सोनभद्रः सोनभद्र के बालक ने संस्कृत भाषा में अपनी निपुणता से लोगों को हैरत में डाल दिया है. बालक को संस्कृत के ढेरों श्लोक और गीता कंठस्थ है. यही नहीं उसने राज्य संस्कृत संस्थान द्वारा अयोजित प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया है.
सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज स्थित डीएवी स्कूल की छठवीं कक्षा में अध्ययनरत छात्र प्रणवेंद्र चतुर्वेदी (12) सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए संस्कृत के अध्ययन में जुटा हुआ है. प्रणवेंद्र का कहना है कि उसके दादा से ही उसे संस्कृत की शिक्षा मिली है. उसे संस्कृत के श्लोक कंठस्थ है. गीता के भी ज्यादातर श्लोक उसको कंठस्थ हैं. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आयोजित संस्कृत वाचन प्रतियोगिता में जिला और मंडल स्तर पर उसे प्रथम स्थान और राज्य स्तर पर उसको तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है. उसकी इस उपलब्धि पर स्कूल समेत पूरे जनपद के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
प्रणवेंद्र के पिता सौरेन्द्र पराक्रमण सोनभद्र के परिषदीय स्कूल में प्रधानाचार्य हैं. उन्हीं से प्रणवेंद्र को संस्कृत पढ़ने की प्रेरणा मिली और वह संस्कृत वाचन में दक्ष हुआ. पिता सौरेन्द्र का कहना है कि उनके पिता और प्रणवेन्द्र के दादा चारो वेदों के ज्ञाता थे. वह संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे. संस्कृत वाचन की यह प्रतिभा प्रणवेंद्र में भी नैसर्गिक और परंपरागत तौर पर है. उनका कहना है कि संस्कृत भाषा संस्कार की जननी है. संस्कृत भाषा सभी भाषाओं का मूल है. संस्कृत भाषा को अपनाने वाले का भविष्य उज्ज्वल है, जो भी संस्कृत भाषा को अपनाएगा उसके पास रोजगार चलकर आएगा.
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