शाहजहांपुर: रंगो का त्यौहार होली और उसे मनाने के तरीके पूरे देश में अलग अलग है. कहीं फूलों से होली तो कहीं लाठीमार होली खेली जाती है. लेकिन शाहजहांपुर में विश्व में सबसे अनोखी होली खेली जाती है. यहां होली खेलने की परम्परा दुनिया की सबसे अनूठी है. यहां जूते मार होली का लुत्फ उठाया जाता है. ये जूता मार होली अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए किया जाता है. एक अंग्रेज को लाट साहब बनाकर उसे जूतों और झाड़ुओं से पीटा जाता है. बेहद संवेदनशील माने जाने वाले लाट साहब के जुलूस में पुलिस की बेहद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है.
भैंसा गाड़ी में लाट साहब: शाहजहांपुर में लाट साहब एक व्यक्ति को बनाया जाता है. उन्हें भैंसा गाड़ी पर बैठाकर जूतों से पीटा जाता है. लाट साहब का जुलूस निकालने की यह परम्परा बरसों पुरानी है. चूंकि अंग्रेजों ने जो जुल्म हिन्दुस्तानियों पर किये है, वो आक्रोश आज भी हर किसी के दिल में मौजूद है. यहां के लोग अंग्रेजों के प्रति अपना दर्द और आक्रोश बेहद अनूठे ढंग से प्रदर्शित करते हैं. लाट साहब के इस जुलूस में अंग्रेज के रूप में एक व्यक्ति को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर झाड़ू से पीटते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है. इस जुलूस में हजारों की संख्या में हुड़दंगी जमकर हुड़दंग मचाते हैं. क्योंकि ये शाहजहाुपुर की वर्षो पुरानी परम्परा है.
लाट साहब को जूतों और झाड़ू पीटते हैं हुड़दंगीः लाट साहब का जुलूस शहर में दो स्थानों से निकाला जाता है. पहला जुलूस थाना कोतवाली के बड़े चौक से और दूसरा जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईया से जिसमें हुड़दंगी हर साल कोई न कोई वलवा जरूर खड़ा कर देते हैं. ये हुड़दंगी अंग्रेजों के लिए तो गंदी-गंदी फब्तियां कसते हैं. साथ ही पुलिस को भी जमकर गंदी-गंदी फब्तियां कसते नजर आते हैं. जहां पुलिस ये सब नजारा और फब्तियां सुनने को मजबूर होते हैं. यहां लाट साहब को जूतों और झाड़ू से पीटने का ये पूरा खेल पुलिस की निगरानी में होता है.
फूलमती देवी मंदिर से लेकर बाबा विश्वनाथ मंदिर तक निकलता है जुलूसः इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि होली में लाट साहब का जुलूस निकालने की प्रथा 1729 से लगातार चला आ रहा है. लाट साहब के जुलूस से जुड़ी बेहद रोचक स्थितियां हैं. लाट साहब का जुलूस बेहद ही उल्लास के साथ निकाला जाता है. कोतवाली क्षेत्र के फूलमती देवी मंदिर से लेकर बाबा विश्वनाथ मंदिर तक इसका रूट है. यह लाट साहब का जुलूस बेहद ही पुरानी पारंपरिक प्रथा है. जिसमें लाट साहब भैंसा गाड़ी पर बैठकर भ्रमण करते हैं. भ्रमण के दौरान यह शहर कोतवाली पहुंचते हैं. जहां शहर कोतवाल इन्हें सलामी देते हैं. वहां पहुंचकर वह पूरे साल का क्राइम रिकॉर्ड मांगते है, जिसके बाद कोतवाल घबरा कर उन्हें नेग और उपहार देते हैं. इसके बाद लाट साहब संतुष्ट होकर आगे के मार्ग पर चलते हैं.
अनोखी होली पर सुरक्षा के लिए पीएसी और आरएएफ करेगी मार्चः पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर एस आनंद का ने बताया कि शाहजहांपुर जैसी होली दुनिया में कहीं नहीं मनाई जाती है. यहां शहर में होली पर 24 जुलूस निकलते हैं. जिनमें से 2 जुलूस मुख्य हैं. जो कि छोटे लाट साहब और बड़े लाट साहब के हैं. इस जुलूस को लेकर लोगों के साथ लगातार मीटिंग चल रही है. इन जुलूसों के मद्देनजर एक कंपनी पीएसी और एक कंपनी आरएएफ की मिली हुई है. जो 5 मार्च से शहर भर में फ्लैग मार्च करेगी.इसके साथ-साथ उपद्रवियों पर पूरी नजर रखी जाएगी. जिससे होली का जुलूस अच्छे ढंग से मनाया जाए.