शाहजहांपुर : जिले में स्थित कुटिया साहब गुरुद्वारा सिख आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां शीश नवाने पीलीभीत, बरेली और लखीमपुर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं. कुटिया साहिब गुरुद्वारा संत बाबा सुखदेव सिंह की कर्मस्थली और तपोस्थली माना जाता है. संत बाबा सुखदेव सिंह जी ने शाहजहांपुर और आसपास के जिलों में करीब 150 गुरुद्वारों का निर्माण कराया है.
1955 में बाबा सुखदेव सिंह ने बनाई थी कुटिया
संत बाबा सुखदेव सिंह ने वर्ष 1955 में शाहजहांपुर आने के बाद मोहनगंज इलाके में कुटिया बना ली. यहां बाद में भव्य गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया. आज उसी स्थान को कुटिया साहिब के नाम से जाना जाता है. शाहजहांपुर का कुटिया साहिब गुरुद्वारा आसपास के जिलों की संगत के लिए आस्था का केंद्र है. यहां हर पूर्णिमा को सत्संग होता है. इलाही बाणी का गायन किया जाता है. वहीं हर वर्ष 16 सितंबर को संत बाबा सुखदेव सिंह की बरसी पर जोड़ मेले का आयोजन होता है.
150 गुरुद्वारों का निर्माण कराया
संत बाबा सुखदेव सिंह ने संगत के निवेदन पर शाहजहांपुर और उसके सीमावर्ती जिले लखीमपुर खीरी, पीलीभीत और बरेली में करीब 150 गुरुद्वारों का निर्माण कराया. बाबा सुखदेव सिंह ने वर्ष 1983 में बंडा क्षेत्र के गुरुद्वारा नानकपुरी साहिब में शरीर त्याग दिया और सचखंडवासी हो गए. नानकपुरी गुरुद्वारा साहिब में संत बाबा सुखदेव सिंह जी का समाधि स्थल भी है, जहां लोग जाकर नमन करते हैं. संत बाबा सुखदेव सिंह की खड़ाऊ और बर्तन आज भी कुटिया साहिब गुरुद्वारे में मौजूद हैं.
1960 से लगातार प्रकाशमान है अखंड ज्योति
गुरुद्वारा कुटिया साहब के मुख्य सेवादार राजेंद्र सिंह बताते हैं कि संत बाबा सुखदेव सिंह हरिद्वार से 1955 के दरमियान यहां आए थे. 1960 से गुरुद्वारा कुटिया साहब की सेवाएं लगातार चल रही हैं. उन्होंने परोपकार की भावना से गुरुद्वारा बनाया था. गुरु साहब की कृपा से 1960 से यहां पर अखंड ज्योति लगातार प्रकाशमान है और तभी से इस गुरुद्वारा कुटिया साहब की लगातार सेवाएं दी जा रही हैं. श्री गुरु नानक साहब जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में सोमवार को यहां शोभायात्रा भी निकाली गई.
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