सहारनपुर: जिले में यूं तो सैकड़ों शिव मंदिर हैं, लेकिन बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर की अलग ही पहचान है. इस मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण मराठा शासक द्वारा किया गया था. मराठा शासकों ने उस समय एक नहीं बल्कि चार शिवालयों की स्थापना की थी. भूतेश्वर महादेव मंदिर जिनमें से एक है.
बताया जाता है कि जब सहारनपुर में मराठा शासकों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया था, तब मराठा शासक नाथों के नाथ भोलेनाथ के भक्त हुआ करते थे, जिसके चलते मराठा शासकों ने सहारनपुर में भूतेश्वर महादेव, पातालेश्वर महादेव, बागेश्वर महादेव, पाठेश्वर महादेव नामों से चार शिवमंदिर बनवाए थे, जिनमें से भूतेश्वर महादेव मंदिर मुख्य मंदिर माना जाता है. यहां सोमवार के दिन ही नहीं हर रोज श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. शिवभक्त अपने आराध्य देवों के देव महादेव के दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं.
मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य हेमन्त मित्तल बताते हैं-
बाबा भूतेश्वर महादेव मंदिर में हजारों साल पहले से प्राकृतिक शिवलिंग विराजमान है. मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया. मराठा शासक भोलेनाथ में आस्था ही नहीं रखते बल्कि उनकी पूजा अर्चना भी करते थे. बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब से बचने के लिए मंदिर में गुप्त शिखर बनवाया गया था.
समाधियों के दर्शन करने से पूरी हो जाती हैं मुरादें-
इस मंदिर में प्रतिदिन दूर-दराज से हजारों श्रदालु आकर दर्शन करते हैं. शिव मंदिर की भव्यता को देखकर हर कोई बाबा के दर्शन करने चला आता है. मंदिर में शिवलिंग के ऊपर लगे छत्र को मराठा काल की धरोहर बताई जाती है. साथ मंदिर में बनी छतरियां भी मराठा शासन की कहानी बयां करती हैं. बताया जाता है कि ये छतरियां संतों की इच्छा समाधि के ऊपर बनी हुई हैं. मंदिर प्रांगण में 20 संतों की समाधि बनी हुई, जहां विभिन्न समय पर साधु-संतों ने समाधि ले ली थी. इन समाधियों के दर्शन मात्र से ही लोगों की मुरादें पूरी हो जाती हैं.
मंदिर समिति के पूर्व प्रधान दिनेश अग्रवाल का कहना है-
मराठा शासकों द्वारा बनाए गए भूतेश्वर महादेव मंदिर में जो भक्त लगातार 40 दिन तक दर्शन करने आता है, उसके सारे बिगड़े काम, सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मंदिर प्रांगण में बनी ये संतों की समाधियां मराठा की पहचान दर्शा रही हैं. खास बात ये है कि मराठा शासकों को जिन मंदिरों का निर्माण कराया था उनके नाम के बाद में ईश्वर आता है और ये मंदिर छोटी ईंटों से बनाए गए हैं.
सावन महीने में कई गुना बढ़ जाती है भक्तों की संख्या-
वैसे तो यहां हर दिन श्रदालुओं का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन सावन महीने में शिव भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. बताया जाता है कि मराठा शासकों ने जितने भी शिवालयों का निर्माण करवाया है, वहां बेलपत्र के पेड़ जरूर लगाएं हैं, जिससे शिव भक्तों को जलाभिषेक करते समय बेलपत्र लाने में सुविधा रहे. बाबा भेटेश्वर महादेव मंदिर में हर साल कांवड़ियों के साथ श्रदालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. मंदिर की भव्यता श्रदालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.