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घाघरा के तेज बहाव से कट सकता है बांध, प्रशासन सतर्क

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में घाघरा नदी के तेज बहाव से बांध कटने का खतरा मड़राने लगा है. इस वजह से प्रशासन भी बांध बचाव के लिए हो रहे कार्य की लगातार जांच कर रहा है.

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Published : Sep 21, 2019, 7:42 AM IST

सीतापुर के बांध पर मड़रा रहा खतरा

सीतापुर: घाघरा नदी के तेज बहाव से इन दिनों बांध कटने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में यदि बांध कटा तो 12 से अधिक गांवों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. बढ़ती कटान को लेकर प्रशासन काफी चौकन्ना है. सिंचाई विभाग के अधिकारी जेसीबी के साथ करीब चार सौ मजदूरों को लेकर बांध को कटान से बचाने के लिए जुटे हुए हैं. प्रशासन भी बांध बचाव के लिए हो रहे कार्य की लगातार मॉनीटरिंग कर रहा है.

सीतापुर के बांध पर मंडरा रहा खतरा.
बाढ़ से बचाने के लिए सरकार द्वारा काशीपुर-मल्लापुर से बाराबंकी के गणेशपुर तक 35 किमी लंबे बांध का निर्माण किया गया था. 35 किमी लंबे बांध का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से कराया गया था. इस बांध के बन जाने से प्रतिवर्ष घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ की भेंट चढ़ने वाले गांवों को काफी राहत मिल गयी थी.
  • इस बार जून माह से ही घाघरा में पानी बढ़ने के साथ बांध की मजबूती पर सवाल उठने लगे थे.
  • इससे आक्रोशित गांजर स्वाभिमान मंच के लोगों ने बांध बचाओ का नारा देते हुए जनांदोलन शुरू किया. बांध पर ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन भी किया.
  • तत्कालीन महमूदाबाद उप जिलाधिकारी अमित भट्ट ने मौके पर पहुंच जिम्मेदारों को मामले से आगाह कराया.
  • इसके बाद बाराबंकी और सीतापुर के संबंधित अधिकारी बांध को मजबूत करने में जुट गए.
  • वहीं बारिश होने के बाद घाघरा में बैराजों से छोड़े गए पानी ने अब अपना रौद्ररूप दिखाना शुरू कर दिया है. इससे ग्रामीण काफी सहम गया है.
  • प्रशासन कई पॉकलैंड व जेसीबी की मदद से बांध को बचाने का प्रयास कर रहा है.

अगर बांध को नुकसान पहुंचा तो क्षेत्र के केवड़ा, बगस्ती, शुकुलपुरवा, सोहरिया, पारा, रमनगरा, कनरखी, धांधी, कोठार, अफसेरिया, टेरवा मनिकापुर, दहला, धौरहरा सहित 12 से अधिक गांवों का अस्तित्व मिट जायेगा. बांध में बुधवार की रात से शुरू हुई कटान से ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन शुरू कर दिया है. हम बांध को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
-एसके गोस्वामी, एसडीओ

सीतापुर: घाघरा नदी के तेज बहाव से इन दिनों बांध कटने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में यदि बांध कटा तो 12 से अधिक गांवों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. बढ़ती कटान को लेकर प्रशासन काफी चौकन्ना है. सिंचाई विभाग के अधिकारी जेसीबी के साथ करीब चार सौ मजदूरों को लेकर बांध को कटान से बचाने के लिए जुटे हुए हैं. प्रशासन भी बांध बचाव के लिए हो रहे कार्य की लगातार मॉनीटरिंग कर रहा है.

सीतापुर के बांध पर मंडरा रहा खतरा.
बाढ़ से बचाने के लिए सरकार द्वारा काशीपुर-मल्लापुर से बाराबंकी के गणेशपुर तक 35 किमी लंबे बांध का निर्माण किया गया था. 35 किमी लंबे बांध का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से कराया गया था. इस बांध के बन जाने से प्रतिवर्ष घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ की भेंट चढ़ने वाले गांवों को काफी राहत मिल गयी थी.
  • इस बार जून माह से ही घाघरा में पानी बढ़ने के साथ बांध की मजबूती पर सवाल उठने लगे थे.
  • इससे आक्रोशित गांजर स्वाभिमान मंच के लोगों ने बांध बचाओ का नारा देते हुए जनांदोलन शुरू किया. बांध पर ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन भी किया.
  • तत्कालीन महमूदाबाद उप जिलाधिकारी अमित भट्ट ने मौके पर पहुंच जिम्मेदारों को मामले से आगाह कराया.
  • इसके बाद बाराबंकी और सीतापुर के संबंधित अधिकारी बांध को मजबूत करने में जुट गए.
  • वहीं बारिश होने के बाद घाघरा में बैराजों से छोड़े गए पानी ने अब अपना रौद्ररूप दिखाना शुरू कर दिया है. इससे ग्रामीण काफी सहम गया है.
  • प्रशासन कई पॉकलैंड व जेसीबी की मदद से बांध को बचाने का प्रयास कर रहा है.

