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शामली: नई वाहन नीति पर बढ़ी रार, स्कूलों में दो दिन की छुट्टी

उत्तर प्रदेश के शामली मे नई वाहन नीति प्राईवेट स्कूलों के लिए गले की फांस बन गया है. प्राईवेट स्कूल इस स्कूल वाहन नीति पर चलने के लिए तैयार नही हैं. डीएम ने 12वीं तक के स्कूलों में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है ताकि स्कूल इस संशोधन के अनुसार अमल कर सके.

गले की फांस बनी नई वाहन नीति
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Published : Aug 28, 2019, 5:51 PM IST

शामली: उत्तर प्रदेश में नई स्कूल वाहन नीति पर न तो प्राइवेट स्कूल चलने के लिए तैयार हैं और न ही सरकार इसमें कोई ढिलाई बरतने के मूड में नजर आ रही है. शामली जनपद में भी स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन के बीच हुई बैठक के बाद डीएम ने 12वीं तक के सभी प्राइवेट स्कूलों में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है, ताकि स्कूल संचालक नई वाहन नीति पर अमल कर सकें.

गले की फांस बनी नई वाहन नीति
इसे भी पढे़:-छात्र नेता की गोली मारकर हत्या

गले की फांस बनी नई वाहन नीति-

  • जिला प्रशासन द्वारा नई स्कूल वाहन नीति लागू करने की समयावधि 28 अगस्त निर्धारित की गई थी,
  • जिले के प्राईवेट स्कूलों ने नई स्कूल वाहन नीति पर हाथ खड़े करते हुए बच्चों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने से ही इंकार कर दिया.
  • इसके चलते पिछले काफी समय से अभिभावकों, स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी.
  • डीएम ने जिले के सभी प्राईवेट स्कूलों में दो दिनों के अवकाश की घोषणा की है.

बहुत दिनों से हो रही थी संशोधन की मांग-

  • सरकार द्वारा मोटर वाहन नियमावली 2019 के 26वें संशोधन के द्वारा स्कूल वाहनों के नियमों में भारी परिवर्तन कर दिया गया है,
  • जो कि बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत पूर्णरूप से न्याय संगत है, स्वागत योग्य है.
  • अभिभावकों द्वारा भी पिछले काफी समय से इसकी डिमांड की जा रही थी.
  • स्कूलों के लिए नई विद्यालय वाहन नीति लागू करना गले की फांस बन गई है.
  • स्कूल इस वाहन नीति को लागू करते हैं, तो बच्चों की ट्रांसपोर्ट फीस 200 गुना तक बढ़ सकती है.
  • अभिभावकों की जेब पर बढ़ते दबाव को देखते हुए ऐसे हालातों में स्कूलों द्वारा ट्रांसपोर्ट सुविधा जारी रखना असंभव है.


नई विद्यालय वाहन नीति-

  • स्कूली वाहनों को फिट रखने का संपूर्ण उत्तर दायित्व विद्यालय प्रबंधन के ऊपर होगा.
  • प्रत्येक बस में सीसीटीवी कैमरा एवं मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य है
  • बसों के चालकों एवं अटेंडेंट को निर्धारित वर्दी पहनना अनिवार्य होगा.
  • बसों में निर्धारित संख्या में भी बच्चों की मौजूदगी होनी चाहिए.

स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है. इसी क्रम में प्रशासन ने भी निर्देश निर्गत किए. उन्हीं निर्देषों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए लगभग एक महीना पहले विद्यालय प्रबंधकों और अभिभावकों के साथ बैठक की गई थी. नई व्यवस्था के लागू होने के परिणामस्वरूप स्कूली बस के किराए के संबंध में बढ़ोतरी की संभावना है. अभिभावकों का कहना है कि हम इस बढ़ोतरी का भार वहन करने के लिए सक्षम नही हैं. स्कूल प्रबंधकों ने भी समय मांगा है. इसके चलते दो दिनों तक प्राइवेट स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है. स्कूल प्रबंध तंत्र ने यह आवश्वासन दिया है कि इस शिक्षा सत्र में उनके द्वारा कोई फीस नहीं बढ़ाई जाएगी.
-अखिलेश कुमार सिंह, डीएम शामली

