सीतापुर: जिले में 29 जून को मजदूरों ने जमकर प्रदर्शन किया. संगतिन किसान मजदूर संगठन ने सोमवार को 8 विकास खण्डों के 150 गांवों में मजदूरों ने प्रदर्शन किया. संगठन ने रोजगार के कार्य दिवस और मजदूरी बढ़ाए जाने की मांग की है. इस संबंध में अलग-अलग स्तर पर ज्ञापन भेजे गए हैं.
संगतिन किसान मजदूर संगठन की संयोजिका ऋचा सिंह के अनुसार मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर जिले के कई इलाकों में प्रदर्शन किया. जिले के मिश्रिख, पिसावां, एलिया, महोली, मछरेहटा, खैराबाद, हरगांव और गोंदलामऊ के करीब 150 ग्राम सभाओं में मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कार्यस्थलों और कारखानों के बन्द होने से करोड़ों श्रमिक अपने गांव लौट रहे हैं. इससे मनरेगा के तहत रोजगार की मांग काफी बढ़ गई है. अधिकांश लोगों को इस योजना के तहत ही रोजगार दिया जा रहा है.
मजदूरों ने की मांग
मजदूरों का कहना है कि इन परिस्थितियों में सौ दिन प्रति परिवार के काम की गारंटी बहुत ही अपर्याप्त है. ऐसी स्थिति में वार्षिक रोजगार गारंटी को दो सौ दिन करने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार मनरेगा मजदूरी दर 600 रुपया प्रतिदिन करने की जरूरत है. इसी को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जा रहा है.
संयोजिका ने दी जानकारी
संगतिन किसान मजदूर संगठन की संयोजिका ऋचा सिंह ने कहा कि सोमवार को पूरे जिले में किसान इन्हीं मांगों के समर्थन में लामबंद हैं. अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरों के हितों को लेकर आगे संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी.
कब हुआ नरेगा से मनरेगा
नरेगा का नामकरण महात्मा गांधी के नाम पर करने की घोषणा 2 अक्टूबर, 2009 को गांधी जयंती के अवसर पर की थी. परिणामस्वरूप वर्ष 2005 में बने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम औपचारिक रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना मांग आधारित रोजगार कार्यक्रम है. प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक गरीबी की रेखा से नीचे के परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करना चाहें. उन्हें कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है.