अगर बांध को नुकसान पहुंचा तो क्षेत्र के केवड़ा, बगस्ती, शुकुलपुरवा, सोहरिया, पारा, रमनगरा, कनरखी, धांधी, कोठार, अफसेरिया, टेरवा मनिकापुर, दहला, धौरहरा सहित 12 से अधिक गांवों का अस्तित्व मिट जायेगा. बांध में बुधवार की रात से शुरू हुई कटान से ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन शुरू कर दिया है. हम बांध को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
-एसके गोस्वामी, एसडीओ

Intro:सीतापुर: घाघरा नदी के तेज बहाव से इन दिनों बांध कटने का खतरा मंडरा रहा है.ऐसे में यदि बांध कटा तो दर्जन भर से अधिक गांवों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.बांध की ओर बढ़ती कटान को लेकर प्रशासन काफी चौकन्ना है सिंचाई विभाग के अधिकारी जेसीबी के साथ करीब चार सौ मजदूरो को लेकर बांध को कटान से बचाने के लिए दिन-रात एक करके जुटे हैं.प्रशासन भी बांध बचाव के लिए रहे कार्य की लगातार मानीटरिंग कर रहा है.
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जिले के गांजरी क्षेत्र को बांढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए सरकार द्वारा काशीपुर-मल्लापुर से चहलारी घाट होते हुए बाराबंकी के गणेशपुर तक 35 किमी लंबे बांध का निर्माण करोड़ों रुपए की लागत से कराया गया था.इस बांध के बन जाने से प्रतिवर्ष घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ की भेंट चढ़ने वाले गांवों को काफी राहत मिल गयी थी. इस बार जून माह से ही घाघरा में पानी बढ़ने के साथ बांध की मजबूती पर सवाल उठने लगे थे. इससे आक्रोशित गांजर स्वाभिमान मंच के लोगों ने बांध बचाओ का नारा देते हुए जनांदोलन शुरू करते हुए बंधे पर सैकड़ों ग्रामीणों के साथ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था.तत्कालीन महमूदाबाद उप जिलाधिकारी अमित भट्ट के मौके पर पहुंच जिम्मेदारों को मामले से आगाह कराया था.इसके बाद बाराबंकी व सीतापुर के संबंधित अधिकारी बांध को मजबूत करने में जुट गए थे किंतु बारिश होने के बाद घाघरा में बैराजों से छोड़े गए पानी ने जब अपना रौद्ररूप दिखाना शुरू किया तो सभी सहम गए. घाघरा की प्रचंड धारा ने धीरे-धीरे बंधे की ओर रुख करना शुरू कर दिया तो यहां पास के करीब दर्जनभर गांवों के वासिंदों की सांसे थमने लगी.कई गांवों के ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन भी शुरू कर दिया था. जिसके बाद प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया और कई पोकलैंड व जेसीबी के मदद से कारब चार सौ से भी अधिक मजदूरों कई स्वयंसेवी संगठनों की मदद से दिन-रात एक करके बांध को बचाने का प्रयास जारी रखा. किंतु घाघरा की धारा बंधे से सटकर बह रही है जिससे लोगो की सांसें थमी हुई हैं.
ऐसे में अगर बांध को नुकसान पहुंचा तो क्षेत्र के केवड़ा, बगस्ती, शुकुलपुरवा, सोहरिया, पारा, रमनगरा, कनरखी, धांधी, कोठार, अफसेरिया, टेरवा मनिकापुर, दहला, धौरहरा सहित दर्जन भर से अधिक गांवों का अस्तित्व मिट जायेगा.बंधे में बुधवार की रात से शुरू हुई कटान से इन गांवों ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानोंकेलिए पलायन भी शुरू कर दिया था किंतु संबंधित अधिकारी बांध को कटान से बचाने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं.Conclusion:बाइट-एस. के. गोस्वामी (एसडीओ-सिंचाई खंड)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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