ETV Bharat / state

पर्यटन दिवस विशेष: संत कबीर की महापरिनिर्वाण स्थली को देखने देश-विदेश से आते हैं लोग

author img

By

Published : Sep 26, 2020, 8:09 PM IST

एक तरफ जहां धर्म के नाम पर जगह-जगह हिंसा की खबरें अक्सर सुनने को मिलती है तो वहीं यूपी के संत कबीर नगर जिले के मगहर में एक साथ स्थापित संत कबीर दास की समाधि और मजार स्थल पूरे विश्व को कौमी एकता का संदेश देता नजर आता है. कबीर के अनुयायियों के अलावा पूरे विश्व से पर्यटक कबीर की जिंदगी से जुड़ी बातों को जानने के लिए यहां आते हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
मगहर पर स्पेशल स्टोरी.

संत कबीर नगर: हर साल 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद पर्यटन को बढ़ावा देना है. पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाने वाले सूफी संत कबीर दास की महापरिनिर्वाण स्थली मगहर पर्यटन की दृष्टि से अपने आप में एक अलग पहचान रखता है. देश-विदेश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं और यहां पर एक साथ बनी कबीर की समाधि और मजार पर मत्था टेकते हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर दास की प्रतिमा.

हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान है मगहर
संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर में स्थित उनकी समाधि और मजार आज भी हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान बनी हुई है. संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित मगहर कस्बा किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्योंकि इस छोटे से कस्बे में पूरे विश्व को अमन, शांति और भाईचारे का संदेश कबीर के नाम से जाता है. इसी संदेश को ग्रहण करने और कबीर की समाधि और मजार को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर की मजार.

कबीरपंथी और अनुयायियों के साथ कबीर मठ के पुजारी शांति दास ने बताया कि कबीर दास इस मिथक को तोड़ने के लिए मगहर आए हुए थे, जिसमें मान्यता थी कि काशी में मरने वालों को स्वर्ग और मगहर में मरने वाले को नरक मिलता है. कबीर के अनुयायियों के मुताबिक उन्होंने इस मिथक को तोड़ने के लिए बनारस से संत कबीर नगर के मगहर कस्बे में आए और यहीं से लोगों को कौमी एकता का संदेश दिया.

स्पेशल रिपोर्ट...

क्या है दो फूलों की कहानी
पुजारी शांति दास ने बताया कि जब कबीर दास ने अपने प्राणों का त्याग किया, तब उनके शव के अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम में तकरार होने लगी. इसके बाद एक आकाशवाणी हुई, जिसके बाद संत कबीर का पार्थिव शरीर अचानक 2 फूलों में बदल गया, जिसके बाद एक फूल लेकर हिंदू समाज ने उनकी समाधि स्थली बनाई तो वहीं दूसरे फूल को लेकर मुस्लिम समाज ने मजार का निर्माण कराया. आज पूरे विश्व के पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं. इसके साथ-साथ यहां पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राज्यपाल उत्तर प्रदेश मोतीलाल वोरा, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मत्था टेकने आ चुके हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर की समाधि.

ये भी पढ़ें: संत कबीर नगर: पशु प्रेम की अनोखी मिसाल, बेजुबानों की भूख मिटा रहे प्रदीप

पर्यटकों ने की तारीफ
छपरा जिला, बिहार से मगहर में संत कबीर की समाधि स्थल और मजार देखने आए राजकुमार सिंह ने बताया कि कबीर की परिनिर्वाण स्थली पर्यटन के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखती है, जिसको देखने के लिए वह हमेशा साल में तीन चार बार आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर आने पर जहां कबीर के संदेशों को अपने अंदर पिरोना का मौका मिलता है तो वहीं यहां का नजारा अपने आप में बेहद ही खूबसूरत है. राजकुमार सिंह के साथ ही एक अन्य पर्यटक उमाशंकर साहू ने पर्यटन के रूप में मगहर को विकसित करने के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी.

संत कबीर नगर: हर साल 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद पर्यटन को बढ़ावा देना है. पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाने वाले सूफी संत कबीर दास की महापरिनिर्वाण स्थली मगहर पर्यटन की दृष्टि से अपने आप में एक अलग पहचान रखता है. देश-विदेश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं और यहां पर एक साथ बनी कबीर की समाधि और मजार पर मत्था टेकते हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर दास की प्रतिमा.

हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान है मगहर
संत कबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर में स्थित उनकी समाधि और मजार आज भी हिंदू-मुस्लिम एकता की पहचान बनी हुई है. संत कबीर नगर जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित मगहर कस्बा किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्योंकि इस छोटे से कस्बे में पूरे विश्व को अमन, शांति और भाईचारे का संदेश कबीर के नाम से जाता है. इसी संदेश को ग्रहण करने और कबीर की समाधि और मजार को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर की मजार.

कबीरपंथी और अनुयायियों के साथ कबीर मठ के पुजारी शांति दास ने बताया कि कबीर दास इस मिथक को तोड़ने के लिए मगहर आए हुए थे, जिसमें मान्यता थी कि काशी में मरने वालों को स्वर्ग और मगहर में मरने वाले को नरक मिलता है. कबीर के अनुयायियों के मुताबिक उन्होंने इस मिथक को तोड़ने के लिए बनारस से संत कबीर नगर के मगहर कस्बे में आए और यहीं से लोगों को कौमी एकता का संदेश दिया.

स्पेशल रिपोर्ट...

क्या है दो फूलों की कहानी
पुजारी शांति दास ने बताया कि जब कबीर दास ने अपने प्राणों का त्याग किया, तब उनके शव के अंतिम संस्कार को लेकर हिंदू और मुस्लिम में तकरार होने लगी. इसके बाद एक आकाशवाणी हुई, जिसके बाद संत कबीर का पार्थिव शरीर अचानक 2 फूलों में बदल गया, जिसके बाद एक फूल लेकर हिंदू समाज ने उनकी समाधि स्थली बनाई तो वहीं दूसरे फूल को लेकर मुस्लिम समाज ने मजार का निर्माण कराया. आज पूरे विश्व के पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं. इसके साथ-साथ यहां पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राज्यपाल उत्तर प्रदेश मोतीलाल वोरा, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मत्था टेकने आ चुके हैं.

special story on maghar of sant kabir nagar
संत कबीर की समाधि.

ये भी पढ़ें: संत कबीर नगर: पशु प्रेम की अनोखी मिसाल, बेजुबानों की भूख मिटा रहे प्रदीप

पर्यटकों ने की तारीफ
छपरा जिला, बिहार से मगहर में संत कबीर की समाधि स्थल और मजार देखने आए राजकुमार सिंह ने बताया कि कबीर की परिनिर्वाण स्थली पर्यटन के रूप में अपनी एक अलग पहचान रखती है, जिसको देखने के लिए वह हमेशा साल में तीन चार बार आते रहते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर आने पर जहां कबीर के संदेशों को अपने अंदर पिरोना का मौका मिलता है तो वहीं यहां का नजारा अपने आप में बेहद ही खूबसूरत है. राजकुमार सिंह के साथ ही एक अन्य पर्यटक उमाशंकर साहू ने पर्यटन के रूप में मगहर को विकसित करने के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.