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...जानिए क्यों कालीन निर्यात में घट रही है भदोही की भागीदारी - भदोही समाचार

विदेशों में हो रही कालीन निर्यात में भदोही जिले की भागीदारी में भारी गिरावट आई है. यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने जिले को 'वन डिस्ट्रिक-वन प्रोडक्ट' का दर्जा दे रखा है.

कालीन बनाता हुआ कारीगर.
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Published : Jul 9, 2019, 12:16 PM IST

भदोही: जिले के लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले कालीन उद्योग की हालत नाजुक है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां कालीन निर्यात में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं सरकार की उपेक्षा तथा कालीन उद्योग को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं में व्यापक कटौती के कारण स्थिति बिगड़ गई है. भले ही देश में बनने वाले कालीन के निर्यात का आंकड़ा 10 हजार करोड़ के पार पहुंच गया हो, लेकिन कालीन के निर्यात में भदोही की भागीदारी धीरे-धीरे कम हो रही है.

कालीन के बारे में जानकारी देते कारपेट कंपैक्ट के मुख्य संपादक संजय कुमार.

क्या हैं मुख्य कारण

  • मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भदोही परिक्षेत्र के लोगों का कालीन व्यवसाय से मोहभंग होता जा रहा है.
  • जयपुर, पानीपत, आगरा, दिल्ली मुख्य रूप से कालीन व्यवसाय के केंद्र बन रहे हैं.
  • व्यवसाय के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने की जरूरत है.
  • यह कोशिश कई सालों से हो रही है, लेकिन धरातल पर इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है.

कारपेट कंपैक्ट के मुख्य संपादक संजय कुमार श्रीवास्तव ने क्या कहा

  • हैंडमेड कालीन नोका इंटरनेशनल मार्केट में मांग कम हुई है.
  • मांग कम होने से भदोही से कालीन का निर्यात कम हुआ है.
  • लगभग तीन लाख लोग इससे सीधे तौर पर रोजगार प्राप्त करते हैं.
  • सरकार ने फेयर लगाने के लिए एक्सपो मार्ट का निर्माण कराया है.
  • सरकार को जल्द से जल्द एक्सपो मार्ट चालू करना चाहिए.

भदोही: जिले के लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले कालीन उद्योग की हालत नाजुक है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां कालीन निर्यात में 10 से 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं सरकार की उपेक्षा तथा कालीन उद्योग को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं में व्यापक कटौती के कारण स्थिति बिगड़ गई है. भले ही देश में बनने वाले कालीन के निर्यात का आंकड़ा 10 हजार करोड़ के पार पहुंच गया हो, लेकिन कालीन के निर्यात में भदोही की भागीदारी धीरे-धीरे कम हो रही है.

कालीन के बारे में जानकारी देते कारपेट कंपैक्ट के मुख्य संपादक संजय कुमार.

क्या हैं मुख्य कारण

  • मूलभूत सुविधाओं के अभाव में भदोही परिक्षेत्र के लोगों का कालीन व्यवसाय से मोहभंग होता जा रहा है.
  • जयपुर, पानीपत, आगरा, दिल्ली मुख्य रूप से कालीन व्यवसाय के केंद्र बन रहे हैं.
  • व्यवसाय के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने की जरूरत है.
  • यह कोशिश कई सालों से हो रही है, लेकिन धरातल पर इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है.

कारपेट कंपैक्ट के मुख्य संपादक संजय कुमार श्रीवास्तव ने क्या कहा

  • हैंडमेड कालीन नोका इंटरनेशनल मार्केट में मांग कम हुई है.
  • मांग कम होने से भदोही से कालीन का निर्यात कम हुआ है.
  • लगभग तीन लाख लोग इससे सीधे तौर पर रोजगार प्राप्त करते हैं.
  • सरकार ने फेयर लगाने के लिए एक्सपो मार्ट का निर्माण कराया है.
  • सरकार को जल्द से जल्द एक्सपो मार्ट चालू करना चाहिए.
Intro:विदेशों में हो रही कालीन निर्यात में भदोही की भागीदारी में भारी गिरावट आई है 90 के दशक में जहां 60% कालीन जिले से बनकर विदेशों में जाता था लेकिन आज स्थिति कुछ और ही है और कालीन उद्योग यहां धीरे-धीरे दम तोड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने जिले को वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट वन प्रोडक्ट का दर्जा दे रखा है इसके बाद कालीन की दुर्गति पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही है


Body:भदोही परिक्षेत्र के लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले कालीन उद्योग की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता था कि जहां कालीन निर्यात में 10 से 15 प्रश्न का गिरावट आई है वहीं सरकार की उपेक्षा तथा कालीन उद्योग को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं में व्यापक कटौती के कारण स्थिति गड़बड़ हो रही है भले ही देश में होने वाले कालेजों के निर्यात का आंकड़ा 10,000 करोड़ के पार पहुंच गया है लेकिन भदोही की भागीदारी धीरे-धीरे कम हो रही है


Conclusion:व्यवसाय के लिए बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने की जरूरत है हालांकि यह कोशिश कई सालों से हो रही है लेकिन धरातल पर इसका असर नहीं दिखाई दे रहा है मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कालीन परी क्षेत्र के लोगों का कालीन व्यवसाय से मोहभंग होता जा रहा है अब जयपुर पानीपत आगरा दिल्ली मुख्य रूप से कालीन व्यवसाय के केंद्र बन रहे हैं कारपेट कंपैक्ट के मुख्य संपादक संजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जिस तरीके से हैंडमेड काली नोका इंटरनेशनल मार्केट में मांग कम हो रहा है वह भी एक वजह है कि भदोही से कालीन का निर्यात कम हुआ है हालांकि बहुत सारे एक्सपोर्टर अब मशीनी तकनीक से भी कालीन बनाने लगे हैं लेकिन इसका प्रभाव कुछ सालों तक अभी बना रह सकता है रोजगार की बात करें तो लगभग तीन लाख लोग इससे सीधे तौर पर रोजगार प्राप्त करते हैं लेकिन जिस तरीके से कालीन निर्यात में गिरावट आ रही है उससे निकट भविष्य में स्थिति और खराब हो सकती है सरकार को चाहिए कि जो फेयर लगने के लिए एक्सपो मार्ट का निर्माण उसने कहा है उसको जल्द से जल्द चालू करें और भदोही के कालीन ओं को व्यापक तौर पर एक्सपोजर दिला सके ताकि उद्योग के साथ-साथ रोजगार में भी समृद्धि मिल सके

बाइट_ संजय श्रीवास्तव कारपेट कॉम्पैक्ट के चीफ एडिटर
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