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मराठा शासक ने कराया था भूतेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण, सावन में दर्शन को उमड़ते हैं भक्त

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर की अलग ही पहचान है. इस मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है.

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Published : Jul 29, 2019, 4:53 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

भूतेश्वर महादेव मंदिर.

सहारनपुर: जिले में यूं तो सैकड़ों शिव मंदिर हैं, लेकिन बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर की अलग ही पहचान है. इस मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण मराठा शासक द्वारा किया गया था. मराठा शासकों ने उस समय एक नहीं बल्कि चार शिवालयों की स्थापना की थी. भूतेश्वर महादेव मंदिर जिनमें से एक है.

भूतेश्वर महादेव मंदिर पर शिवभक्तों का लगता है तांता.

बताया जाता है कि जब सहारनपुर में मराठा शासकों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया था, तब मराठा शासक नाथों के नाथ भोलेनाथ के भक्त हुआ करते थे, जिसके चलते मराठा शासकों ने सहारनपुर में भूतेश्वर महादेव, पातालेश्वर महादेव, बागेश्वर महादेव, पाठेश्वर महादेव नामों से चार शिवमंदिर बनवाए थे, जिनमें से भूतेश्वर महादेव मंदिर मुख्य मंदिर माना जाता है. यहां सोमवार के दिन ही नहीं हर रोज श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. शिवभक्त अपने आराध्य देवों के देव महादेव के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं.

मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य हेमन्त मित्तल बताते हैं-
बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया. मराठा शासक भोलेनाथ में आस्था ही नहीं रखते बल्कि उनकी पूजा अर्चना भी करते थे. बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब से बचने के लिए मंदिर में गुप्त शिखर बनवाया गया था.

समाधियों के दर्शन करने से पूरी हो जाती हैं मुरादें-
इस मंदिर में प्रतिदिन दूर-दराज से हजारों श्रदालु आकर दर्शन करते हैं. शिव मंदिर की भव्यता को देखकर हर कोई बाबा के दर्शन करने चला आता है. मंदिर में शिवलिंग के ऊपर लगे छत्र को मराठा काल की धरोहर बताई जाती है. साथ मंदिर में बनी छतरियां भी मराठा शासन की कहानी बयां करती हैं. बताया जाता है कि ये छतरियां संतों की इच्छा समाधि के ऊपर बनी हुई हैं. मंदिर प्रांगण में 20 संतों की समाधि बनी हुई, जहां विभिन्न समय पर साधु-संतों ने समाधि ले ली थी. इन समाधियों के दर्शन मात्र से ही लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं.

मंदिर समिति के पूर्व प्रधान दिनेश अग्रवाल का कहना है-
मराठा शासकों द्वारा बनाए गए भूतेश्वर महादेव मंदिर में जो भक्त लगातार 40 दिन तक दर्शन करने आता है, उसके सारे बिगड़े काम, सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मंदिर प्रांगण में बनी ये संतों की समाधियां मराठा की पहचान दर्शा रही हैं. खास बात ये है कि मराठा शासकों को जिन मंदिरों का निर्माण कराया था उनके नाम के बाद में ईश्वर आता है और ये मंदिर छोटी ईंटों से बनाए गए हैं.

सावन महीने में कई गुना बढ़ जाती है भक्तों की संख्या-
वैसे तो यहां हर दिन श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन सावन महीने में शिव भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. बताया जाता है कि मराठा शासकों ने जितने भी शिवालयों का निर्माण करवाया है, वहां बेलपत्र के पेड़ जरूर लगाएं हैं, जिससे शिव भक्तों को जलाभिषेक करते समय बेलपत्र लाने में सुविधा रहे. बाबा भेटेश्वर महादेव मंदिर में हर साल कांवड़ियों के साथ श्रदालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. मंदिर की भव्यता श्रदालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

सहारनपुर: जिले में यूं तो सैकड़ों शिव मंदिर हैं, लेकिन बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर की अलग ही पहचान है. इस मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण मराठा शासक द्वारा किया गया था. मराठा शासकों ने उस समय एक नहीं बल्कि चार शिवालयों की स्थापना की थी. भूतेश्वर महादेव मंदिर जिनमें से एक है.

