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यहां पुतला दहन से पहले लोग लेते हैं रावण का आशीर्वाद, जानिए क्यों... - शाहजहांपुर खिरनी बाग रामलीला मैदान

रावण के पुतले का दहन (Burning of Ravana's effigy) सदियों से चली आ रही परंपरा है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि बुराई के प्रतीक रावण की लोग पूजा भी करते हैं. और यह कि विजयादशमी (Vijayadashami) पर रावण के पुतले के पास जाकर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते. जानिए कहां...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 5:34 PM IST

शाहजहांपुर में रावण की पूजा.

शाहजहांपुर : पूरे देश में आज असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा मनाया जा रहा है और आज के दिन लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. लेकिन शाहजहांपुर में दशहरे पर लोग भगवान राम के साथ-साथ रावण की भी पूजा करते हैं.

रावण के पुतले के पैरों पर चढ़ाते हैं प्रसाद

शाहजहांपुर के खिरनी बाग रामलीला मैदान में लोग रावण के पुतले के पैरों पर प्रसाद चढ़ाते हैं. दक्षिणा चढ़ाते हैं और फिर आशीर्वाद लेते हैं. परिवार के लोग खासतौर पर अपने छोटे बच्चों को रावण के पुतले के पास लाते हैं और पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.

रावण की पूजा के पीछे क्या है कारण

ऐसा कहा जाता है कि रावण महाज्ञानी और महापराक्रमी था. लोगों में विश्वास है कि रावण के पैर छूने से उनके बच्चों को आशीर्वाद मिलेगा और वे भी महाज्ञानी और पराक्रमी बनेंगे. महिलाएं नवजात बच्चों को भी रावण के पुतले के पास लाती हैं. पुतले के पैरों पर बच्चे का सिर लगाकर उसके बलवान और ज्ञानी होने की कामना करती हैं. यही वजह है कि यहां लोग भगवान राम के साथ साथ रावण की भी पूजा करते हैं.

यह कथा है लोगों में बहुत प्रचलित

रावण की पूजा के पीछे एक प्रचलित कथा का भी अहम रोल है. लोग कहते हैं कि रावण बहुत विद्वान था. भगवान राम ने उसकी मृत्यु से पहले लक्ष्मण को उसके पास भेजा था. कहा था कि जाकर रावण से ज्ञान ले लो. जब लक्ष्मण जी रावण के शीश की तरफ पहुंचे तब रावण उनसे कुछ नहीं बोला और न ही कोई ज्ञान दिया . इससे लक्ष्मण नाराज हो गए. तब राम जी ने कहा कि जब किसी से ज्ञान लिया जाता है तो उसके चरणों की तरफ जाकर निवेदन किया जाता है. ऐसा ही लक्ष्मण ने किया और रावण ने उन्हें ज्ञान दिया. कहा कि कोई भी काम कल के लिए मत छोड़ो. मैंने ऐसा नहीं किया तभी आज मैं मरने जा रहा हूं. मैंने स्वर्ग की सीढ़ी आधी ही बनाई थी. आधी कल के लिए छोड़ दी. नहीं तो मैं आज अमर हो जाता.

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शाहजहांपुर में रावण की पूजा.

शाहजहांपुर : पूरे देश में आज असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा मनाया जा रहा है और आज के दिन लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. लेकिन शाहजहांपुर में दशहरे पर लोग भगवान राम के साथ-साथ रावण की भी पूजा करते हैं.

रावण के पुतले के पैरों पर चढ़ाते हैं प्रसाद

शाहजहांपुर के खिरनी बाग रामलीला मैदान में लोग रावण के पुतले के पैरों पर प्रसाद चढ़ाते हैं. दक्षिणा चढ़ाते हैं और फिर आशीर्वाद लेते हैं. परिवार के लोग खासतौर पर अपने छोटे बच्चों को रावण के पुतले के पास लाते हैं और पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.

रावण की पूजा के पीछे क्या है कारण

ऐसा कहा जाता है कि रावण महाज्ञानी और महापराक्रमी था. लोगों में विश्वास है कि रावण के पैर छूने से उनके बच्चों को आशीर्वाद मिलेगा और वे भी महाज्ञानी और पराक्रमी बनेंगे. महिलाएं नवजात बच्चों को भी रावण के पुतले के पास लाती हैं. पुतले के पैरों पर बच्चे का सिर लगाकर उसके बलवान और ज्ञानी होने की कामना करती हैं. यही वजह है कि यहां लोग भगवान राम के साथ साथ रावण की भी पूजा करते हैं.

यह कथा है लोगों में बहुत प्रचलित

रावण की पूजा के पीछे एक प्रचलित कथा का भी अहम रोल है. लोग कहते हैं कि रावण बहुत विद्वान था. भगवान राम ने उसकी मृत्यु से पहले लक्ष्मण को उसके पास भेजा था. कहा था कि जाकर रावण से ज्ञान ले लो. जब लक्ष्मण जी रावण के शीश की तरफ पहुंचे तब रावण उनसे कुछ नहीं बोला और न ही कोई ज्ञान दिया . इससे लक्ष्मण नाराज हो गए. तब राम जी ने कहा कि जब किसी से ज्ञान लिया जाता है तो उसके चरणों की तरफ जाकर निवेदन किया जाता है. ऐसा ही लक्ष्मण ने किया और रावण ने उन्हें ज्ञान दिया. कहा कि कोई भी काम कल के लिए मत छोड़ो. मैंने ऐसा नहीं किया तभी आज मैं मरने जा रहा हूं. मैंने स्वर्ग की सीढ़ी आधी ही बनाई थी. आधी कल के लिए छोड़ दी. नहीं तो मैं आज अमर हो जाता.

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