सीतापुर: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने वाले हैं. सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं. ईटीवी भारत की टीम ने सीतापुर के रालामऊ गांव में हुए विकास कार्यों की पड़ताल की. मछरेहटा विकास खण्ड क्षेत्र के रालामऊ गांव की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. गांव के लोग आज भी बतदर जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. सीतापुर शहर से 45 किलोमीटर दूर रालामऊ गांव नैमिषारण्य जाने वाले मुख्य मार्ग पर बसा हुआ है. गांव की आबादी करीब 3000 से अधिक है. यहां पर कोई विकास कार्य नहीं कराए जाने पर ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान की हकीकत बयां की है.
जलभराव की समस्या से परेशान ग्रामीण
सरकार भले ही स्वच्छ भारत मिशन पर पानी की तरह पैसा बहा रही हो, लेकिन रालामऊ गांव में जलभराव की समस्या बनी हुई. लोग इस गंदगी के बीच रहने को मजबूर बने हुए है. गांव में नालियों का अभाव है. जो नालियां वर्षों पहले बनी थी वह टूट चुकी हैं. जिससे लोगों के घरों का गंदा पानी रास्तों पर भरा रहता है. गांव की मुख्य सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढों में जलभराव होने के कारण आए दिन लोग इनमें गिरकर चोटिल हो जाते हैं. गांव के लोग बुनियादी जरूरतों से वंचित बने हुए है. इस गांव में अब तक 90 प्रतिशत लोगों के शौचालय ही नहीं बने हैं. जिन लोगों के शौचालयों का निर्माण प्रधान द्वारा कराया गया वह सभी अनुपयोगी बने हुए हैं. ऐसे में लोग खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं.
अपात्रों को मिला आवासों का लाभ
गांव में गरीब कच्चे घर और झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं. सरकार भले ही गरीबों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना चला रही है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और खाऊ-कमाऊ नीति के चलते गरीब पात्रों को आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिम्मेदार प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी ने उन्हीं लोगों को आवास का लाभ दिया जिसने 20,000 रुपये या उससे अधिक रुपये प्रधान को नजराना पेश किया है. भ्रष्टाचार के चलते गांव के गरीब लोगों को आवास, शौचालय आदि का लाभ नहीं मिल रहा है. ग्रामीण मीना सिंह ने बताया कि उन्हें शौचालय का लाभ नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष हुई ओलावृष्टि में उनकी गेहूं की सारी फसल खराब हो गई है, जिसका उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला है.
गांव में पेयजल की गंभीर समस्या
साल 2008-09 में गांव में लगभग 1 करोड़ की लागत से बनाई गई पानी की टंकी का लाभ आज तक लोगों को नहीं मिल रहा है. निर्माण के दौरान जो पाईप लाइन डाली गई थी वह चालू होने से पहले ही खराब हो गई. गांव में जो हैण्डपम्प लगाए गए थे उनमें से अधिकांश हैण्डपम्प वर्षों से खराब पड़े हुए हैं.
कागजों पर हुआ विकास
गांव के विकास कार्यों की कार्य योजना बनाने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है, लेकिन रालामऊ के प्रधान पर विकास कार्य नहीं कराने का आरोप है. ऐसा नहीं है कि गांव के विकास के लिए फंड नहीं आया. पिछले 5 वर्षों में गांव के विकास के लिए चतुर्थ राज्य वित्त, 14वां वित्त, पंचम वित्त, 15वां वित्त, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन आदि के तहत करोड़ों रुपये गांव के विकास के लिए आए, लेकिन रालामऊ गांव में विकास कार्य कागजों पर सिमट कर रह गया.