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यहां गोवर्धन पूजा पर खौलते दूध से नहाता है पुजारी - गर्म दूध से स्नान

सोनभद्र जिले में स्थित वीर लोरिक स्मारक पर सोमवार को गोवर्धन पूजा पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाई गई. हर बार की तरह इस बार भी पूजा कराने वाले बाबा ने खौलते हुए दूध से स्नान किया. इस दौरान पुजारी के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ.

खौलते दूध से नहाता पुजारी.
खौलते दूध से नहाता पुजारी.
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Published : Nov 17, 2020, 12:55 AM IST

सोनभद्रः गोवर्धन पूजा के अवसर पर जिले में एक अनोखी परंपरा का आयोजन किया जाता है. इस पूजा के अवसर पर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी की पर स्थित मारकुंडी घाटी के वीर लोरिक स्मारक स्थल पर गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया. जहां बृहद रूप से मनाई जाने वाली इस पूजा में कई मटकों में दूध भरा होता है और उसको आग की काठी पर रख दिया जाता है. एक पुजारी पूजा में न सिर्फ शामिल होता है. बल्कि खौलते दूध से स्नान भी करता है. इसके अलावा हवन कुंड में अपने सिर और शरीर को झोंक देता है और पुजारी को कोई नुकसान नहीं होता है.

खौलते दूध से नहाता है पुजारी.

पुजारी ने चमत्कार को बताया- भक्ति की शक्ति
वीर लोरिक स्मारक स्थल पर 45 वर्षीय राजेंद्र यादव पिछले चार-पांच सालों से गोवर्धन पूजा कराते आ रहे हैं. इन बाबा की खासियत है कि वह गोवर्धन पूजा वाले दिन खौलते दूध में स्नान करते हैं. मीडिया से बातचीत में पुजारी ने बताया कि गर्म दूध से स्नान करने पर उनके शरीर पर कोई असर नहीं होता है. क्योंकि जहां शक्ति है, वहां भक्ति होती है और जहां भक्ति वहीं शक्ति.

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हवन कुंड में सिर डालता पुजारी.

जुड़ी है रोचक कहानी
वीर लोरिक स्मारक को ऐतिहासिक स्थल के तौर पर देखा जाता है. मान्यताओं के मुताबिक अगोरी के राजा मुलागत, वहीं की रहने वाली मंजरी को अपनी पटरानी बनाना चाहते थे, लेकिन मंजरी वीर लोरिक से प्रेम करती थीं. मंजरी से विवाह करने के लिए वीर लोरिक ने अगोरी किले पर चढ़ाई कर राजा मुलागत को परास्त किया.

जब युद्ध जीतकर वीर लोरिक अगोरी से वापस लौट रहे थे तो मंजरी ने उनसे कहा कि उन दोनों के प्रेम की कोई निशानी होनी चाहिए. वीर लोरिक ने एक ऊंची शिला को अपनी तलवार से दो टुकड़ों में बांट दिया, लेकिन एक टुकड़ा जमीन पर ढह गया. इस पर मंजरी ने वीर लोरिक के सामने शर्त रखी कि वह दोबारा उसी शिलाखंड को अपने तलवार से दो टुकड़ों में बांटें. परन्तु इस बार एक भी टुकड़ा जमीन पर नहीं गिरना चाहिए. वीर लोरिक ने मंजरी की शर्त पूरी की.

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मटकियों में उबाला जा रहा दूध.

तभी से शिलाखंड वाले स्थान को पवित्र और वीर लोरिक-मंजरी के प्रेम की निशानी माना जाता है. प्रतिवर्ष यहां भैया दूज के दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है. इस गोवर्धन पूजा को कराने वाले बाबा खौलते हुए दूध से स्नान करते हैं. खौलते दूध में चावल भी डाला गया होता है. जिसे पूजा कराने वाले पंडित अपनी आंखों पर रखते हैं.

