शामली: जिले का लिंगानुपात 878 महिला प्रति 1000 पुरूष एवं साक्षरता दर 53.89 प्रतिशत है. साक्षरता दर कम होने की वजह से यहां पर अभी भी लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव के मामले देखने को मिलते हैं. वहीं महिलाओं के घटते लिंगानुपात को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई हैं.
- जिले में लिंग परीक्षण के मामले भी कई बार सामने आए हैं.
- इसके अलावा भ्रूण हत्या और जन्म के बाद लड़कियों को फेंक देने के मामले भी देखने को मिल जाते हैं.
- जिले में महिलाओं का लिंगानुपात 878 के आंकड़े पर पहुंच गया है, जो नई जनगणना में और भी घट सकता है.
- ऐसे हालातों में स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है, इसमें सुधार के विशेष प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
- यूपी में लिंगानुपात के हिसाब से शामली जिला निचले पायदान पर जगह बना रहा है.
शिक्षा का भी बढ़ा अभाव
जिले की साक्षरता दर 53.89 प्रतिशत है. इसका मतलब यह है कि यहां पर करीब आधी आबादी अशिक्षित है. इसके चलते भी लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव के मामले देखने को मिलते हैं. जिले में जन्म के बाद लड़कियों को फेंक देने के मामलों में भी आपेक्षित बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
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सीएचसी के प्रभारी चिकित्सक डॉ. रमेश चंद्र ने कहा कि जिले में प्रति हजार पुरूषों की आबादी पर महिलाओं का लिंगानुपात 878 है. पूरे उत्तर प्रदेश में यह अनुपात 912 है. इससे पता चलता है कि शामली जिले में यह लिंगानुपात तेजी से घट रहा है. जिले में अल्ट्रासाउण्ड सेंटरों पर लिंग परीक्षण पर पूरी रोक लगा दी गई है. इसके लिए जिले में पीसीपीएनडी एक्ट के लिए विशेष नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं. विभाग ने स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी इसके लिए विशेष जिम्मेदारी सौंपी है.