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सीतापुर: ग्राम विकास योजनाओं में नहीं थम रहा भ्रष्टाचार, 14 पंचायत सेक्रेटरी निलंबित

प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. जिलाधिकारी ने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के बाद दोषी पाये गये 14 पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया है.

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Published : Dec 11, 2019, 6:08 PM IST

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ग्राम विकास योजनाओं में थम नहीं रहा भ्रष्टाचार.

सीतापुर: गांवों के विकास और सौन्दर्यीकरण के लिए लागू योजनाओं में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ग्राम प्रधान और पंचायत सेक्रेटरी इन योजनाओं को खाने-कमाने का जरिया बनाये हुए हैं जिसके चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिलाधिकारी ने दोषी पाये 14 पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया है.

ग्राम विकास योजनाओं में थम नहीं रहा भ्रष्टाचार.

पंचायत सचिव को किया गया निलंबित

  • केन्द्र और राज्य सरकारें गांवों के विकास के लिए तमाम योजनाओं को लागू करती हैं.
  • इन योजनाओं में राज्य वित्त और शौचालय निर्माण की योजना वर्तमान में सबसे प्रमुख है.
  • जानकारों की मानें तो इन्हीं योजनाओं में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.
  • जिला पंचायती राज अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक डीएम स्तर से प्राप्त कई शिकायतें मिलीं.
  • इन शिकायतों में से इस समय 137 मामलों की जांच चल रही है.
  • उनमें 14 मामलों में पंचायत सचिव दोषी पाए गए.
  • दोषी पाये गये पंचायत सचिवों को निलंबित किया जा चुका है.
  • ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया गया है.

इसे भी पढ़ें- सीएबी के खिलाफ पूर्वोत्तर में प्रदर्शन जारी, असम में हिंसा

जानें क्या कहते हैं शिकायतकर्ता
ग्राम विकास से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों का कहना है कि ऐसी जांचों को लंबे समय तक लटकाया जाता है और फिर उनमें लीपापोती की जाती है. कुछ मामलों में तो जांच पूरी होने के बाद भी कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है.

सीतापुर: गांवों के विकास और सौन्दर्यीकरण के लिए लागू योजनाओं में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ग्राम प्रधान और पंचायत सेक्रेटरी इन योजनाओं को खाने-कमाने का जरिया बनाये हुए हैं जिसके चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिलाधिकारी ने दोषी पाये 14 पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया है.

ग्राम विकास योजनाओं में थम नहीं रहा भ्रष्टाचार.

पंचायत सचिव को किया गया निलंबित

  • केन्द्र और राज्य सरकारें गांवों के विकास के लिए तमाम योजनाओं को लागू करती हैं.
  • इन योजनाओं में राज्य वित्त और शौचालय निर्माण की योजना वर्तमान में सबसे प्रमुख है.
  • जानकारों की मानें तो इन्हीं योजनाओं में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.
  • जिला पंचायती राज अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक डीएम स्तर से प्राप्त कई शिकायतें मिलीं.
  • इन शिकायतों में से इस समय 137 मामलों की जांच चल रही है.
  • उनमें 14 मामलों में पंचायत सचिव दोषी पाए गए.
  • दोषी पाये गये पंचायत सचिवों को निलंबित किया जा चुका है.
  • ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया गया है.

इसे भी पढ़ें- सीएबी के खिलाफ पूर्वोत्तर में प्रदर्शन जारी, असम में हिंसा

जानें क्या कहते हैं शिकायतकर्ता
ग्राम विकास से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत दर्ज कराने वाले लोगों का कहना है कि ऐसी जांचों को लंबे समय तक लटकाया जाता है और फिर उनमें लीपापोती की जाती है. कुछ मामलों में तो जांच पूरी होने के बाद भी कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है.

Intro:सीतापुर: गांवो के विकास और सुन्दरीकरण के लिए लागू योजनाओं में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है.ग्राम प्रधान औऱ पंचायत सेक्रेटरी इन योजनाओं को खाने-कमाने का जरिया बनाये हुए हैं जिसके चलते ग्रामीणों को इसका लाभ नही मिल पा रहा है. जिलाधिकारी के स्तर से जिन मामलों की जांच कराई गई है उनमें 14 पंचायत सेक्रेट्रियो को निलंबित किया जा चुका है जबकि प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है.


Body:केन्द्र और राज्य सरकारें गांवों के विकास के लिए तमाम योजनाओं को लागू करती है. इनमें राज्य वित्त, चौदहवां वित्त और शौचालय निर्माण की योजना वर्तमान में सबसे प्रमुख है.जानकारों की माने तो इन्ही योजनाओं में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के आंकड़ो के मुताबिक जिलाधिकारी स्तर से प्राप्त शिकायतों में इस समय 137 मामलों की जांचे चल रही है इनमें अब तक जो जांच आख्यायें प्राप्त हुई हैं उनमें 14 मामलों में दोषी पाए गए पंचायत सचिवों को निलंबित किया जा चुका है जबकि ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी किया गया है.


Conclusion:हालांकि इसके बावजूद ग्राम विकास से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत दर्ज कराने वाले लोंगो का कहना है कि ऐसी जांचों को लंबे समय तक लटकाया जाता है और फिर उनमें लीपापोती की जाती है.कुछ मामलों में तो जांच पूरी होने के बाद भी कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है.

बाइट-नरेश शुक्ल (आरटीआई एक्टिविस्ट)
बाइट-इन्द्र नारायण सिंह (डीपीआरओ)

सीतापुर से नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट,9415084887
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