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सोनभद्र में परिषदीय विद्यालयों में चढ़ी 'बदहाली' की परत - सोनभद्र समाचार

सूबे की सरकार प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन उसके प्रयास नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे हैं. जनपद सोनभद्र के परिषदीय विद्यालयों में आने-जाने के लिए पक्के रास्ते नहीं हैं. विद्यालय में बिजली नहीं है और पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं है.

प्राथमिक विद्यालय भरहरी.
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Published : Sep 28, 2019, 5:16 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST

सोनभद्र: जिले के तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का कच्चा रास्ता होने के कारण अध्यापकों और बच्चों को स्कूल आने-जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरा मामला चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का है. इस विद्यालय का निर्माण 1980 में हुआ था, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इस विद्यालय में अध्यापक अपनी और बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर हैं.

सरकारी दावों की पोल खोल रहे हैं जिले के परिषदीय विद्यालय.

विद्यालय की छत से टपकता है पानी
भरहरी प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका का कहना है कि विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. विद्यालय के बारे में प्रशासन को कई बार अवगत भी कराया जा चुका है. प्रशासन की लापरवाही के चलते अध्यापक जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि स्कूल की छत से पानी टपकता है. स्कूल की दीवारें कमजोर होने की वजह से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है.

इसे भी पढ़ें:- अयोध्या: सुन्नी वक्फ बोर्ड के बदलते बयान को इकबाल अंसारी ने बताया वकीलों का मामला

जानें प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष ने क्या कहा
प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि सरकार पहले मूलभूत सुविधाएं सड़क, बिजली, पानी उपलब्ध कराए. इसके साथ ही साथ जर्जर स्कूलों की मरम्मत भी कराए. प्रेरणा ऐप की बात करें तो अध्यापक बिल्कुल ही ईमानदार और समय के पक्के हैं, लेकिन अच्छी सड़कों के अभाव में घर से दो घण्टे पहले निकलने के बाद भी समय से स्कूल पहुचेंगे की नहीं इसकी गारंटी नहीं है. कीचड़ से भरी कच्ची सड़कें जिस पर फिसलकर अध्यापक गिर भी जाते हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर सपा ने घोषित किया प्रत्याशी

अधिकांश विद्यालय जर्जर स्थिति में हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. फिर भी विद्यालय के नीचे बैठकर अध्यापक अपने साथ-साथ सैकड़ों बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर है. यही कारण है कि प्रेरणा ऐप का हम लोग विरोध कर रहे हैं.

सोनभद्र: जिले के तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का कच्चा रास्ता होने के कारण अध्यापकों और बच्चों को स्कूल आने-जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरा मामला चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का है. इस विद्यालय का निर्माण 1980 में हुआ था, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. इस विद्यालय में अध्यापक अपनी और बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर हैं.

सरकारी दावों की पोल खोल रहे हैं जिले के परिषदीय विद्यालय.

विद्यालय की छत से टपकता है पानी
भरहरी प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका का कहना है कि विद्यालय पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. विद्यालय के बारे में प्रशासन को कई बार अवगत भी कराया जा चुका है. प्रशासन की लापरवाही के चलते अध्यापक जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का कहना है कि स्कूल की छत से पानी टपकता है. स्कूल की दीवारें कमजोर होने की वजह से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है.

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जानें प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष ने क्या कहा
प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि सरकार पहले मूलभूत सुविधाएं सड़क, बिजली, पानी उपलब्ध कराए. इसके साथ ही साथ जर्जर स्कूलों की मरम्मत भी कराए. प्रेरणा ऐप की बात करें तो अध्यापक बिल्कुल ही ईमानदार और समय के पक्के हैं, लेकिन अच्छी सड़कों के अभाव में घर से दो घण्टे पहले निकलने के बाद भी समय से स्कूल पहुचेंगे की नहीं इसकी गारंटी नहीं है. कीचड़ से भरी कच्ची सड़कें जिस पर फिसलकर अध्यापक गिर भी जाते हैं.

