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पराली जलाने के मामले में 14 नोडल अधिकारियों समेत 81 कर्मचारियों पर गिरी गाज - पराली जलाये जाने पर प्रतिबंध

शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने पराली जलाने के मामले (stubble burning cases0 में 14 नोडल अधिकारियों समेत 81 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है.

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जलती हुई पराली
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Published : Oct 30, 2022, 6:45 PM IST

शाहजहांपुर: पराली जलाने के मामले (stubble burning cases) में शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने एक्शन लेते हुए अपने ही लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. पराली जलाने से ना रोक पाने में नाकाम 81 कर्मचारियों पर गाज गिरी है, जिनमें 14 नोडल अधिकारी भी शामिल है. इसके अलावा पराली जलाने वालों से भी जुर्माना वसूला गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि पराली जलाने के मामले में अभी और भी कार्रवाई होगी.

दरअसल धान की कटाई के बाद पूरे जिले में पराली जलाई जा रही है. जबकि शासन की तरफ से पराली जलाये जाने पर प्रतिबंध है. पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा पुवायां तहसील में दर्ज की गई है. यहां 200 से ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. जिसमें प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए लगभग 50 हजार का जुर्माना भी किसानों से वसूला है. पराली जलने से रोकने की जिम्मेदारी तहसील ब्लाक को न्याय पंचायत स्तर के अधिकारियों की थी. ऐसे में लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है. जिला प्रशासन ने 18 नोडल अधिकारियों का वेतन रोका है. कृषि विभाग के पांच और तीन लेखपालों को आरोपपत्र जारी किया गया है.

मामले के बारे में जानकारी देते एडीएम वित्त एवं राजस्व त्रिभुवन

इसके अलावा 45 कर्मचारियों के खिलाफ भी वेतन रोकने की कार्रवाई की गई है. जिला प्रशासन का कहना है कि पराली रोकने में नाकाम अन्य अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की तैयारी की जा रही है. जिला प्रशासन ने लोगों से पराली ना जलाने की भी अपील की है.

एडीएम वित्त एवं राजस्व त्रिभुवन ने बताया कि अब तक जिले में 200 के करीब पराली जलाने की घटनाएं सामने आई है. इस दौरान कार्य में लापरवाही बरतने वाले 18 नोडल अधिकारियों का वेतन रोका गया है.साथ ही 3 लेखपालों और कृषि विभाग के 5 कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. अब तक 44 हजार से ज्यादा का जुर्माना भी किसानों से वसूला जा चुका है. किसानों के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ उनको पराली ना जलाने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है. किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया जा रहा है तो वहीं फसल अवशेष पराली के निस्तारण के लिए किसानों को डी कंपोजर भी वितरित किए जा रहे हैं, जिससे किसान प्रणाली को खाद में तब्दील कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें: बढ़ा प्रदूषण तो सख्त हुआ प्रशासन: मथुरा डीएम ने पराली न जलाने के दिए सख्त निर्देश

शाहजहांपुर: पराली जलाने के मामले (stubble burning cases) में शाहजहांपुर जिला प्रशासन ने एक्शन लेते हुए अपने ही लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. पराली जलाने से ना रोक पाने में नाकाम 81 कर्मचारियों पर गाज गिरी है, जिनमें 14 नोडल अधिकारी भी शामिल है. इसके अलावा पराली जलाने वालों से भी जुर्माना वसूला गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि पराली जलाने के मामले में अभी और भी कार्रवाई होगी.

दरअसल धान की कटाई के बाद पूरे जिले में पराली जलाई जा रही है. जबकि शासन की तरफ से पराली जलाये जाने पर प्रतिबंध है. पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा पुवायां तहसील में दर्ज की गई है. यहां 200 से ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. जिसमें प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए लगभग 50 हजार का जुर्माना भी किसानों से वसूला है. पराली जलने से रोकने की जिम्मेदारी तहसील ब्लाक को न्याय पंचायत स्तर के अधिकारियों की थी. ऐसे में लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है. जिला प्रशासन ने 18 नोडल अधिकारियों का वेतन रोका है. कृषि विभाग के पांच और तीन लेखपालों को आरोपपत्र जारी किया गया है.

मामले के बारे में जानकारी देते एडीएम वित्त एवं राजस्व त्रिभुवन

इसके अलावा 45 कर्मचारियों के खिलाफ भी वेतन रोकने की कार्रवाई की गई है. जिला प्रशासन का कहना है कि पराली रोकने में नाकाम अन्य अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की तैयारी की जा रही है. जिला प्रशासन ने लोगों से पराली ना जलाने की भी अपील की है.

एडीएम वित्त एवं राजस्व त्रिभुवन ने बताया कि अब तक जिले में 200 के करीब पराली जलाने की घटनाएं सामने आई है. इस दौरान कार्य में लापरवाही बरतने वाले 18 नोडल अधिकारियों का वेतन रोका गया है.साथ ही 3 लेखपालों और कृषि विभाग के 5 कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. अब तक 44 हजार से ज्यादा का जुर्माना भी किसानों से वसूला जा चुका है. किसानों के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ उनको पराली ना जलाने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है. किसानों को पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया जा रहा है तो वहीं फसल अवशेष पराली के निस्तारण के लिए किसानों को डी कंपोजर भी वितरित किए जा रहे हैं, जिससे किसान प्रणाली को खाद में तब्दील कर सकते हैं.

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