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भारत-कोरिया मैत्री संबंध के 50 वर्ष पूर्ण, सारनाथ से पैदल यात्रा कर श्रावस्ती पहुंचा बौद्ध भिक्षुओं का दल - भारत कोरिया दोस्ती

भारत और कोरिया के बीच राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने पर बौद्ध भिक्षुओं का दल सारनाथ से पैदल चलकर श्रावस्ती पहुंचा.श्रावस्ती में इनको भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया.

श्रावस्ती
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Published : Mar 21, 2023, 8:48 AM IST

श्रावस्ती: विश्व बंधुत्व, एकता और शांति का पैगाम लेकर दक्षिण कोरिया के 108 सदस्यीय शिष्ट मंडल का दल सारनाथ से पैदल यात्रा करते हुए सोमवार को बौद्ध स्थली श्रावस्ती पहुंचा. यहां पर जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने अभिनंदन और स्वागत किया. भारत-दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने पर विश्व शांति का संदेश लेकर पदयात्रा पर निकले बौद्ध भिक्षुओं के दल को भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा एवं अंगवस्त्र भेंटकर शिष्ट मंडल का सम्मान भी किया गया.

इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्वरल स्टडिन के डायरेक्टर डॉ. आशीष भावे, कोरिया के विशेषज्ञ डॉ. नवनीत, डॉ. कर्मा भूटिया सहित कोरिया गणराज्य के शिष्टमंडल में शामिल बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए संदेश पर प्रकाश डालते हुए विश्व शांति एवं मानव कल्याण के लिए प्रार्थना की. जेतवन के गंधकुटी पर विशेष पूजा-अर्चना की. फूल मालाओं से गंधकुटी को आकर्षक ढंग से सजाया गया था, जहां गुलाब के फूलों की महक सुगंधित हवाओं के साथ अपना महत्व बिखेर रही थी. बौद्ध भिक्षुओं के गुरु बौद्ध भिक्षु ने कहा कि भगवान बुद्ध ने भारत से ही पूरे विश्व को शांति व सच्चाई का संदेश दिया. भगवान बुद्ध की बौद्ध स्थली श्रावस्ती की धरती पूजनीय है.

इस यात्रा से भारत और कोरिया के बीच संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे. वहीं, इसमें दोनों देश की सभ्यता एवं संस्कृति का आदान-प्रदान होगा. उप जिलाधिकारी इकौना रोहित व आशुतोष ने बताया कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मैत्री संबंध के 50 वर्ष पूर्ण होने पर विश्व शांति का संदेश लेकर पदयात्रा पर निकले बौद्ध भिक्षुओं का दल 43 दिन में 1167 किलोमीटर की यात्रा सारनाथ से शुरू की, जो बोधगया, राजगीर, नालंदा, वैशाली, कुशीनगर, लुंबिनी से कपिलवस्तु, ओझाझार बलरामपुर होते हुए गौतमबुद्ध भगवान की तपोस्थली कटरा श्रावस्ती पहुंची. दक्षिण कोरिया के 108 सदस्यीय शिष्टमंडल दल द्वारा श्रावस्ती में भ्रमण के दौरान आनंद बोधि वृक्ष, शिवली स्तूप, कौशांबी कुटी, सभा मंडप, सूर्यकुंड आदि का भ्रमण कर जायजा लिया और पूजा-अर्चना भी की.

इस कोरियाई दल में संग्वांगेल्सा सोसाइटी के श्रद्धेय हीबोंग जसूंग महाथेरो, 108 पदयात्री कोरियन लामा, कोरिया के मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट, वरिष्ठ अधिकारी, बुद्धपाला भंते, जोगिए ऑर्डर के सोशल और इंटरनेशनल अफ़ेयर्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर वेनरेबल बियोम जांग शामिल रहे. वहीं, भारत से डॉ. भिक्कू आर्य वंश महास्थवीर, आईबीसी के प्रतिनिधि, विश्व हिंदू परिषद के अधिकारी शामिल रहे. व्यवस्था में जिले के प्रशासन, पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगे रहे.

डॉ. आशीष भावे ने कहा कि अगर हम भारत और कोरिया के संबंधों की बात करें तो हम पाएंगे कि दोनों देशों के बीच का संबंध सदियों पुराना है. हमारे पूर्वजों ने बुद्धमत को सुदृढ़ करने और जंबूद्वीप याने भारतवर्ष से ज्ञान की परंपरा कोरिया तक ले जाने में बहुत योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि अब हमें ये कार्य करना होगा. दोनों देशों के बीच के राजनयिक संबंध के 50 वर्ष पूर्ण होने पर यह वर्तमान वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भगवान बुद्ध के पदचिह्नों पर चल रहे 108 बौद्ध भिक्षुओं की 43 दिनों में तय की गई 1167 किलोमीटर की इस अथक साधना का एक पड़ाव का दिन है.

