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आस्था का कांवड़: पीठ में टांके लगाकर रस्सी के सहारे खींचा 200 किलो का कावंड़, देखें Video

हरियाणा के कैथल से कांवड़ियों ने अनोखी कांवड़ यात्रा निकाली है. इस दौरान वह कमर की खाल से रस्सी के सहारे कांवड़ को खींच रहे हैं.

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अनोखी कावड़ यात्रा
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Published : Jul 21, 2022, 11:01 PM IST

सहारनपुर : जैसे-जैसे महाशिवरात्रि पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कावड़ियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हरिद्वार हर की पौड़ी से गंगाजल भर कर कांवड़िया अपने गतंव्य को लौट रहे हैं. कावड़ मार्ग न सिर्फ शिवमय हुआ है, बल्कि विभिन्न प्रकार की झांकिया श्रदालुओं और शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा सहारनपुर से सामने आया है. यहां हरियाणा के कैथल जिले से कावड़ लेने आये शिव भक्तों की आस्था करोड़ों कांवड़ियों में सबसे अलग हैं.

गांव केवड़ा निवासी जोगेंद्र गुर्जर पर शिव भक्ति का ऐसा नशा चढ़ा है कि कांवड़ के लिए उसने अपनी पीठ पर टांके लगा कर रस्सियों से बंधवाया हुआ है. कमर की खाल से रस्सी के सहारे 200 किलो की कांवड़ को खींच रहे हैं, जिसे देखकर हर कोई न केवल हैरान है, बल्कि दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हैं. खास बात ये है कि भारी भरकम कांवड़ को खींचते वक्त जोगेंद्र को किसी प्रकार का कोई दर्द पीड़ा नहीं होती, जिससे उसकी आस्था भोले बाबा के एक प्रति बढ़ती जा रही है. या यूं कहें कि नाथो के नाथ भोले नाथ अपने भक्तों की परीक्षा लेने के साथ-साथ रक्षा कर रहे हैं.

अनोखी कावड़ यात्रा

ETV भारत से बातचीत में जोगेंद्र ने बताया कि वे भोले नाथ के भक्त हैं. इस तरह की यह चौथी अनोखी कांवड़ है. खाल में रस्सियां सिलवाकर भारी भरकम कावड़ को खींच कर उन्हें करीब 200 किलोमीटर का सफर तय करना है. जबकि वे 19 जुलाई की शाम से चलकर 70 किलोमीटर सहारनपुर पहुंच चुके हैं. जोगेंद्र पेशे से ताई क्वांडो खिलाड़ी है. अपने गुरु और साथियो के साथ मिलकर अनोखी कांवड़ लाते हैं. जोगेंद्र के मुताबिक खाल में बांध कर कावड़ खींचते वक्त उन्हें किसी प्रकार का कोई दर्द पीड़ा नहीं होती. हालांकि मामूली सी दुखन जरूर होती है, जो सामान्य कांवड़ियों को भी हो जाती है. जोगेंद्र का कहना है कि भोले नाथ की इच्छा से सब सही हो रहा है. खास बात ये भी है कि कमर की खाल में डॉक्टर और सर्जन ने बल्कि इन धागों को जोगेंद्र की ताई क्वांडो गुरु ने खुद सुई से सिला है.


यह भी पढ़ें- शर्मनाक: Love Marriage से नाराज ससुराल वालों ने महिला के प्राइवेट पार्ट में डाला डंडा

जोगेंद्र के गुरू देशराज ने बताया कि इस कावड़ को उन्होंने अनोखी कांवड़ का नाम दिया हुआ है. 2007-8 में पहली बार इस अनोखी श्रद्धा के साथ कांवड़ लाए थे, लेकिन बीच में धन आभाव के चलते ब्रेक लग गया. उसके बाद 2015 में तीसरी और इस बार चौथी अनोखी कांवड़ लेकर आए हैं. कावड़ यात्रा के दौरान भोलेनाथ उनकी मदद करते हैं. 26 जुलाई को महाशिवरात्रि पर्व के दिन अपने गतंव्य पर पहुंच कर भगवान अशुतोष का जलाभिषेक करेंगे, जोगेंद्र की इस भक्ति से जहां कांवड़ मार्ग पर पैदल चल रहे कावड़ियों की हिम्मत बढ़ रही है. वहीं देखने वाले श्रद्धालुओं को हैरान कर रही है.

