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हाजी इकबाल का काला सच आया सामने, MLC चुनाव में इस्तेमाल किये थे फर्जी दस्तावेज़

सहारनपुर में खनन माफिया हाजी इकबाल की अवैध तरीकों से अर्जित की गई 21 करोड़ की संपत्ति कुर्क करने के बाद अब नया तथ्य सामने आया है. पता चला है कि एमएलसी चुनाव में हाजी इकबाल ने जिस स्कूल के शैक्षिक दस्तावेज जमा किए थे, वह स्कूल ही दस साल बाद खुला था.

EXCLUSIVE_सहारनपुर : फर्जी शैक्षिक योग्यता से एमएलसी बन गए खनन माफिया, अवैध खनन में मिलकर हुई बंदबांट
EXCLUSIVE_सहारनपुर : फर्जी शैक्षिक योग्यता से एमएलसी बन गए खनन माफिया, अवैध खनन में मिलकर हुई बंदबांट
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Published : May 2, 2022, 5:03 PM IST

Updated : May 3, 2022, 7:24 AM IST

सहारनपुर : सहारनपुर में खनन माफिया हाजी इकबाल की अवैध तरीकों से अर्जित की गई 21 करोड़ की संपत्ति कुर्क करने के बाद पुलिस जांच में जुटी हुई है. हाजी इकबाल, परिजनों और साझेदारों के खिलाफ थानों में मुकदमे दर्ज कर पुलिस गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है. नया खुलासा यह हुआ है कि हाजी इकबाल और उसके छोटे भाई महमूद अली ने MLC के चुनाव में जिस स्कूल के फर्जी शैक्षिक दस्तावेज लगाए थे वह स्कूल ही दस साल बाद खुला था. एक आरटीआई में इसका खुलासा हुआ है. फर्जी शैक्षिक योग्यता के आधार पर दोनों भाई 6-6 साल तक MLC रहे औऱ अब सरकार से पेंशन भी ले रहे हैं.

2007 में बसपा सरकार में खनन माफिया हाजी इकबाल पर मुख्यमंत्री मायावती मेहरबान हो गईं. इकबाल बाला ने न सिर्फ यमुना नदी का सीना चीर कर अवैध खनन को अंजाम दिया बल्कि एनजीटी और सरकारी नियमों का मख़ौल उड़ाया. 100 से 125 फ़ीट गहराई तक खनन कर कुछ ही वर्षो में बेनामी संपत्ति का बेताब बादशाह बन गया. बसपा शासनकाल मे करीब 14 चीनी मिलों को औने-पौने दाम में खरीद लिया. यहीं नहीं 20 हजार बीघा से ज्यादा जमीन अपने नौकरों, रिश्तेदारों एव परिजनों के नाम करा दी. सफेद रेत के काले कारोबार की काली कमाई के 10 हजार करोड़ से ज्यादा रुपया 111 फर्जी कंपनियों में लगाए हुए हैं. सीबीआई और ईडी इसकी जांच कर रही हैं.

हाजी इकबाल ने बसपा सरकार में 2010 में राजनीति में कदम रखा. बसपा के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़ा और पैसे बांटकर MLC बन गया. हैरानी की बात तो ये है कि MLC पद के चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय हाजी इकबाल ने देवबंद के एक ऐसे स्कूल से 1987 में आठवीं पास का शैक्षिक योग्यता प्रमाणपत्र जमा किया जिस स्कूल की स्थापना ही साल 1996 में हुई थी. इक़बाल बाला ने निर्वाचन आयोग को गुमराह कर फर्जी शैक्षिक योग्यता के आधार पर विधान परिषद सदस्य की शपथ ली थी. हाजी इकबाल के रसूख के चलते उस वक्त चुनाव आयोग या सबंधित रिटर्निंग ऑफिसर ने इसकी कोई जांच पड़ताल नहीं की. 6 साल विधान परिषद का सदस्य रहते बसपा सरकार के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार में भी खनन माफिया इकबाल बाला ने जमकर अवैध खनन किया. उनके इस खेल में पूर्व जिला अधिकारी और एसडीएम भी शामिल रहे.


ये भी पढ़ेंः खनन माफिया हाजी इकबाल की संपत्ति पर चला बुलडोजर, 21 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क

फर्जी शैक्षिक योग्यता का खेल हाजी इकबाल तक ही खत्म नहीं होता. 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार में इकबाल बाला ने छोटे भाई महमूद अली को विधान परिषद का चुनाव लड़ाया था. इस दौरान भी हाजी इकबाल ने अपने भाई के नामांकन पत्र में स्वामी विवेकानंद शुभारती विश्वविद्यालय मेरठ से BBA डिग्री धारक दर्शाया था. महमूद अली ने नामांकन पत्र में बताया था कि उसने 2013 में शुभारती विश्वविद्यालय से BBA पास किया है लेकिन जब इस बाबत विश्वविद्यालय से RTI में पूछा गया तो विश्वविद्यालय ने लिखकर दिया कि महमूद अली पुत्र अब्दुल वहीद निवासी मिर्जापुर जिला सहारनपुर नाम से किसी भी छात्र ने 2013 या अन्य वर्ष में BBA पास नही किया है. दोनों भाइयों ने 12 साल तक सरकारी सुविधाओं का जमकर लाभ उठाया. SIT टीम की जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. हाजी इकबाल फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है.