भूतेश्वर महादेव मंदिर पर शिवभक्तों का लगता है तांता.

बताया जाता है कि जब सहारनपुर में मराठा शासकों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया था, तब मराठा शासक नाथों के नाथ भोलेनाथ के भक्त हुआ करते थे, जिसके चलते मराठा शासकों ने सहारनपुर में भूतेश्वर महादेव, पातालेश्वर महादेव, बागेश्वर महादेव, पाठेश्वर महादेव नामों से चार शिवमंदिर बनवाए थे, जिनमें से भूतेश्वर महादेव मंदिर मुख्य मंदिर माना जाता है. यहां सोमवार के दिन ही नहीं हर रोज श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. शिवभक्त अपने आराध्य देवों के देव महादेव के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं.

मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य हेमन्त मित्तल बताते हैं-
बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया. मराठा शासक भोलेनाथ में आस्था ही नहीं रखते बल्कि उनकी पूजा अर्चना भी करते थे. बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब से बचने के लिए मंदिर में गुप्त शिखर बनवाया गया था.

समाधियों के दर्शन करने से पूरी हो जाती हैं मुरादें-
इस मंदिर में प्रतिदिन दूर-दराज से हजारों श्रदालु आकर दर्शन करते हैं. शिव मंदिर की भव्यता को देखकर हर कोई बाबा के दर्शन करने चला आता है. मंदिर में शिवलिंग के ऊपर लगे छत्र को मराठा काल की धरोहर बताई जाती है. साथ मंदिर में बनी छतरियां भी मराठा शासन की कहानी बयां करती हैं. बताया जाता है कि ये छतरियां संतों की इच्छा समाधि के ऊपर बनी हुई हैं. मंदिर प्रांगण में 20 संतों की समाधि बनी हुई, जहां विभिन्न समय पर साधु-संतों ने समाधि ले ली थी. इन समाधियों के दर्शन मात्र से ही लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं.

मंदिर समिति के पूर्व प्रधान दिनेश अग्रवाल का कहना है-
मराठा शासकों द्वारा बनाए गए भूतेश्वर महादेव मंदिर में जो भक्त लगातार 40 दिन तक दर्शन करने आता है, उसके सारे बिगड़े काम, सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मंदिर प्रांगण में बनी ये संतों की समाधियां मराठा की पहचान दर्शा रही हैं. खास बात ये है कि मराठा शासकों को जिन मंदिरों का निर्माण कराया था उनके नाम के बाद में ईश्वर आता है और ये मंदिर छोटी ईंटों से बनाए गए हैं.

सावन महीने में कई गुना बढ़ जाती है भक्तों की संख्या-
वैसे तो यहां हर दिन श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन सावन महीने में शिव भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. बताया जाता है कि मराठा शासकों ने जितने भी शिवालयों का निर्माण करवाया है, वहां बेलपत्र के पेड़ जरूर लगाएं हैं, जिससे शिव भक्तों को जलाभिषेक करते समय बेलपत्र लाने में सुविधा रहे. बाबा भेटेश्वर महादेव मंदिर में हर साल कांवड़ियों के साथ श्रदालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. मंदिर की भव्यता श्रदालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

