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एनजीटी के निर्देश के बावजूद नहीं सुधर रही सोनभद्र की आबोहवा

यूपी के सोनभद्र में वायु प्रदूषण के चलते लोगों का जीना मुहाल हो गया है. एनजीटी के निर्देश के बावजूद सड़कों के माध्यम से कोयले की राख को ढोया जा रहा है. सड़कों पर उड़ती धूल से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.

एनजीटी के निर्देश के बावजूद नहीं सुधर रही सोनभद्र की आबोहवा
एनजीटी के निर्देश के बावजूद नहीं सुधर रही सोनभद्र की आबोहवा
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Published : Nov 27, 2020, 6:07 PM IST

सोनभद्रः जनपद के उर्जान्चल क्षेत्र में एनजीटी के निर्देश के बावजूद प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. वायु प्रदूषण के चलते लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. जनपद की वायु गुणवत्ता दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. सोनभद्र के सीमावर्ती अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्र में वायु प्रदूषण के चलते लोगों का जीना मुश्किल हो गया है.

अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्र में बढ़ा वायु प्रदूषण का स्तर.

सड़कों पर उड़ती रहती है धूल
बता दें कि अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्रों के सीमाएं मध्यप्रदेश राज्य से लगती हैं. यह पूरा क्षेत्र उर्जान्चल के नाम से जाना जाता है. क्षेत्र में नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड की कोयला खदान और कई थर्मल पावर प्लांट्स हैं. एनसीएल की खदानों से कोयला और थर्मल पावर प्लांट से कोयले की राख का परिवहन ट्रकों के द्वारा होता है, जिससे यहां की सड़कों पर बेतहाशा धूल उड़ती है. यह धूल लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रही है.

सड़कों से ढोयी जा रही कोयले की राख.
सड़कों से ढोयी जा रही कोयले की राख.

एनजीटी के निर्देशों की उड़ाई जा रहीं धज्जियां
यही नहीं यहां के थर्मल पावर प्लांट्स की चिमनियों से निकलने वाला धुआं जनपद की आबोहवा खराब कर रहा है. शिकायत के बाद एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यहां की सड़कों पर ट्रकों के माध्यम से कोयले के परिवहन पर रोक भी लगाई थी. इसके बावजूद कोयले का परिवहन सड़क मार्ग से ही हो रहा है.

बीमारियों के शिकार हो रहे लोग
जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर अनपरा और शक्तिनगर क्षेत्र स्थित हैं. जहां कई सरकारी और निजी क्षेत्र के ताप बिजलीघर स्थित हैं. इन बिजलीघरों को एनसीएल की कोयला खदानों से कोयले की सप्लाई की जाती है.

ट्रकों के द्वारा परिवहन के चलते कोयले की धूल लोगों के घरों तक में घुस जाती है. इसके दुष्प्रभाव से यहां के लोगों में बीमारियों पनपने लगी हैं. मजदूर वर्ग के लोग दमा, टीबी, मानसिक दुर्बलता समेत कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सोनभद्र-सिंगरौली परिक्षेत्र की गणना एशिया के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रो के रूप में होती है.

16 जिले हॉट स्पाट की लिस्ट में
एनजीटी ने पिछले माह जनपद के अनपरा समेत 16 जिलों को प्रदूषण के हॉट-स्पॉट एरिया के रूप में चिन्हित किया था. इसी के चलते एनजीटी ने निर्देश दिए थे कि सड़क मार्ग से कोयले का परिवहन न किया जाए. एनजीटी ने कहा था कि सड़कों किनारे पानी का छिड़काव किया जाए और अन्य उपाय किए जाएं. ताकि क्षेत्र में प्रदूषण फैलने न पाए. एनजीटी के इन निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं गईं.