यह भी पढ़ें: बहू और बेटे ने पूरी की मां की अंतिम इच्छा, गुजरात से स्ट्रेचर पर लाकर कराया ताज का दीदार

श्रावस्ती: विश्व बंधुत्व, एकता और शांति का पैगाम लेकर दक्षिण कोरिया के 108 सदस्यीय शिष्ट मंडल का दल सारनाथ से पैदल यात्रा करते हुए सोमवार को बौद्ध स्थली श्रावस्ती पहुंचा. यहां पर जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने अभिनंदन और स्वागत किया. भारत-दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष पूरे होने पर विश्व शांति का संदेश लेकर पदयात्रा पर निकले बौद्ध भिक्षुओं के दल को भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा एवं अंगवस्त्र भेंटकर शिष्ट मंडल का सम्मान भी किया गया.

इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्वरल स्टडिन के डायरेक्टर डॉ. आशीष भावे, कोरिया के विशेषज्ञ डॉ. नवनीत, डॉ. कर्मा भूटिया सहित कोरिया गणराज्य के शिष्टमंडल में शामिल बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए संदेश पर प्रकाश डालते हुए विश्व शांति एवं मानव कल्याण के लिए प्रार्थना की. जेतवन के गंधकुटी पर विशेष पूजा-अर्चना की. फूल मालाओं से गंधकुटी को आकर्षक ढंग से सजाया गया था, जहां गुलाब के फूलों की महक सुगंधित हवाओं के साथ अपना महत्व बिखेर रही थी. बौद्ध भिक्षुओं के गुरु बौद्ध भिक्षु ने कहा कि भगवान बुद्ध ने भारत से ही पूरे विश्व को शांति व सच्चाई का संदेश दिया. भगवान बुद्ध की बौद्ध स्थली श्रावस्ती की धरती पूजनीय है.

इस यात्रा से भारत और कोरिया के बीच संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे. वहीं, इसमें दोनों देश की सभ्यता एवं संस्कृति का आदान-प्रदान होगा. उप जिलाधिकारी इकौना रोहित व आशुतोष ने बताया कि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मैत्री संबंध के 50 वर्ष पूर्ण होने पर विश्व शांति का संदेश लेकर पदयात्रा पर निकले बौद्ध भिक्षुओं का दल 43 दिन में 1167 किलोमीटर की यात्रा सारनाथ से शुरू की, जो बोधगया, राजगीर, नालंदा, वैशाली, कुशीनगर, लुंबिनी से कपिलवस्तु, ओझाझार बलरामपुर होते हुए गौतमबुद्ध भगवान की तपोस्थली कटरा श्रावस्ती पहुंची. दक्षिण कोरिया के 108 सदस्यीय शिष्टमंडल दल द्वारा श्रावस्ती में भ्रमण के दौरान आनंद बोधि वृक्ष, शिवली स्तूप, कौशांबी कुटी, सभा मंडप, सूर्यकुंड आदि का भ्रमण कर जायजा लिया और पूजा-अर्चना भी की.

इस कोरियाई दल में संग्वांगेल्सा सोसाइटी के श्रद्धेय हीबोंग जसूंग महाथेरो, 108 पदयात्री कोरियन लामा, कोरिया के मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट, वरिष्ठ अधिकारी, बुद्धपाला भंते, जोगिए ऑर्डर के सोशल और इंटरनेशनल अफ़ेयर्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर वेनरेबल बियोम जांग शामिल रहे. वहीं, भारत से डॉ. भिक्कू आर्य वंश महास्थवीर, आईबीसी के प्रतिनिधि, विश्व हिंदू परिषद के अधिकारी शामिल रहे. व्यवस्था में जिले के प्रशासन, पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लगे रहे.

डॉ. आशीष भावे ने कहा कि अगर हम भारत और कोरिया के संबंधों की बात करें तो हम पाएंगे कि दोनों देशों के बीच का संबंध सदियों पुराना है. हमारे पूर्वजों ने बुद्धमत को सुदृढ़ करने और जंबूद्वीप याने भारतवर्ष से ज्ञान की परंपरा कोरिया तक ले जाने में बहुत योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि अब हमें ये कार्य करना होगा. दोनों देशों के बीच के राजनयिक संबंध के 50 वर्ष पूर्ण होने पर यह वर्तमान वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भगवान बुद्ध के पदचिह्नों पर चल रहे 108 बौद्ध भिक्षुओं की 43 दिनों में तय की गई 1167 किलोमीटर की इस अथक साधना का एक पड़ाव का दिन है.

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