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अधिकांश विद्यालय जर्जर स्थिति में हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. फिर भी विद्यालय के नीचे बैठकर अध्यापक अपने साथ-साथ सैकड़ों बच्चों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाने को मजबूर है. यही कारण है कि प्रेरणा ऐप का हम लोग विरोध कर रहे हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी

Slug-up_son_1_Bad way, dilapidated building_vo&byte_up10041

Anchor-सूबे की सरकार प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन उसके प्रयास नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे है।क्योंकि जब तक सरकार प्राइमरी स्तर पर अध्यापको व बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध कराने में सफल नही होती, तब तक ये बाते बेईमानी लगती है।
जी हां हम बात कर रहे है जंगल,पहाड़ो से आक्षादित जनपद सोनभद्र की,जहाँ तीन चौथाई भाग जंगल और पहाड़ो से घिरा है,जंहा पर आने-जाने के लिए रास्ते नही है,बिजली नही और पीने के लिए शुद्ध पानी नही है।
ताजा मामला है ,प्राथमिक विद्यालय तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर का व चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का, जहाँ पर कच्चा मार्ग होने के कारण अध्यापको को अपनी बाइक को किस प्रकार से घिसट कर ले जाना पड़ता है, आप खुद देख सकते है,सुबह 6 बजे घर से चलने वाला अध्यापक 9 बजे तक किसी तरह से विद्यायल पहुचता है,वह भी कीचड़ और मिट्टी से लथपत।इसके साथ ही विद्यालय विल्कुल जर्जर हाल में है जहाँ पर बच्चे और अध्यापक अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है।
इतना ही नही फिर उसे लौटना भी है,सोचिए ऐसे मुश्किल रास्तों पर चलकर अध्यापक प्रेरणा ऐप से सेल्फी कैसे दे सकता है।

Body:Vo1-ताजा मामला प्राथमिक विद्यालय तेंदूडाढ़ विकास खण्ड म्योरपुर का व चोपन विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय भरहरी का, तेंदूडाढ में कच्चा रास्ता होने के कारण अध्यापको व बच्चों को स्कूल आने जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,जहाँ पर कच्चा मार्ग होने के कारण अध्यापको को अपनी बाइक को किस प्रकार से घिसट कर ले जाना पड़ता है, आप खुद देख सकते है,सुबह 6 बजे घर से चलने वाला अध्यापक 9 बजे तक किसी तरह से विद्यायल पहुचता है,वह भी कीचड़ और मिट्टी से लथपत।इसके साथ ही विद्यालय विल्कुल जर्जर हाल में है जहाँ पर बच्चे और अध्यापक अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है।
इतना ही नही फिर उसे लौटना भी है,सोचिए ऐसे मुश्किल रास्तों पर चलकर अध्यापक प्रेरणा ऐप से सेल्फी कैसे दे सकता है।इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालय भरहरी विकास खंड चोपन का विद्यालय 1980 में बना है जो बिल्कुल ही जर्जर हो चुका है,तमाम शिकायतों के बावजूद भी इसी विद्यालय में पढ़ने और बढ़ाने को मजबूर है अध्यापका।
इस विद्यालय की अध्यापिका ने बताया कि पूरा विधायल टपक रहा है डर लगता है कि कही कोई बड़ी दुर्घटना ना हो जाय।

Byte-उमा सिंह(सहायक अध्यापिका,भरहरी)

Vo2-वही प्राथमिक विद्यालय भरहरी की छात्रा ने बताया कि स्कूल में बहुत डर लगता है,जिसके कारण दोस्त सब नही आते है,कभी भी विद्यालय गिर जाएगा तो हमलोग मर जायेंगे।

Byte-अंतिमा(छात्रा,प्राथमिक विद्यालय भरहरी)


Conclusion:VO3-इस पूरे मामले को गम्भीरता से उठाते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष योगेश पांडेय ने कहा कि सरकार पहले मूलभूत सुविधाएं सड़क,बिजली ,पानी उपलब्ध कराए,इसके साथ ही साथ जर्जर स्कूलों की मरम्मत भी कराए।इसके बाद किसी प्रेरणा ऐप की बात करे,क्योकि हमारा अध्यापका बिल्कुल ही ईमानदार व समय का पक्का है,लेकिन अच्छी सड़को के अभाव में अध्यापक घर से दो घण्टे पहले निकने के बाद भी समय से स्कूल पहुचेंगे की नही, इसकी गारंटी नही है।कच्ची कीचड़ से भरी सड़के जिसपर फिसलकर अध्यापक गिर भी जाते है।अधिकांस विद्यालय जर्जर स्थिति में है, कब गिर जायेगे,इसकी गारंटी नही है,लेकिन उसी के नीचे बैठक अपने साथ-साथ सैकड़ो बच्चो के जान को जोखिम में डालकर अध्यापक पढ़ाने को मजबूर है।यही कारण है कि प्रेरणा ऐप का हमलोग विरोध कर रहे है।

Byte-योगेश पांडेय(अध्यक्ष,प्राथमिक शिक्षक संघ,सोनभद्र)



चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:13 PM IST
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