सीतापुर: वैश्विक महामारी कोरोना का प्रकोप अभी थमता नहीं दिख रहा है. भारत मे भी इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप पर अंकुश पाने के लिए केन्द्र सरकार ने तीन सप्ताह के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है. हर एक की जुबान पर कोरोना वायरस का जिक्र है, इसी बीच सीतापुर का कोरौना गांव भी चर्चा में आ गया है. कोरोना महामारी के कारण कोरौना गांव के लोगों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सीतापुर की मिश्रित तहसील के अंतर्गत एक गांव आता है कोरौना. यह गांव धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध रहा है. होली पर्व के पंद्रह दिन पहले नैमिषारण्य से शुरू होने वाली 84 कोसीय परिक्रमा का पहला पड़ाव इसी कोरौना गांव में पड़ता है. यहां पर द्वारकाधीश का प्राचीन मन्दिर भी है, जिसमे परिक्रमा के समय लाखों श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं और प्रतिवर्ष यहां पर आस्था का जनसैलाब उमड़ता है. सतयुग कालीन 84 कोसीय परिक्रमा का पहला पड़ाव होने के कारण इस गांव की काफी मान्यता है, लेकिन इन दिनों यह गांव अपने नामकरण के कारण अभिशप्त सा हो गया है. यहां के लोगों को गांव के नाम के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
इन दिनों जिस कोरोना नामक विश्वव्यापी महामारी से हर कोई भयभीत है. उसी के नाम से इस गांव के नाम की काफी कुछ समानता होने के कारण लोग कोरौना के लोगों से ही काफी दूरी बनाये हुए हैं.
इस गांव के चाहे पैतृक निवासी हो या फिर बाद में आकर बसे लोग इस समय गांव में रहने वाला हर कोई इंसान कोरोना इफेक्ट के चलते असहज स्थिति का सामना कर रहा है. ब्राम्हण और यादव बाहुल्य इस गांव में कोरोना के संक्रमण की काली छाया तक नहीं पड़ी है, लेकिन बावजूद इसके यहां के लोग छुआछूत और दहशत का पर्याय बन गए हैं. कुल मिलाकर कोरोना की महामारी फैलने के कारण कोरौना गांव भले ही चर्चा में आ गया हो, लेकिन यहां के लोगों को इस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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कोरोना की तरह हम लोग भी छुआछूत का शिकार हो गए हैं, जिसको भी फोन करके यह बताते हैं कि हम कोरौना से बोल रहे हैं वह नाम बताने के पहले ही या तो फोन काट देता है या फिर उसे मजाक समझता है. रास्ते में भी आते जाते समय पुलिस को कोरोना का निवासी बताते ही वे इसका गलत अर्थ समझकर अभद्रता भी करने लगते हैं.
राम जी दीक्षित, स्थानीय निवासी