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सहारनपुर : जैसे-जैसे महाशिवरात्रि पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कावड़ियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. हरिद्वार हर की पौड़ी से गंगाजल भर कर कांवड़िया अपने गतंव्य को लौट रहे हैं. कावड़ मार्ग न सिर्फ शिवमय हुआ है, बल्कि विभिन्न प्रकार की झांकिया श्रदालुओं और शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा सहारनपुर से सामने आया है. यहां हरियाणा के कैथल जिले से कावड़ लेने आये शिव भक्तों की आस्था करोड़ों कांवड़ियों में सबसे अलग हैं.

गांव केवड़ा निवासी जोगेंद्र गुर्जर पर शिव भक्ति का ऐसा नशा चढ़ा है कि कांवड़ के लिए उसने अपनी पीठ पर टांके लगा कर रस्सियों से बंधवाया हुआ है. कमर की खाल से रस्सी के सहारे 200 किलो की कांवड़ को खींच रहे हैं, जिसे देखकर हर कोई न केवल हैरान है, बल्कि दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हैं. खास बात ये है कि भारी भरकम कांवड़ को खींचते वक्त जोगेंद्र को किसी प्रकार का कोई दर्द पीड़ा नहीं होती, जिससे उसकी आस्था भोले बाबा के एक प्रति बढ़ती जा रही है. या यूं कहें कि नाथो के नाथ भोले नाथ अपने भक्तों की परीक्षा लेने के साथ-साथ रक्षा कर रहे हैं.

अनोखी कावड़ यात्रा

ETV भारत से बातचीत में जोगेंद्र ने बताया कि वे भोले नाथ के भक्त हैं. इस तरह की यह चौथी अनोखी कांवड़ है. खाल में रस्सियां सिलवाकर भारी भरकम कावड़ को खींच कर उन्हें करीब 200 किलोमीटर का सफर तय करना है. जबकि वे 19 जुलाई की शाम से चलकर 70 किलोमीटर सहारनपुर पहुंच चुके हैं. जोगेंद्र पेशे से ताई क्वांडो खिलाड़ी है. अपने गुरु और साथियो के साथ मिलकर अनोखी कांवड़ लाते हैं. जोगेंद्र के मुताबिक खाल में बांध कर कावड़ खींचते वक्त उन्हें किसी प्रकार का कोई दर्द पीड़ा नहीं होती. हालांकि मामूली सी दुखन जरूर होती है, जो सामान्य कांवड़ियों को भी हो जाती है. जोगेंद्र का कहना है कि भोले नाथ की इच्छा से सब सही हो रहा है. खास बात ये भी है कि कमर की खाल में डॉक्टर और सर्जन ने बल्कि इन धागों को जोगेंद्र की ताई क्वांडो गुरु ने खुद सुई से सिला है.


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जोगेंद्र के गुरू देशराज ने बताया कि इस कावड़ को उन्होंने अनोखी कांवड़ का नाम दिया हुआ है. 2007-8 में पहली बार इस अनोखी श्रद्धा के साथ कांवड़ लाए थे, लेकिन बीच में धन आभाव के चलते ब्रेक लग गया. उसके बाद 2015 में तीसरी और इस बार चौथी अनोखी कांवड़ लेकर आए हैं. कावड़ यात्रा के दौरान भोलेनाथ उनकी मदद करते हैं. 26 जुलाई को महाशिवरात्रि पर्व के दिन अपने गतंव्य पर पहुंच कर भगवान अशुतोष का जलाभिषेक करेंगे, जोगेंद्र की इस भक्ति से जहां कांवड़ मार्ग पर पैदल चल रहे कावड़ियों की हिम्मत बढ़ रही है. वहीं देखने वाले श्रद्धालुओं को हैरान कर रही है.

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