कोरोना और उसकी वैक्सीन को लेकर की भविष्यवाणी
गोवर्धन पूजा में मौजूद पुजारी ने अपने चमत्कार को अपनी भक्ति की शक्ति बताया. उन्होंने कहा की भगवान कृष्ण की भक्ति से ही उन्हें शक्ति मिली है. पुजारी ने भविष्यवाणी की कि मार्च 2021 के बाद से कोरोना खत्म हो जाएगा और वैक्सीन भारत नहीं बना पाएगा.

सोनभद्रः गोवर्धन पूजा के अवसर पर जिले में एक अनोखी परंपरा का आयोजन किया जाता है. इस पूजा के अवसर पर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी की पर स्थित मारकुंडी घाटी के वीर लोरिक स्मारक स्थल पर गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया. जहां बृहद रूप से मनाई जाने वाली इस पूजा में कई मटकों में दूध भरा होता है और उसको आग की काठी पर रख दिया जाता है. एक पुजारी पूजा में न सिर्फ शामिल होता है. बल्कि खौलते दूध से स्नान भी करता है. इसके अलावा हवन कुंड में अपने सिर और शरीर को झोंक देता है और पुजारी को कोई नुकसान नहीं होता है.

खौलते दूध से नहाता है पुजारी.

पुजारी ने चमत्कार को बताया- भक्ति की शक्ति
वीर लोरिक स्मारक स्थल पर 45 वर्षीय राजेंद्र यादव पिछले चार-पांच सालों से गोवर्धन पूजा कराते आ रहे हैं. इन बाबा की खासियत है कि वह गोवर्धन पूजा वाले दिन खौलते दूध में स्नान करते हैं. मीडिया से बातचीत में पुजारी ने बताया कि गर्म दूध से स्नान करने पर उनके शरीर पर कोई असर नहीं होता है. क्योंकि जहां शक्ति है, वहां भक्ति होती है और जहां भक्ति वहीं शक्ति.

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हवन कुंड में सिर डालता पुजारी.

जुड़ी है रोचक कहानी
वीर लोरिक स्मारक को ऐतिहासिक स्थल के तौर पर देखा जाता है. मान्यताओं के मुताबिक अगोरी के राजा मुलागत, वहीं की रहने वाली मंजरी को अपनी पटरानी बनाना चाहते थे, लेकिन मंजरी वीर लोरिक से प्रेम करती थीं. मंजरी से विवाह करने के लिए वीर लोरिक ने अगोरी किले पर चढ़ाई कर राजा मुलागत को परास्त किया.

जब युद्ध जीतकर वीर लोरिक अगोरी से वापस लौट रहे थे तो मंजरी ने उनसे कहा कि उन दोनों के प्रेम की कोई निशानी होनी चाहिए. वीर लोरिक ने एक ऊंची शिला को अपनी तलवार से दो टुकड़ों में बांट दिया, लेकिन एक टुकड़ा जमीन पर ढह गया. इस पर मंजरी ने वीर लोरिक के सामने शर्त रखी कि वह दोबारा उसी शिलाखंड को अपने तलवार से दो टुकड़ों में बांटें. परन्तु इस बार एक भी टुकड़ा जमीन पर नहीं गिरना चाहिए. वीर लोरिक ने मंजरी की शर्त पूरी की.

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मटकियों में उबाला जा रहा दूध.

तभी से शिलाखंड वाले स्थान को पवित्र और वीर लोरिक-मंजरी के प्रेम की निशानी माना जाता है. प्रतिवर्ष यहां भैया दूज के दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है. इस गोवर्धन पूजा को कराने वाले बाबा खौलते हुए दूध से स्नान करते हैं. खौलते दूध में चावल भी डाला गया होता है. जिसे पूजा कराने वाले पंडित अपनी आंखों पर रखते हैं.

कोरोना और उसकी वैक्सीन को लेकर की भविष्यवाणी
गोवर्धन पूजा में मौजूद पुजारी ने अपने चमत्कार को अपनी भक्ति की शक्ति बताया. उन्होंने कहा की भगवान कृष्ण की भक्ति से ही उन्हें शक्ति मिली है. पुजारी ने भविष्यवाणी की कि मार्च 2021 के बाद से कोरोना खत्म हो जाएगा और वैक्सीन भारत नहीं बना पाएगा.

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