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मां अन्नपूर्णा का शिखर हुआ स्वर्णमयी, मढ़ा गया साढ़े चार किलो सोना, 1000 कलश से होगा कुंभाभिषेक, सीएम योगी होंगे शामिल - VARANASI NEWS

मंदिर के शिखर पर मढ़ा गया साढ़े तीन करोड़ का सोना, बनारस का चौथा मंदिर जिसका शिखर स्वर्णमयी

मां अन्नपूर्णा का शिखर हुआ स्वर्णमयी
मां अन्नपूर्णा का शिखर हुआ स्वर्णमयी (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2025, 8:39 PM IST

वाराणसी : मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिष्ठा एवं कुंभाभिषेक 48 वर्षों के बाद सात फरवरी को होगी. इसमें माता के मंदिर के शिखर का 1000 कुंभों के जल से अभिषेक किया जाएगा. इसके पहले मां अन्नपूर्णा के शिखर को स्वर्णमयी किया गया है, जिसमें करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए से अधिक का सोना मढ़ा गया है. जिसमें साढ़े चार किलो सोने का प्रयोग किया गया है. शिखर नक्काशी में कमल के फूल, नागवेल सहित और मांगलिक प्रतीक स्पष्ट दिखाई देते हैं. यह बनारस का चौथा मंदिर है, जिसका शिखर स्वर्णमयी है.

मां अन्नपूर्णा का शिखर हुआ स्वर्णमयी (Video Credit; ETV Bharat)

श्री अन्नपुर्णा मंदिर के महंत ने बताया कि उत्तर और दक्षिण भारत के 11 सौ वैदिकों के सानिध्य में अन्नपूर्णा मंदिर के साथ ही गौरी केदारेश्वर मंदिर में भी अनुष्ठान होंगे. 17 हवन कुंडों में 668 प्रकार की जड़ी-बूटियों से निर्मित साकला की आहुति दी जाएगी. 18 पुराणों का पारायण भी किया जाना है. मंदिर के मुख्य मंडप और मंडप पर बने शिखर का रंग-रोगन भी पूरा हो चुका है. शिखर के चारों कोनों के मुख्य स्तंभों को बादामी रंग से रंगा गया है. जबकि छह सहायक स्तंभों पर आसमानी, गुलाबी, सुनहरे, गुलाबी और सफेद रंग का उपयोग किया गया है. मंदिर के मुख्य द्वार के बगल में महादेव और माता अन्नपूर्णा की थ्रीडी कलाकृति लगाई जा चुकी है.

जगद्गुरु शंकराचार्य दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर विधुशेखर भारती महास्वामी की अध्यक्षता में होने वाले इस मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी मुख्य अतिथि तथा श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी सारस्वत अतिथि होंगे. शिखर के कुंभाभिषेक के लिए शिखर के समानांतर ऊंचाई पर एक मंच का निर्माण किया जा रहा है. कार्यक्रम संयोजक प्रो. द्विवेदी ने बताया कि समस्त आयोजन मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी के संरक्षण में संचालित किए जाएंगे.

कुंभाभिषेक के लिए छिद्रयुक्त 1000 घट बनवाए गए हैं. इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश व शेष अन्य धातुओं के कलश सम्मिलित हैं. विभिन्न पवित्र नदियों एवं सागर के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा. इस दौरान काशी में उपलब्ध समस्त वेदशाखाओं के ज्ञाता विद्वान, बटुक वेदापारायण करेंगे। शास्त्रों के अनुसार सभी सिद्ध प्रतिष्ठित देवालयों में 100 वर्षों के अंतराल पर कुंभाभिषेक करने का वैदिक विधान है.

सनातन धर्म इंटर कॉलेज से दोपहर चार बजे नगर प्रवेश यात्रा माता अन्नपूर्णा मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी. एक फरवरी को प्रात: सात बजे मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक नव विग्रह की जलयात्रा कराई जाएगी. अगले दिन माघ शुुक्ल चतुर्थी दो फरवरी को कोटिक कुंकुमार्चन संकल्प, तीन फरवरी को गरु प्रार्थना, श्रीगणेश पूजन, स्वस्ति पुण्याह वाचनादि, महासंकल्प, आचार्य ब्रह्मादि ऋत्विग्वरण अनुष्ठान होंगे. मां की प्रतिमा का मूर्ति संस्कार, बिंबशुद्धि, हवनादि, जलाधिवास कराया जाएगा. चार फरवरी को अधिवास हवन, पंचविंशति कलशों द्वारा महास्वपन होगा. साथ ही वस्त्राधिवास, धान्याधिवास, फलाधिवास आदि कराए जाएंगे. अगले दिन पांच फरवरी को अधिवास हवन, शय्याधिवास, प्रणवादि षोडश तत्त्व न्यास, छह फरवरी को मूलमंत्र न्यास, स्त्रपन कलश स्थापन होगा. इसमें विभिन्न तीर्थों व विभिन्न औषधियों के जल से महाकुंभाभिषेक के लिए कलश स्थापन किया जाएगा. चारों वेदों के मंंत्र पाठ पूर्वक कलशाभिमंत्रण किया जाएगा. मूलमंत्र हवनादि होंगे. सात फरवरी दशमी को शिखर महाकुंभाभिषेक दर्शन एवं तीर्थ प्रसाद वितरण होगा.

