सीतापुर: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की धर्मपत्नी मां सीता के नाम बसे सीतापुर जिले में इस बार दशहरे के पावन अवसर पर राम की लीलाओं का मंचन नहीं हुआ. यहां के लोग इस बार लोक संस्कृति पर आधारित इस कार्यक्रम का आनंद उठाने से वंचित रहे. प्रशासन ने कोविड गाइडलाइंस का हवाला देकर भीड़ पर अंकुश लगाने पर जोर दिया, तो रामलीला कमेटियों ने भी अपने हाथ खींचते हुए इस बार रामलीला न कराने का निर्णय लिया.
सीतापुर शहर के तरीनपुर स्थित मेला मैदान में करीब 129 सालों से अनवरत रामलीला होती चली आ रही है. पिल्लू बाबू के परिवार ने इस रामलीला की शुरुआत की थी और मेला मैदान के लिए अपनी जमीन भी दी थी. तब से यहां पर प्रतिवर्ष भव्य रामलीला आयोजित की जाती है. यहां पर मथुरा-वृंदावन और अन्य स्थानों से आए कलाकार राम की लीलाओं का मंचन करते थे, जबकि रात्रिकालीन कार्यक्रमों की श्रृंखला में मनोरंजक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जाती थी. लोक संस्कृति पर आधारित इस कार्यक्रम पर इस बार कोरोना महामारी का ऐसा असर पड़ा कि रामलीला का कार्यक्रम ही पूरी तरह निरस्त हो गया.
शहर की सबसे पुरानी तरीनपुर स्थित इस रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों ने इस बार सिर्फ रस्मअदायगी का ही काम किया. दस दिन तक चलने वाली रामलीला के मंच पर सजीव प्रसारण के बजाय सिर्फ 5 दिन प्रोजेक्टर के माध्यम से ही रामायण सीरियल का प्रसारण किया गया. इस रामलीला की शुरुआत करने वाले परिवार के सदस्य सोनम सिन्हा का कहना है कि हमेशा भव्य रूप से आयोजित होने वाली रामलीला इस बार सिर्फ परम्परा निभाने तक ही सीमित रही.
शहर में लोनियनपुरवा और सदर बाजार के अलावा लालबाग पार्क में होने वाली रामलीला भी इस बार नहीं हुई. लालबाग रामलीला में सहयोग करने वाले अन्नपूर्णा सेवा संस्थान के अध्यक्ष अनिल द्विवेदी के मुताबिक लालबाग पार्क इन दिनों लोंगो की भीड़ से गुलजार रहता था, जबकि इस बार यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. उनका कहना है कि प्रशासन को इस आयोजन में सहयोग करना चाहिए था, लेकिन ऐसा न होने से इस बार धर्म और अध्यात्म की सीतानगरी के लोग भगवान राम की लीलाओं का सजीव प्रसारण देखने से वंचित रहे.