सहारनपुर: कोरोना काल में हुए लॉकडाउन की वजह से देशभर में उद्योग धंधे बंद हुए. साथ ही स्कूल-कॉलेज, राजनीतिक, सामाजिक, सरकारी-गैरसरकारी कार्यक्रम ही नहीं देवी-देवताओं के जागरण पर भी प्रतिबंध लग गया. ऐसे में जागरण करने वाली पार्टी के सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है. जागरण से जुड़े परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं, जिसके चलते सहारनपुर जागरण मंच के पदाधिकारियों ने सीएम और पीएम को ज्ञापन भेज कर जागरण कराने की अनुमति की मांग की है.
कोरोना वायरस के खौफ से तीन महीने तक चले सम्पूर्ण लॉकडाउन में दिहाड़ी मजदूरों के साथ मध्यम वर्गीय परिवारों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. इतना ही नहीं धार्मिक अनुष्ठान और मां भगवती के जागरण कराने वाली टीमें भी पूरी तरह प्रभावित हुई हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए सरकार ने मंदिर-मस्जिद को बंद कराने के साथ सभी धार्मिक अनुष्ठानों और जागरण कराने पर भी रोक लगाई हुई है. पिछले तीन महीनों में लॉकडाउन की वजह से जागरण पार्टी से जुड़े हजारों लोग न सिर्फ बेरोजगार हो गए, बल्कि उनके सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है.
ईटीवी भारत से बातचीत में जागरण मंच से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी आय का एक मात्र स्रोत देवी-देवताओं के जागरण, अनुष्ठान कराना है. जागरण के माध्यम से जहां देवी-देवताओं की आराधना करते हैं, वहीं भजन गाकर श्रद्धालुओं का मनोरंजन भी करते हैं.
लॉकडाउन खुलने के बाद सभी कारोबार खुल गए हैं, इसलिए उनके कारोबार यानी जागरण करने की भी अनुमति मिलनी चाहिए. जिससे भुखमरी से जूझ रहे साजिंदे, गायक और झांकी दिखाने वाले कलाकार अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. उन्होंने सीएम और पीएम के नाम ज्ञापन भेजकर जागरण करने की अनुमति की मांगी की है.
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