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भदोही: 100 बेड का जिला अस्पताल चढ़ा घोटाले की भेंट, 11 साल में खर्च हुए 18 करोड़

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए 100 बेड के जिला अस्पताल का निर्माण 2008 से कराया जा रहा है, लेकिन 11 साल में 18 करोड़ खर्च होने के बाद भी अस्पताल संचालित नहीं हो सका है.

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18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं बन पाया जिला अस्पताल.
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Published : Mar 4, 2020, 6:24 AM IST

भदोही: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति इतनी बदतर है कि अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे दूसरे जिले जाकर इलाज करवाना पड़ता है. इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने भदोही जिले में 100 बेड का एक जिला अस्पताल जिला मुख्यालय के पास निर्माण कार्य शुरू कराया, लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी यह जिला अस्पताल बनकर तैयार नहीं हो पाया.

18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं बन पाया जिला अस्पताल.

18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं बन पाया जिला अस्पताल

100 बेड के जिला अस्पताल के लिए 18 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं, बावजूद उसके जिले में लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटलों के चक्कर काटने पड़ते हैं. नए जिला अस्पताल की सौगात तो जनपद वासियों को नहीं मिली पर अस्पताल के नाम पर आवंटित किए गए करोड़ों रुपये घोटाले के भेंट चढ़ गये. फिलहाल इसकी जांच एसआईटी के हाथों में है. यह कब तक हैंडोवर होगा. इसका कोई अंदाजा अभी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है.

करोड़ों रुपये के गबन का आरोप

100 बेड के अस्पताल के निर्माण में 11 साल लगना और करोड़ों रुपये के गबन के आरोप लगने से साफ होता है कि जिम्मेदारों ने अस्पताल के निर्माण में किस तरह से जिम्मेदारी निभाई है. साल 2008 में जिला मुख्यालय के सामने तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस इस अस्पताल के निर्माण की रूपरेखा बनाकर निर्माण शुरू कराया गया था, जिसको देखते हुए जनपद वासियों ने बेहतर इलाज मिलने के ख्वाब पाल लिए थे, लेकिन जो भवन बीमारियों के इलाज के लिए संचालित होना था. उसे जिम्मेदार अधिकारियों ने घोटाले के भेंट चढ़ा दिया.

एसआईटी कर रही घोटाले की जांच

हालांकि एसआईटी टीम घोटाले की जांच कर रही है, लेकिन इससे जिले के लोगों को काफी परेशानी हो रही है. वहीं स्वास्थ विभाग के लगातार पत्र लिखने के बावजूद भी सरकार इसके ऊपर ध्यान नहीं दे रही है. जिला चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि उनके बार-बार पत्र लिखने के बावजूद भी सचिवालय से कोई जवाब नहीं आता है.

जिले के स्वास्थ्य विभाग की स्थिति बड़ी दयनीय है. यहां जिला अस्पताल पुराना है, लेकिन उसमें किसी प्रकार की तकनीकी व्यवस्थाएं नहीं हैं और न ही यहां कर्मचारी उसके लिए मौजूद हैं. एक्सरे कराने के लिए भी लोगों को मिर्जापुर, सोनभद्र, बनारस और इलाहाबाद जाना पड़ता है, जिससे लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भदोही जिला 1994 में बनकर तैयार हुआ था. तभी से यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरे हाल से गुजर रही है. फिलहाल भविष्य में भी इसकी अच्छी स्थिति होने की कोई गारंटी नहीं है.

भदोही: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति इतनी बदतर है कि अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे दूसरे जिले जाकर इलाज करवाना पड़ता है. इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने भदोही जिले में 100 बेड का एक जिला अस्पताल जिला मुख्यालय के पास निर्माण कार्य शुरू कराया, लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी यह जिला अस्पताल बनकर तैयार नहीं हो पाया.

18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं बन पाया जिला अस्पताल.

18 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नहीं बन पाया जिला अस्पताल

100 बेड के जिला अस्पताल के लिए 18 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं, बावजूद उसके जिले में लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटलों के चक्कर काटने पड़ते हैं. नए जिला अस्पताल की सौगात तो जनपद वासियों को नहीं मिली पर अस्पताल के नाम पर आवंटित किए गए करोड़ों रुपये घोटाले के भेंट चढ़ गये. फिलहाल इसकी जांच एसआईटी के हाथों में है. यह कब तक हैंडोवर होगा. इसका कोई अंदाजा अभी स्वास्थ्य विभाग को नहीं है.

करोड़ों रुपये के गबन का आरोप

100 बेड के अस्पताल के निर्माण में 11 साल लगना और करोड़ों रुपये के गबन के आरोप लगने से साफ होता है कि जिम्मेदारों ने अस्पताल के निर्माण में किस तरह से जिम्मेदारी निभाई है. साल 2008 में जिला मुख्यालय के सामने तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस इस अस्पताल के निर्माण की रूपरेखा बनाकर निर्माण शुरू कराया गया था, जिसको देखते हुए जनपद वासियों ने बेहतर इलाज मिलने के ख्वाब पाल लिए थे, लेकिन जो भवन बीमारियों के इलाज के लिए संचालित होना था. उसे जिम्मेदार अधिकारियों ने घोटाले के भेंट चढ़ा दिया.

एसआईटी कर रही घोटाले की जांच

हालांकि एसआईटी टीम घोटाले की जांच कर रही है, लेकिन इससे जिले के लोगों को काफी परेशानी हो रही है. वहीं स्वास्थ विभाग के लगातार पत्र लिखने के बावजूद भी सरकार इसके ऊपर ध्यान नहीं दे रही है. जिला चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि उनके बार-बार पत्र लिखने के बावजूद भी सचिवालय से कोई जवाब नहीं आता है.

जिले के स्वास्थ्य विभाग की स्थिति बड़ी दयनीय है. यहां जिला अस्पताल पुराना है, लेकिन उसमें किसी प्रकार की तकनीकी व्यवस्थाएं नहीं हैं और न ही यहां कर्मचारी उसके लिए मौजूद हैं. एक्सरे कराने के लिए भी लोगों को मिर्जापुर, सोनभद्र, बनारस और इलाहाबाद जाना पड़ता है, जिससे लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भदोही जिला 1994 में बनकर तैयार हुआ था. तभी से यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरे हाल से गुजर रही है. फिलहाल भविष्य में भी इसकी अच्छी स्थिति होने की कोई गारंटी नहीं है.

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