शाहजहांपुरः देश में बुराई पर अच्छाई की जीत पर विजयदश्मी का पर्व मनाया जाता है. इस दौरान देश भर में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ को लोग पुतला दहन करते हैं. लेकिन देश के कई भागों में लोग इस परंपरा को नहीं मानते हैं. लोग बुराई पर अच्छाई की जीत कहकर रावण का पुतला दहन करते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में लोगों के लिए रावण का पुतला और उसकी अस्थियां दोनों मायने रखती है. दशहरा पर्व पर रावण के पुतले में जैसे ही आग लगाई जाती है, वैसे ही लोग जय श्री राम का नारा लगाने लगते हैं.
रावण की अस्थियां एकत्र करते हैं लोग
शाहजहांपुर के खिरनी बाग रामलीला मैदान (Khirni Bagh Ramlila Maidan) में रावण का पुतला जलने का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. रावण का पुतला जलते ही उसकी अस्थियां बटोरने में बच्चे, जवान और बुजुर्ग जुट जाते हैं. यहां लोग अपनी जान की परवाह किए बिना ही पुतले से उसकी अस्थिया खींचकर भागने लगते हैं. कभी-कभी तो लोग आग से जल भी जाते हैं. लेकिन उन्हे हर हाल में रावण की अस्थियां ही चाहिए. इसलिए वह जान की परवाह किए बिना अस्थियों को एकत्र करने में जुट जाते हैं. लोगों का कहना है कि यह आस्था से जुड़ा हुआ है.
रावण था सबसे ज्ञानी पुरूष
गौरतलब है कि हिंदू धर्म के लोगों का मानना है कि लंका का रावण दुनियां का सबसे ज्ञानी पुरूष था. साथ ही पूरी धरती के के भूत परेत उससे खौफ खाते थे. लोगों की ऐसी आस्था है कि अगर रावण के पुतले ही अस्थियों को घर पर ले जाकर संभाल कर रखा जाये तो घर में दुष्ट आत्माएं प्रवेश नहीं कर सकती हैं.
शाहजहांपुर के लोगों का असली दशहरा
इसके अलावा बच्चों का ज्ञान भी बढ़ता है. यहां सबसे बड़ी मान्यता है यह है कि रावण के पुतले की अस्थियों को चारपाई में लगा देने से उसमें खटमल नहीं हो सकते हैं. यही कारण है कि दशहरे के दिन रावण के जलते हुए पुतले से लोग अपनी जान की परवाह किये बगैर हर हाल मे उसकी अस्थि ले जाने के भरकस कोशिश करते हैं. शायद शाहजहांपुर के लोगों के लिए असली दशहरा यही है.
प्रदेश सरकार के 2 कैबिनेट मंत्री पहुंचे
खिरनी बाग रामलीला मैदान में विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन देखने के लिए उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर भी पहुंचे. उनके साथ जिले के तमाम नेता और अधिकारी भी मौजूद रहे. वहीं, पुतला दहन के दौरान भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. जगह-जगह पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी. रावण के पुतले का दहन रात 12 बजकर 10 मिनट पर हुआ. हिंदू धर्म के अनुसार मंगल के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं होता है. इसी के चलते पुतला दहन का कार्यक्रम 12 बजे के बाद हुआ.
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