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शामली: सेटेलाइट में पराली जलाते पकड़ा गया किसान, 5000 का जुर्माना - UP news

यूपी के शामली में सेटेलाइट के जरिए पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई शुरू हो गई है. सेटेलाइट से मिली जानकारी में एक किसान को खेत पर पराली जलाने का दोषी पाया गया है. जिला प्रशासन ने किसान पर पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड लगाया है.

Shamli news
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Published : Oct 11, 2020, 12:26 PM IST

शामली: खेत पर पराली जलाने के चलते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. गत वर्षों से शुरू की गई व्यवस्था के तहत अब खेतों पर पराली जलाने वाले किसानों की निगरानी सेटेलाइट से भी की जा रही है. इसी के तहत खेत पर पराली जलाने के आरोप में शामली के एक किसान पर पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है.

जलालाबाद के किसान पर हुई कार्रवाई

सेटेलाइट से निगरानी के दौरान शामली तहसील के जलालाबाद निवासी किसान यूनुस की दो से पांच एकड़ जमीन पर कृषि अवशेष जलाए जाने की जानकारी मिली थी. सेटेलाइट इमेज के माध्यम से पराली जलाने के आरोपी किसान की सूचना 7 अक्टूबर को जिला प्रशासन को दी गई. मामले में 9 अक्टूबर को तहसीलदार शामली द्वारा आख्या में भी किसान यूनुस अपनी खसरा संख्या 2904, 2905 और 2906 में धान की फसल का दो से पांच एकड़ के बीच अवशेष जलाने का आरोपी पाया गया. जिलाधिकारी शामली ने बताया कि तहसीलदार शामली की आख्या के क्रम में कृषि अपशिष्ट जलाने के दोषी किसान पर 5,000 रुपए का दण्ड अधिरोपित करने और धनराशि को सात दिवस के अंदर तहसील कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं.

यह है जुर्माने की राशि

डीएम जसजीत कौर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी द्वारा पारित आदेश के क्रम में किसी भी फसल के अवशेषों को जलाने पर कार्रवाई का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है. वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए यदि फसल अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आती है, तो संबंधित कृषि भूमि के क्षेत्रफल के हिसाब से प्रति घटना के अनुसार कृषक पर अर्थदण्ड लगाए जाने का प्रावधान है. कृषक पर लगाए गए अर्थदण्ड की वसूली राजस्व विभाग द्वारा की जाएगी. डीएम ने बताया कि यदि कृषक द्वारा फसल अवशेष जलाए जाने की पुनरावृत्ति की जाती है, तो राजस्व विभाग के द्वारा धारा 24 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली और धारा 26 के तहत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर कृषक के विरूद्ध कारावास एवं अर्थदण्ड लगाए जाने की कार्रवाई का भी प्रावधान है.

ये है वसूली का पैमाना (क्षेत्रफल के हिसाब से अर्थदण्ड)

  1. 2 एकड़ से कम 2,500 रुपए प्रति घटना
  2. 2 से 5 एकड़ 5,000 रुपए प्रति घटना
  3. 5 एकड़ से अधिक 15,000 रुपए प्रति घटना

शामली: खेत पर पराली जलाने के चलते दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. गत वर्षों से शुरू की गई व्यवस्था के तहत अब खेतों पर पराली जलाने वाले किसानों की निगरानी सेटेलाइट से भी की जा रही है. इसी के तहत खेत पर पराली जलाने के आरोप में शामली के एक किसान पर पांच हजार रुपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है.

जलालाबाद के किसान पर हुई कार्रवाई

सेटेलाइट से निगरानी के दौरान शामली तहसील के जलालाबाद निवासी किसान यूनुस की दो से पांच एकड़ जमीन पर कृषि अवशेष जलाए जाने की जानकारी मिली थी. सेटेलाइट इमेज के माध्यम से पराली जलाने के आरोपी किसान की सूचना 7 अक्टूबर को जिला प्रशासन को दी गई. मामले में 9 अक्टूबर को तहसीलदार शामली द्वारा आख्या में भी किसान यूनुस अपनी खसरा संख्या 2904, 2905 और 2906 में धान की फसल का दो से पांच एकड़ के बीच अवशेष जलाने का आरोपी पाया गया. जिलाधिकारी शामली ने बताया कि तहसीलदार शामली की आख्या के क्रम में कृषि अपशिष्ट जलाने के दोषी किसान पर 5,000 रुपए का दण्ड अधिरोपित करने और धनराशि को सात दिवस के अंदर तहसील कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं.

यह है जुर्माने की राशि

डीएम जसजीत कौर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी द्वारा पारित आदेश के क्रम में किसी भी फसल के अवशेषों को जलाने पर कार्रवाई का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है. वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए यदि फसल अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आती है, तो संबंधित कृषि भूमि के क्षेत्रफल के हिसाब से प्रति घटना के अनुसार कृषक पर अर्थदण्ड लगाए जाने का प्रावधान है. कृषक पर लगाए गए अर्थदण्ड की वसूली राजस्व विभाग द्वारा की जाएगी. डीएम ने बताया कि यदि कृषक द्वारा फसल अवशेष जलाए जाने की पुनरावृत्ति की जाती है, तो राजस्व विभाग के द्वारा धारा 24 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली और धारा 26 के तहत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर कृषक के विरूद्ध कारावास एवं अर्थदण्ड लगाए जाने की कार्रवाई का भी प्रावधान है.

ये है वसूली का पैमाना (क्षेत्रफल के हिसाब से अर्थदण्ड)

  1. 2 एकड़ से कम 2,500 रुपए प्रति घटना
  2. 2 से 5 एकड़ 5,000 रुपए प्रति घटना
  3. 5 एकड़ से अधिक 15,000 रुपए प्रति घटना
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