शाहजहांपुर : जिले के अजय ने रूस के मास्को में हुए पावरलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है. अजय के गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनके पूरे गांव में खुशी का माहौल है. मास्को में गोल्ड जीतने वाले अजय पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात है. वहीं अजय को भी नाज है कि उसने गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का नाम रोशन किया है.
गोल्ड मेडल जीतने से गांव में खुशी का माहौल
मास्को में पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनके गांव महाउ महेश में खुशी का माहौल है. परिवार को जैसे ही खबर मिली कि अजय ने मास्को में पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया है, वैसे ही परिवार के लोगों ने मिठाई बांटकर और आतिशबाजी करके जश्न मनाया.
अजय के गोल्ड मेडल जीतने के बाद जिले के लोगों में अलग ही रौनक देखने को मिली. वहीं जब ये खबर अजय के पिता को पता चली तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े. सिधौली में एक छोटे से जिम में अजय वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करते थे. अब तक वह कई राज्य स्तरीय पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम कर चुके थे, लेकिन उनकी तमन्ना थी कि एक बार वह वर्ल्ड कप में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन करें.
26 और 27 अक्टूबर को मॉस्को में हुई पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में अजय ने 400 किलो का वजन उठाकर गोल्ड मेडल का खिताब अपने नाम कर लिया. आज मास्को में अजय को इस बात पर गर्व है कि उन्होंने विदेशी धरती पर भारत का तिरंगा लहराया है.
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अजय का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है, लेकिन उनके जुनून ने उन्हें पावरलिफ्टिंग वर्ल्ड कप चैंपियनशिप के लिए मास्को में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप तक पहुंचा दिया. खास बात यह है कि अजय के परिवार की तीन बेटियां भी पावर लिफ्टिंग में ब्लॉक स्तर पर चैंपियन हैं और अब वो अजय की तरह वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहती हैं. आज पूरा परिवार बेहद खुश है तो वहीं उनके पिता की आंखों में खुशी के आंसू भी हैं.
अजय ने अपनी मेहनत और लगन से रूस में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का झंडा लहराया है. उन्होंने एक छोटे से जिम में प्रैक्टिस करके यह मुकाम हासिल किया है. ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर सरकार अपने स्तर से अजय को प्रशिक्षित करे तो कई और गोल्ड मेडल अजय के नाम आ सकते हैं.