शामली: उत्तर प्रदेश में नई स्कूल वाहन नीति पर न तो प्राइवेट स्कूल चलने के लिए तैयार हैं और न ही सरकार इसमें कोई ढिलाई बरतने के मूड में नजर आ रही है. शामली जनपद में भी स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन के बीच हुई बैठक के बाद डीएम ने 12वीं तक के सभी प्राइवेट स्कूलों में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है, ताकि स्कूल संचालक नई वाहन नीति पर अमल कर सकें.

गले की फांस बनी नई वाहन नीति
इसे भी पढे़:-छात्र नेता की गोली मारकर हत्या

गले की फांस बनी नई वाहन नीति-

  • जिला प्रशासन द्वारा नई स्कूल वाहन नीति लागू करने की समयावधि 28 अगस्त निर्धारित की गई थी,
  • जिले के प्राईवेट स्कूलों ने नई स्कूल वाहन नीति पर हाथ खड़े करते हुए बच्चों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने से ही इंकार कर दिया.
  • इसके चलते पिछले काफी समय से अभिभावकों, स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी.
  • डीएम ने जिले के सभी प्राईवेट स्कूलों में दो दिनों के अवकाश की घोषणा की है.

बहुत दिनों से हो रही थी संशोधन की मांग-

  • सरकार द्वारा मोटर वाहन नियमावली 2019 के 26वें संशोधन के द्वारा स्कूल वाहनों के नियमों में भारी परिवर्तन कर दिया गया है,
  • जो कि बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत पूर्णरूप से न्याय संगत है, स्वागत योग्य है.
  • अभिभावकों द्वारा भी पिछले काफी समय से इसकी डिमांड की जा रही थी.
  • स्कूलों के लिए नई विद्यालय वाहन नीति लागू करना गले की फांस बन गई है.
  • स्कूल इस वाहन नीति को लागू करते हैं, तो बच्चों की ट्रांसपोर्ट फीस 200 गुना तक बढ़ सकती है.
  • अभिभावकों की जेब पर बढ़ते दबाव को देखते हुए ऐसे हालातों में स्कूलों द्वारा ट्रांसपोर्ट सुविधा जारी रखना असंभव है.


नई विद्यालय वाहन नीति-

  • स्कूली वाहनों को फिट रखने का संपूर्ण उत्तर दायित्व विद्यालय प्रबंधन के ऊपर होगा.
  • प्रत्येक बस में सीसीटीवी कैमरा एवं मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य है
  • बसों के चालकों एवं अटेंडेंट को निर्धारित वर्दी पहनना अनिवार्य होगा.
  • बसों में निर्धारित संख्या में भी बच्चों की मौजूदगी होनी चाहिए.

स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है. इसी क्रम में प्रशासन ने भी निर्देश निर्गत किए. उन्हीं निर्देषों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए लगभग एक महीना पहले विद्यालय प्रबंधकों और अभिभावकों के साथ बैठक की गई थी. नई व्यवस्था के लागू होने के परिणामस्वरूप स्कूली बस के किराए के संबंध में बढ़ोतरी की संभावना है. अभिभावकों का कहना है कि हम इस बढ़ोतरी का भार वहन करने के लिए सक्षम नही हैं. स्कूल प्रबंधकों ने भी समय मांगा है. इसके चलते दो दिनों तक प्राइवेट स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है. स्कूल प्रबंध तंत्र ने यह आवश्वासन दिया है कि इस शिक्षा सत्र में उनके द्वारा कोई फीस नहीं बढ़ाई जाएगी.
-अखिलेश कुमार सिंह, डीएम शामली

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उत्तर प्रदेश में नई स्कूल वाहन नीति पर न तो प्राईवेट स्कूल चलने के लिए तैयार हैं, और न ही सरकार इसमें कोई ढ़िलाई बरतने के मू्ंड में नजर आ रही है. शामली जनपद में भी स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन के बीच हुई बैठक के बाद डीएम ने 12वीं तक के सभी प्राईवेट स्कूलों में दो दिन के अवकाश की घोषणा की है, ताकि स्कूल संचालक नई वाहन नीति पर अमल कर सकें.

