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डुमरियागंज में सहभोज कार्यक्रम का किया गया आयोजन - डुमरियागंज विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह

सिद्धार्थनगर जिले में सहभोज कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों ने एक साथ बैठकर खिचड़ी ग्रहण किया. इस दौरान डुमरियागंज विधायक ने कहा कि सहभोज आपसी मतभेद मिटाता है और ऊंच-नीच, जाति-पाति का भेद समाप्त करता है.

विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह
विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह
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Published : Feb 1, 2021, 3:33 AM IST

सिद्धार्थनगर: जिले के डुमरियागंज के बयारा गांव में सहभोज कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे और एक साथ बैठकर खिचड़ी ग्रहण किया. खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम को संबोधित कर रहे विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि समरसता की आवश्यकता हर जगह है. इसके लिए सहभोज का आयोजन महत्वपूर्ण है. एकजुटता समाज और देश के विकास को मजबूती प्रदान करेगी. सामाजिक सौहार्द के लिए सहभोज कार्यक्रम की परंपरा प्राचीन समय से रही है. इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता बनी रहे.

रविवार को खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम में एक साथ बैठकर तमाम लोगों ने प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण किया. कार्यक्रम में विधायक ने कहा कि इसका प्रचलन भारतीय संस्कृति में आदिकाल से है. वेदों और शास्त्रों में असमर्थता के अनेक उदाहरण हैं. सामाजिक सौहार्द कायम करने में इसका खासा महत्व है. सहभोज आपसी मतभेद मिटाता है. ऊंच-नीच, जाति-पाति का विभेद समाप्त करता है. हर ग्राम पंचायतों में माह में एक बार सहभोज का कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए, जिससे एकता का भाव और मजबूत हो.

सिद्धार्थनगर: जिले के डुमरियागंज के बयारा गांव में सहभोज कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे और एक साथ बैठकर खिचड़ी ग्रहण किया. खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम को संबोधित कर रहे विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि समरसता की आवश्यकता हर जगह है. इसके लिए सहभोज का आयोजन महत्वपूर्ण है. एकजुटता समाज और देश के विकास को मजबूती प्रदान करेगी. सामाजिक सौहार्द के लिए सहभोज कार्यक्रम की परंपरा प्राचीन समय से रही है. इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता बनी रहे.

रविवार को खिचड़ी सहभोज कार्यक्रम में एक साथ बैठकर तमाम लोगों ने प्रसाद के रूप में खिचड़ी ग्रहण किया. कार्यक्रम में विधायक ने कहा कि इसका प्रचलन भारतीय संस्कृति में आदिकाल से है. वेदों और शास्त्रों में असमर्थता के अनेक उदाहरण हैं. सामाजिक सौहार्द कायम करने में इसका खासा महत्व है. सहभोज आपसी मतभेद मिटाता है. ऊंच-नीच, जाति-पाति का विभेद समाप्त करता है. हर ग्राम पंचायतों में माह में एक बार सहभोज का कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए, जिससे एकता का भाव और मजबूत हो.

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