अनपरा परिक्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की है. यह क्षेत्र क्रिटिकल पॉल्यूटेड एरिया में आता है. एनजीटी द्वारा गठित ओवर साइट कमेटी और जिला स्तरीय पर्यावरणीय समिति इस पर नजर रखती हैं. इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को सभी उद्योगों में लगे ऑनलाइन सिस्टम से यहां के प्रदूषण स्तर के बारे में लगातार जानकारी मिल रही है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं.

एस राजलिंगम, जिलाधिकारी

सोनभद्रः जनपद के उर्जान्चल क्षेत्र में एनजीटी के निर्देश के बावजूद प्रदूषण की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. वायु प्रदूषण के चलते लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. जनपद की वायु गुणवत्ता दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. सोनभद्र के सीमावर्ती अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्र में वायु प्रदूषण के चलते लोगों का जीना मुश्किल हो गया है.

अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्र में बढ़ा वायु प्रदूषण का स्तर.

सड़कों पर उड़ती रहती है धूल
बता दें कि अनपरा और शक्तिनगर थाना क्षेत्रों के सीमाएं मध्यप्रदेश राज्य से लगती हैं. यह पूरा क्षेत्र उर्जान्चल के नाम से जाना जाता है. क्षेत्र में नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड की कोयला खदान और कई थर्मल पावर प्लांट्स हैं. एनसीएल की खदानों से कोयला और थर्मल पावर प्लांट से कोयले की राख का परिवहन ट्रकों के द्वारा होता है, जिससे यहां की सड़कों पर बेतहाशा धूल उड़ती है. यह धूल लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रही है.

सड़कों से ढोयी जा रही कोयले की राख.
सड़कों से ढोयी जा रही कोयले की राख.

एनजीटी के निर्देशों की उड़ाई जा रहीं धज्जियां
यही नहीं यहां के थर्मल पावर प्लांट्स की चिमनियों से निकलने वाला धुआं जनपद की आबोहवा खराब कर रहा है. शिकायत के बाद एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यहां की सड़कों पर ट्रकों के माध्यम से कोयले के परिवहन पर रोक भी लगाई थी. इसके बावजूद कोयले का परिवहन सड़क मार्ग से ही हो रहा है.

बीमारियों के शिकार हो रहे लोग
जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर अनपरा और शक्तिनगर क्षेत्र स्थित हैं. जहां कई सरकारी और निजी क्षेत्र के ताप बिजलीघर स्थित हैं. इन बिजलीघरों को एनसीएल की कोयला खदानों से कोयले की सप्लाई की जाती है.

ट्रकों के द्वारा परिवहन के चलते कोयले की धूल लोगों के घरों तक में घुस जाती है. इसके दुष्प्रभाव से यहां के लोगों में बीमारियों पनपने लगी हैं. मजदूर वर्ग के लोग दमा, टीबी, मानसिक दुर्बलता समेत कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सोनभद्र-सिंगरौली परिक्षेत्र की गणना एशिया के सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रो के रूप में होती है.

16 जिले हॉट स्पाट की लिस्ट में
एनजीटी ने पिछले माह जनपद के अनपरा समेत 16 जिलों को प्रदूषण के हॉट-स्पॉट एरिया के रूप में चिन्हित किया था. इसी के चलते एनजीटी ने निर्देश दिए थे कि सड़क मार्ग से कोयले का परिवहन न किया जाए. एनजीटी ने कहा था कि सड़कों किनारे पानी का छिड़काव किया जाए और अन्य उपाय किए जाएं. ताकि क्षेत्र में प्रदूषण फैलने न पाए. एनजीटी के इन निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं गईं.

अनपरा परिक्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की है. यह क्षेत्र क्रिटिकल पॉल्यूटेड एरिया में आता है. एनजीटी द्वारा गठित ओवर साइट कमेटी और जिला स्तरीय पर्यावरणीय समिति इस पर नजर रखती हैं. इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को सभी उद्योगों में लगे ऑनलाइन सिस्टम से यहां के प्रदूषण स्तर के बारे में लगातार जानकारी मिल रही है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए काफी प्रयास किये जा रहे हैं.

एस राजलिंगम, जिलाधिकारी

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