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शामली: जिला प्रशासन द्वारा नई स्कूल वाहन नीति लागू करने की समयावधि 28 अगस्त निर्धारित की गई थी, लेकिन जिले के प्राईवेट स्कूलों ने नई स्कूल वाहन नीति पर हाथ खड़े करते हुए बच्चों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने से ही इंकार कर दिया. इसके चलते पिछले काफी समय से अभिभावकों, स्कूल संचालकों और जिला प्रशासन में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. 27 अगस्त को जिला प्रशासन और स्कूल संचालकों की बैठक के बाद डीएम ने जिले के सभी प्राईवेट स्कूलों में दो दिनों के अवकाश की घोषणा की है, ताकि स्कूल संचालक नई वाहन नीति के तहत व्यवस्थाओं पर अमल कर सकें.

क्या है पूरा मामला?
सरकार द्वारा मोटर वाहन नियमावली 2019 के 26वें संशोधन के द्वारा स्कूल वाहनों के नियमों में भारी परिवर्तन कर दिया गया है, जो कि बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत पूर्णरूप से न्याय संगत है, स्वागत योग्य है. अभिभावकों द्वारा भी पिछले काफी समय से इसकी डिमांड की जा रही थी, लेकिन स्कूलों के लिए नई विद्यालय वाहन नीति लागू करना गले की फांस बन गई है. स्कूल संचालकों ने संदेश भेजकर अभिभावकों को यह बताया गया कि यदि स्कूल इस वाहन नीति को लागू करते हैं, तो बच्चों की ट्रांसपोर्ट फीस 200 गुना तक बढ़ सकती है. अभिभावकों की जेब पर बढ़ते दबाव को देखते हुए ऐसे हालातों में स्कूलों द्वारा ट्रांसपोर्ट सुविधा जारी रखना असंभव है।

यह है नई विद्यालय वाहन नीति
. स्कूली वाहनों को फिट रखने का संपूर्ण उत्तर दायित्व विद्यालय प्रबंधन के ऊपर
. प्रत्येक बस में सीसीटीवी कैमरा एवं मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य
. बसों के चालकों एवं अटेंडेंट को निर्धारित वर्दी पहनना अनिवार्य
. बसों में निर्धारित संख्या में भी बच्चों की मौजूदगी.Conclusion:
इन्होंने कहा—
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है. इसी क्रम में प्रशासन ने भी निर्देश निर्गत किए. उन्हीं निर्देषों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए लगभग एक महीना पहले विद्यालय प्रबंधकों और अभिभावकों के साथ बैठक की गई थी. नई व्यवस्था के लागू होने के परिणामस्वरूप स्कूली बस के किराए के संबंध में बढ़ोत्तरी की संभावना है. अभिभावकों का कहना है कि हम इस बढ़ोत्तरी का भार वहन करने के लिए सक्षम नही हैं. स्कूल प्रबंधकों ने भी दिनों दिनों का समय मांगा है. इसके चलते दो दिनों तक प्राईवेट स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है. स्कूल प्रबंध तंत्र ने यह आवश्वासन दिया है कि इस शिक्षा सत्र में उनके द्वारा कोई फीस नही बढ़ाई जाएगी.
— अखिलेश कुमार सिंह, डीएम शामली

बाइट: अखिलेश कुमार सिंह, डीएम शामली

Reporter: sachin sharma
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