सहारनपुर: प्रशासन ने तमाम धार्मिक स्थलों के साथ मस्जिदें भी खोलने के निर्देश दिए हैं. इस बीच शासन की तरफ से जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसके मुताबिक अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से मस्जिदों में जाने वालों के हाथ सैनिटाइज करने के निर्देश दिए हैं. इसे लेकर बरेलवी उलेमाओं ने फतवा जारी कर इस्लामिक मदरसों और मस्जिदों में अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर एतराज जताया है. उनका कहना है कि कुरान में शराब को हराम माना गया है. वहीं देवबन्दी उलेमाओं ने सैनिटाइजर के इस्तेमाल को न सिर्फ सही बताया है बल्कि इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम से लिखित जवाब मांगने की सलाह दी है.
सैनिटाइजर के प्रयोग को लेकर फतवा
ईटीवी भारत ने देवबंदी उलेमा कारी इशहाक गोरा से बात की. उनका कहना है कि सैनिटाइजर कई प्रकार का होता है. कुरान में सैनिटाइजर से गुरेज नहीं किया जा सकता जबकि शराब और मदिरा के सेवन को शरीयत के खिलाफ बताया है. अल्कोहल हाथों पर लगाने से कुछ नही होता. इसलिए सही जानकारी के लिए उलेमाओं और फतवा विभाग के मुफ्तियों से लिखित में राय ली जा सकती है.
देवबंदी उलेमा कारी इशहाक गोरा ने बताया कि सबसे पहले सैनिटाइज के अर्थ को समझने की जरूरत है. लोगो ने हैंड सेनिटाइजर को ही सैनिटाइज समझ लिया है, जबकि सैनिटाइज का मतलब स्वच्छ होता है यानि पूरी तरह सफाई. सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है, लेकिन अल्कोहल कई प्रकार का होता है. जो विभिन्न चीजों को मिलाकर बनाया जाता है. अगर ऐसे में किसी भी मुस्लिम को सैनिटाइजर को लेकर कोई आपत्ति हो तो वह बड़े मदरसों और दारुल इफ्ता विभाग यानि दारुल उलूम फतवा देवबंद के विभाग के उलेमाओं से लिखित में इसकी जानकारी ले सकते हैं. उलेमा इकराम जो भी उसका जवाब देंगे उसका पालन किया जाना जरूरी है.
शराब का सेवन है हराम
उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी तस्दीक के कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए. जब तक उलेमा और धर्म गुरु उसकी सही जानकारी न दें. हालांकि इस्लाम मे अल्कोहल के इस्तेमाल को हराम बताया गया है. यहां अल्कोहल का इस्तेमाल यानि शराब और मदिरा के सेवन को बताया गया है. शरीयत के मुताबिक इस्लाम में शराब पीना हराम करार दिया गया है, अन्य कामों में उसका प्रयोग नहीं. उलेमाओं के मुताबिक शराब पीने वाला मुसलमान स्वतः ही इस्लाम से खारिज हो जाता है, जबकि सैनिटाइजर में मिलाया गया अल्कोहल केवल हाथों पर लगाया जाता है जो कुछ क्षणों में उड़ कर साफ हो जाता है.