Intro:सहारनपुर : सावन का महीना आते ही जहां कावड़िये कावड़ लेने हरिद्वार निकल जाते है वही शिव मंदिरों में भी भगतो का तांता लगना शुरू हो जाता है। महाशिवरात्रि से पहले ही हरिद्वार से लेकर सम्पूर्ण उत्तर भारत मे शिव भगत कावड़िये भोले नाथ के रंग में रंग जाते है। सहारनपुर की बात करे तो यहां वैसे तो सेकड़ो शिव मंदिर है लेकिन बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर की अलग ही पहचान है। इस मंदिर में न सिर्फ हजारो साल पहले प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है बल्कि इस मंदिर का निर्माण मराठा शासक द्वारा किया गया था। बताया जाता है कि जिस वक्त सहारनपुर में मराठा शासक का वर्चस्व था उस समय वे नाथों के नाथ भोले नाथ के भगत हुआ करते थे। जिसके चलते मराठा शासकों ने एक नही बल्कि 4 शिववालयो की स्थापना की थी। जिनमे से एक भूतेश्वर महादेव मंदिर है। जहां सोमवार के दिन ही नही हर रोज श्रदालुओ का जमावड़ा लगा रहता है। शिवभगत अपने आराध्य देवो के देव महादेव के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि एक समय था जब सहारनपुर में मराठा शासको ने अपना साम्राज्य स्थापित किया था। बताया जाता है कि मराठा शासक नाथों के नाथ भोलेनाथ के भगत हुआ करते थे। जिसके चलते मराठा शासकों ने सहारनपुर में भूतेश्वर महादेव , पातालेश्वर महादेव, बागेश्वर महादेव, पाठेश्वर महादेव नामो से 4 शिवमंदिर बनवाये थे। जिनमे से भूतेश्वर महादेव मंदिर मुख्य मंदिर माना जाता है। मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य हेमन्त मित्तल ने बताया कि बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर में हजारो साल पहले प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है। लेकिन मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया। मराठा शासक भोले नाथ में आस्था ही नही रखते बल्कि उनकी पूजा अर्चना भी करते थे। बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब से बचने के लिए मंदिर में गुप्त शिखर बनवाया गया था। इस मंदिर में प्रतिदिन दूर दराज से हजारों श्रदालु आकर दर्शन करते है। शिव मंदिर की भव्यता को देखकर हर कोई बाबा के दर्शन करने चला आता है। मंदिर में शिवलिंग के ऊपर लगे छत्र मराठा काल की धरोहर बताई जा रही है। साथ मंदिर में बनी छतरियां भी मराठा शासन की कहानी बयां कर रही है। बताया जाता है कि ये छतरियां संतो की इच्छा समाधि के ऊपर बनी हुई है। मंदिर प्रांगण में 20 संतो की समाधि बनी हुई जहां विभिन्न समय पर साधु संतों ने बैठे बिठाए समाधि ले ली थी। इन समाधियों के दर्शन मात्र से ही लोगो की मुरादे पूरी हो जाती है। वहीं मंदिर समिति के पूर्व प्रधान दिनेश अग्रवाल ने बताया कि मराठा शासकों द्वारा बनाये गए भूतेश्वर महादेव मंदिर में जो भक्त लगातार 40 दिन तक दर्शन करने आता है सारे बिगड़े काम, सभी मनोकामनाये पूरी हो जाती है। मंदिर प्रांगण में बनी ये संतो की समाधियां मराठा की पहचान दर्शा रही हैं। खास बात ये है मराठा शासकों को जिन मंदिरों का निर्माण कराया था उनके नाम के बाद में ईश्वर आता है और ये मंदिर छोटी ईंटो से बनाये गए हैं। वैसे तो यहां हर दिन श्रदालुओ का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन सावन महीने में तो शिव भगतो की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। बताया ये भी जा रहा है कि मराठा शासकों ने जितने भी शिवालयों का निर्माण करवाया है वहां बेलपत्र के पेड़ जरूर लगाएं है। जिससे शिवभगतो को जलाभिषेक करते समय बेलपत्र लाने में सुविधा रहे। बाबा भेटेश्वर महादेव मंदिर में हर साल कावड़ियों के साथ श्रदालुओ की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। मंदिर की भव्यता श्रदालुओ के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

बाईट - हेमन्त मित्तल ( सदस्य मंदिर समिति )
बाईट - दिनेश अग्रवाल ( पूर्व प्रधान मंदिर समिति )
बाईट - श्रदालु



Conclusion:FVO - सावन महीने में जहां लाखो शिवभगत कावड़ में गंगा जल लेने हरिद्वार पहुंच रहे है वहीं भोलेनाथ को मनाने हजारो शिवभगत भूतेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर रहे है। मराठा शासकों द्वारा बनवाये गए मंदिरों के बाहर प्रसाद और फूल, मालाओं की दुकाने सजी हुई है।


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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