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सहारनपुर : सहारनपुर में खनन माफिया हाजी इकबाल की अवैध तरीकों से अर्जित की गई 21 करोड़ की संपत्ति कुर्क करने के बाद पुलिस जांच में जुटी हुई है. हाजी इकबाल, परिजनों और साझेदारों के खिलाफ थानों में मुकदमे दर्ज कर पुलिस गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है. नया खुलासा यह हुआ है कि हाजी इकबाल और उसके छोटे भाई महमूद अली ने MLC के चुनाव में जिस स्कूल के फर्जी शैक्षिक दस्तावेज लगाए थे वह स्कूल ही दस साल बाद खुला था. एक आरटीआई में इसका खुलासा हुआ है. फर्जी शैक्षिक योग्यता के आधार पर दोनों भाई 6-6 साल तक MLC रहे औऱ अब सरकार से पेंशन भी ले रहे हैं.

2007 में बसपा सरकार में खनन माफिया हाजी इकबाल पर मुख्यमंत्री मायावती मेहरबान हो गईं. इकबाल बाला ने न सिर्फ यमुना नदी का सीना चीर कर अवैध खनन को अंजाम दिया बल्कि एनजीटी और सरकारी नियमों का मख़ौल उड़ाया. 100 से 125 फ़ीट गहराई तक खनन कर कुछ ही वर्षो में बेनामी संपत्ति का बेताब बादशाह बन गया. बसपा शासनकाल मे करीब 14 चीनी मिलों को औने-पौने दाम में खरीद लिया. यहीं नहीं 20 हजार बीघा से ज्यादा जमीन अपने नौकरों, रिश्तेदारों एव परिजनों के नाम करा दी. सफेद रेत के काले कारोबार की काली कमाई के 10 हजार करोड़ से ज्यादा रुपया 111 फर्जी कंपनियों में लगाए हुए हैं. सीबीआई और ईडी इसकी जांच कर रही हैं.

हाजी इकबाल ने बसपा सरकार में 2010 में राजनीति में कदम रखा. बसपा के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़ा और पैसे बांटकर MLC बन गया. हैरानी की बात तो ये है कि MLC पद के चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय हाजी इकबाल ने देवबंद के एक ऐसे स्कूल से 1987 में आठवीं पास का शैक्षिक योग्यता प्रमाणपत्र जमा किया जिस स्कूल की स्थापना ही साल 1996 में हुई थी. इक़बाल बाला ने निर्वाचन आयोग को गुमराह कर फर्जी शैक्षिक योग्यता के आधार पर विधान परिषद सदस्य की शपथ ली थी. हाजी इकबाल के रसूख के चलते उस वक्त चुनाव आयोग या सबंधित रिटर्निंग ऑफिसर ने इसकी कोई जांच पड़ताल नहीं की. 6 साल विधान परिषद का सदस्य रहते बसपा सरकार के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार में भी खनन माफिया इकबाल बाला ने जमकर अवैध खनन किया. उनके इस खेल में पूर्व जिला अधिकारी और एसडीएम भी शामिल रहे.


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फर्जी शैक्षिक योग्यता का खेल हाजी इकबाल तक ही खत्म नहीं होता. 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार में इकबाल बाला ने छोटे भाई महमूद अली को विधान परिषद का चुनाव लड़ाया था. इस दौरान भी हाजी इकबाल ने अपने भाई के नामांकन पत्र में स्वामी विवेकानंद शुभारती विश्वविद्यालय मेरठ से BBA डिग्री धारक दर्शाया था. महमूद अली ने नामांकन पत्र में बताया था कि उसने 2013 में शुभारती विश्वविद्यालय से BBA पास किया है लेकिन जब इस बाबत विश्वविद्यालय से RTI में पूछा गया तो विश्वविद्यालय ने लिखकर दिया कि महमूद अली पुत्र अब्दुल वहीद निवासी मिर्जापुर जिला सहारनपुर नाम से किसी भी छात्र ने 2013 या अन्य वर्ष में BBA पास नही किया है. दोनों भाइयों ने 12 साल तक सरकारी सुविधाओं का जमकर लाभ उठाया. SIT टीम की जांच में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. हाजी इकबाल फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से दूर है.

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Last Updated : May 3, 2022, 7:24 AM IST
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