शाहजहांपुर : पूरे देश में रंगो का त्योहार होली मनाने की अलग-अलग परंपरा है. कहीं रंगो-फूलों की, तो कहीं लड्डू और लट्ठमार होली खेली जाती है. इसी प्रकार शाहजहांपुर जिले में होली का मनाने का अनोखा तरीका है. शाहजहांपुर में खेली जाने वाले होली अपने अलग अंदाज के कारण काफी प्रचलित है.
शाहजहांपुर जिले में जूते मार होली खेली जाती है. जूते मार होली अंग्रेजों के प्रति अक्रोश प्रकट करने के लिए खेली जाती है. जूते मार होली का यह त्यौहार बेहद संवेदनशील माना जाता है. होली के इस मौके पर शरारती तत्वों द्वारा धार्मिक उन्माद और उपद्रव कराए जाने की संभावना बनी रहती है. इसलिए जूते मार होली से पहले जिला प्रशासन इसकी कई दिन पहले से तैयारियां शुरू कर देता है. पुलिस प्रशासन सुरक्षा के कड़े इंतजाम करता है.
इस बार जूते मार होली 18 मार्च को खेली जाएगी. होली से पहले सुरक्षा की दृष्टि से मस्जिदों को त्रिपाल से ढक दिया गया है. जिला प्रशासन का कहना है कि होली के पर्व पर मस्जिदों पर कोई रंग न डाल दे, इसलिए इनको त्रिपाल से 40 मस्जिदों को कवर किया गया है.
होली के त्यौहार पर कोई सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश न करे, इसके लिए पुलिस तैनात की गई है. इसके अलावा जूते मार होली की वीडियोग्राफी कराई जाएगी व सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी.
ऐसे मनाई जाती है जूते मार होली
अंग्रेजों के शासनकाल का विरोध जताने के लिए लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है. जूते मार होली में लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है. शहर घुमाने के बाद भैंसा गाड़ी पर बैठे लाट साहब को जूते-चप्पल से पीटा जाता है. इस दौरान बच्चे, नौजवान, बूढ़े सभी इसका लुत्फ उठाते हैं. जूते मार होली के दौरान लोग जमकर शोर मचाते और चीखते-चिल्लाते हैं.