शामली: कैराना में पलायन, मुजफ्फरनगर दंगा और तालिबानीकरण पर बयान देने के बाद सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ वेस्ट यूपी की जनता को लुभा चुके हैं. कैराना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभा के बाद सरकार के विपक्षी खेमे सक्रिय हो गए हैं.
सरकार के खिलाफ सधी हुई रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी कैराना से चलने वाली वेस्ट यूपी की सियासत पर अपनी नजरें गड़ा ली है. इसी के चलते 12 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में कैराना में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत इस महापंचायत को संबोधित करंगे. किसानों की महापंचायत को सफल बनाने के लिए भाकियू कार्यकर्ताओं ने कमर कस ली है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप पंवार ने बताया कि किसान आंदोलन को एक साल हो गया है, लेकिन सरकार किसानों की नहीं सुन रही है. इसके चलते संयुक्त मोर्चा विभिन्न तरीकों से सरकार का विरोध कर रहा है. सरकार को जगाने का काम कर रहा है. हरियाणा में सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आने का विरोध किया जा रहा है. इसी के तहत उत्तर प्रदेश में भी ये तय किया गया है कि जहां भी मुख्यमंत्री मीटिंग करेगें, वहां पर ही संयुक्त मोर्चा की मीटिंग होगी. इसी के तहत कैराना में 12 दिसंबर की पंचायत का आयोजन किया गया है.
कुलदीप का कहना है कि वैसे तो यह पंचायत का आयोजन जल्द किया जाना था लेकिन बीच में किसान मोर्चा की लखनऊ में 22 तारीख को पंचायत है, जबकि 29 को संसद का घेराव भी होना है. इसी के चलते कैराना में होने वाली किसान महापंचायत 12 दिसंबर को रखी गई है.
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 8 नवंबर को कैराना में पलायन, मुजफ्फरनगर दंगा और तालिबानीकरण के मुद्दे उठाते हुए लोगों के जख्म हरे कर गए हैं. उनके द्वारा कवाल कांड की याद दिलाते हुए वेस्ट यूपी के जाट वोटरों को फिर से साधने की कोशिश भी की है. योगी के इस दांव के बाद अब विपक्ष में खलबली मची हुई है, ऐसे में कृषि कानूनों को लेकर सरकार का विरोध कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी वेस्ट में विरोध प्रदर्शन तेज करने की ठान ली है. मुख्यमंत्री के बाद अब संयुक्त मोर्चा कैराना में महापंचायत के जरिए किसान आंदोलन की लहर को तेज करने का काम करेगा. इसके लिए सरकार और उसके नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भी तेजी देखी जा सकती है.
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