भदोही: जिले का औराई चीनी मिल जो हजारों किसानों को रोजगार दिया करता था, सैकड़ों मजदूरों की रोजीरोटी थी, आज उसी चीनी मिल की मशीनों को राजनीति की जंग लग गई, करोड़ों की लागत से तैयार हुई चीनी मिल जंगल मे तब्दील हो गई, इतना ही नहीं अगर ये चीनी मिल चालू होता तो भदोही समेत आसपास के जिलों के युवाओं, किसानों को रोजगार मिलना था उस चीनी मिल को गोशाला में तब्दील कर दिया गया, स्थिति ये की गोशाला में भी वो व्यवस्था नहीं जो होनी चाहिए थी.
गन्ना के उत्पादन में कमी दिखाते हुए मिल को कर दिया गया बन्द
सन 1970- 71 के समय मे तैयार हुआ औराई चीनी मिल सैकड़ों परिवारों का घर चलाता था, रोज सुबह मजदूरों, किसानों व मशीनों की आवाज से गूंजती चीनी मिल में आज के समय सियापा छा गया है, न वहां कोई मजदूर दिखाई दे रहा , न ही कोई किसान और तो और करोड़ो की सम्पति में जंग लग गई है, सन 2006- 07 में चीनी मिल राजनीति की भेंट चढ़ गई, गन्ना के उत्पादन में कमी दिखाते हुए मिल को बन्द कर दिया गया, बन्द पड़े चीनी मिल ने कई किसानों के घर का निवाला छीना, तो वहीं मजदूरों को बेरोजगार कर दिया , आलम ये की चीनी मिल एक जंगल के रूप में तब्दील हो गया है, हर चुनावों में चीनी मिल एक मुद्दा जरूर बना है पर स्थिति जस की तस बनी हुई है, कसमे हुई वादे हुए, कई ऐलान हुए पर सुधार कुछ न हुआ.
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प्रशासन ने उस चीनी मिल को गोशाला में कर दिया तब्दील
कालीन नगरी समेत आस पास के जिलों में रह रहे जहां गन्ना किसान आज भी उम्मीद बनाये हुए है वहीं प्रशासन ने उस चीनी मिल को गौशाला में तब्दील कर दिया है, धूप बरसात से एक तरफ मशीने खराब हो रही है वहीं ये आवारा पशु भी मशीनों को खराब कर रहे है, कई बार अधिकारियों ने शासन को यहां की स्थिति से रूबरू कराया, कई बार प्रस्ताव भेजे गए पर हुआ कुछ नहीं, मशीने दिन पर दिन खराब होती चली जा रही है, वहीं लोगों की उम्मीदे हर एक पल खत्म होती चली जा रही हैं.
गोशाला में भी नहीं है समुचित व्यवस्था
किसानों, मजदूरों की उम्मीद पूरी होगी ये फिलहाल चीनी मिल की स्थिति को देखते हुए नहीं लगता, हर एक घण्टे मिल की स्थिति खराब होती नजर आ रही है, दूसरी तरफ बन्द पड़े चीनी मिल के गोशाला में लगभग 500 आवारा पशुओं को रखा गया है, जो व्यवस्था होनी चाहिए थी वो देखने को नहीं मिली, न ही पशुओं के लिए समुचित चारा है, न ही पर्याप्त चलनी, गोशाला के लिए तैनात एक गार्ड ने बताया कि पशुओं की संख्या 500 से अधिक हो गई है, जगह के हिसाब से अधिक पशुओं के होने के साथ साथ चारा की व्यवस्था नहीं हो पा रही हैं.