यह भी पढ़ें : वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम में टूटे सारे रिकॉर्ड; 18 दिन में करीब 68 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, विदेशी भी शामिल - KASHI VISHWANATH DHAM IN VARANASI

वाराणसी : मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिष्ठा एवं कुंभाभिषेक 48 वर्षों के बाद सात फरवरी को होगी. इसमें माता के मंदिर के शिखर का 1000 कुंभों के जल से अभिषेक किया जाएगा. इसके पहले मां अन्नपूर्णा के शिखर को स्वर्णमयी किया गया है, जिसमें करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए से अधिक का सोना मढ़ा गया है. जिसमें साढ़े चार किलो सोने का प्रयोग किया गया है. शिखर नक्काशी में कमल के फूल, नागवेल सहित और मांगलिक प्रतीक स्पष्ट दिखाई देते हैं. यह बनारस का चौथा मंदिर है, जिसका शिखर स्वर्णमयी है.

मां अन्नपूर्णा का शिखर हुआ स्वर्णमयी (Video Credit; ETV Bharat)

श्री अन्नपुर्णा मंदिर के महंत ने बताया कि उत्तर और दक्षिण भारत के 11 सौ वैदिकों के सानिध्य में अन्नपूर्णा मंदिर के साथ ही गौरी केदारेश्वर मंदिर में भी अनुष्ठान होंगे. 17 हवन कुंडों में 668 प्रकार की जड़ी-बूटियों से निर्मित साकला की आहुति दी जाएगी. 18 पुराणों का पारायण भी किया जाना है. मंदिर के मुख्य मंडप और मंडप पर बने शिखर का रंग-रोगन भी पूरा हो चुका है. शिखर के चारों कोनों के मुख्य स्तंभों को बादामी रंग से रंगा गया है. जबकि छह सहायक स्तंभों पर आसमानी, गुलाबी, सुनहरे, गुलाबी और सफेद रंग का उपयोग किया गया है. मंदिर के मुख्य द्वार के बगल में महादेव और माता अन्नपूर्णा की थ्रीडी कलाकृति लगाई जा चुकी है.

जगद्गुरु शंकराचार्य दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर विधुशेखर भारती महास्वामी की अध्यक्षता में होने वाले इस मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी मुख्य अतिथि तथा श्रीकाशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी सारस्वत अतिथि होंगे. शिखर के कुंभाभिषेक के लिए शिखर के समानांतर ऊंचाई पर एक मंच का निर्माण किया जा रहा है. कार्यक्रम संयोजक प्रो. द्विवेदी ने बताया कि समस्त आयोजन मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी के संरक्षण में संचालित किए जाएंगे.

कुंभाभिषेक के लिए छिद्रयुक्त 1000 घट बनवाए गए हैं. इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश व शेष अन्य धातुओं के कलश सम्मिलित हैं. विभिन्न पवित्र नदियों एवं सागर के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा. इस दौरान काशी में उपलब्ध समस्त वेदशाखाओं के ज्ञाता विद्वान, बटुक वेदापारायण करेंगे। शास्त्रों के अनुसार सभी सिद्ध प्रतिष्ठित देवालयों में 100 वर्षों के अंतराल पर कुंभाभिषेक करने का वैदिक विधान है.

सनातन धर्म इंटर कॉलेज से दोपहर चार बजे नगर प्रवेश यात्रा माता अन्नपूर्णा मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी. एक फरवरी को प्रात: सात बजे मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक नव विग्रह की जलयात्रा कराई जाएगी. अगले दिन माघ शुुक्ल चतुर्थी दो फरवरी को कोटिक कुंकुमार्चन संकल्प, तीन फरवरी को गरु प्रार्थना, श्रीगणेश पूजन, स्वस्ति पुण्याह वाचनादि, महासंकल्प, आचार्य ब्रह्मादि ऋत्विग्वरण अनुष्ठान होंगे. मां की प्रतिमा का मूर्ति संस्कार, बिंबशुद्धि, हवनादि, जलाधिवास कराया जाएगा. चार फरवरी को अधिवास हवन, पंचविंशति कलशों द्वारा महास्वपन होगा. साथ ही वस्त्राधिवास, धान्याधिवास, फलाधिवास आदि कराए जाएंगे. अगले दिन पांच फरवरी को अधिवास हवन, शय्याधिवास, प्रणवादि षोडश तत्त्व न्यास, छह फरवरी को मूलमंत्र न्यास, स्त्रपन कलश स्थापन होगा. इसमें विभिन्न तीर्थों व विभिन्न औषधियों के जल से महाकुंभाभिषेक के लिए कलश स्थापन किया जाएगा. चारों वेदों के मंंत्र पाठ पूर्वक कलशाभिमंत्रण किया जाएगा. मूलमंत्र हवनादि होंगे. सात फरवरी दशमी को शिखर महाकुंभाभिषेक दर्शन एवं तीर्थ प्रसाद वितरण होगा.

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