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शाहजहांपुर में दो शिक्षिकाएं गाय के गोबर से तैयार कर रहीं 'उत्पाद'

शाहजहांपुर जिले में दो सरकारी शिक्षिकाएं गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट बेचकर अच्छी आमदनी कर रही हैं. इन शिक्षिकाओं का कहना है कि, गौ उत्पाद तैयार करने से रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर भी जाने की आवश्यकता नहीं है.

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गाय की गोबर से प्रोडक्ट बनाती शिक्षिकाएं
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Published : May 28, 2020, 1:50 AM IST

Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST

शाहजहांपुर: जिले में सरकारी स्कूल की दो शिक्षिकाएं लोकल के लिए वोकल होने की पीएम मोदी की अपील को बखूबी पूरा कर रही हैं. दोनों शिक्षिकाओं का दावा है कि यूपी में लौटे प्रवासी मजदूर गौ उत्पाद तैयार करें तो रोजी रोटी के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

शिक्षिकाओं को अच्छी हो रही आमदनी
गाय के गोबर से बने सामान

गोबर से तैयार किए प्रोडक्ट
शिक्षिका पूजा गंगवार की खुद की एक गौशाला है, जिसमें 70 गाय रखी गई हैं. इन गायों में महज 40 गाय ही दूध देने वाली हैं, लेकिन पूजा गंगवार और उनकी साथी शिक्षिका अनुपम गंगवार ने दूध न देने वाली गायों का भी महत्व बढ़ा दिया है. दोनों शिक्षिकाएं अपने परिवार के साथ मिलकर गाय के गोबर से अलग-अलग किस्म के प्रोडक्ट तैयार करती हैं. जिसकी बाजार में काफी डिमांड है.

मूल जनपद में ही मिलेगा रोजगार
दोनों शिक्षिकाओं ने सखी नाम से एक एनजीओ बनाया है, जिसके जरिए अन्य महिलाओं को भी जोड़ने का प्रयास हो रहा है. साथ ही गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट को ऑनलाइन बेचने की तैयारी भी की जा रही है. शिक्षिकाओं का दावा है कि प्रवासी मजदूर गाय के गोबर से गौ उत्पाद तैयार करेंगे तो आमदनी अच्छी होगी और रोजगार के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा.

शाहजहांपुर: जिले में सरकारी स्कूल की दो शिक्षिकाएं लोकल के लिए वोकल होने की पीएम मोदी की अपील को बखूबी पूरा कर रही हैं. दोनों शिक्षिकाओं का दावा है कि यूपी में लौटे प्रवासी मजदूर गौ उत्पाद तैयार करें तो रोजी रोटी के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा.

शिक्षिकाओं को अच्छी हो रही आमदनी
गाय के गोबर से बने सामान

गोबर से तैयार किए प्रोडक्ट
शिक्षिका पूजा गंगवार की खुद की एक गौशाला है, जिसमें 70 गाय रखी गई हैं. इन गायों में महज 40 गाय ही दूध देने वाली हैं, लेकिन पूजा गंगवार और उनकी साथी शिक्षिका अनुपम गंगवार ने दूध न देने वाली गायों का भी महत्व बढ़ा दिया है. दोनों शिक्षिकाएं अपने परिवार के साथ मिलकर गाय के गोबर से अलग-अलग किस्म के प्रोडक्ट तैयार करती हैं. जिसकी बाजार में काफी डिमांड है.

मूल जनपद में ही मिलेगा रोजगार
दोनों शिक्षिकाओं ने सखी नाम से एक एनजीओ बनाया है, जिसके जरिए अन्य महिलाओं को भी जोड़ने का प्रयास हो रहा है. साथ ही गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट को ऑनलाइन बेचने की तैयारी भी की जा रही है. शिक्षिकाओं का दावा है कि प्रवासी मजदूर गाय के गोबर से गौ उत्पाद तैयार करेंगे तो आमदनी अच्छी होगी और रोजगार के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा.

Last Updated : Sep 4, 2020, 3:10 PM IST
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