बात करें तो अध्यापक बिल्कुल ही ईमानदार और समय के पक्के हैं, लेकिन अच्छी सड़कों के अभाव में घर से दो घण्टे पहले निकलने के बाद भी समय से स्कूल पहुचेंगे की नहीं इसकी गारंटी नहीं है. कीचड़ से भरी कच्ची सड़कें जिस पर फिसलकर अध्यापक गिर भी जाते हैं.
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अधिकांश विद्यालय जर्जर स्थिति में हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. फिर भी विद्यालय के नीचे बैठकर अध्यापक अपने साथ-साथ सैकड़ों बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर है. यही कारण है कि प्रेरणा ऐप का हम लोग विरोध कर रहे हैं.