सहारनपुर: फर्जी तरीके से जमीन खरीद-फरोख्त मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की मुश्किलें एक के बाद एक बढ़ती जा रही हैं. पूर्व एमएलसी हाजी इजबाल और उनके बेटे वाजिद अली के खिलाफ फर्जी तरीके से विभिन्न कंपनियों, गरीब परिवारों और नाबालिक बच्चों के नाम से कृषि भूमि खरीदने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. एडीएम वित्तीय की अदालत ने हाजी इकबाल और उसके बेटे की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को जांच-पड़ताल के बाद राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं.
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पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा
- बसपा शासन में एमएलसी रहे हाजी इकबाल का अपना अलग ही वर्चस्व रहा है.
- इसके बल पर उन्होंने न सिर्फ अवैध खनन को अंजाम दिया, बल्कि अलग-अलग लोगों के नाम से हजारों करोड़ रुपये की अपार संम्पत्ति बना ली.
- इतना ही नहीं अवैध खनन मामले में जांच शुरू हुई तो अपने छोटे भाई महमूद अली को एमएलसी बनवा दिया, ताकि शासन में अपनी पैठ बनाये रखें.
- अवैध खनन की जांच तो ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है.
- खनन से कमाए पैसे से हाजी इकबाल ने विभिन्न कंपनियों, रिश्तेदारों और नाबालिग बच्चों के नाम से कृषि योग्य जमीन खरीदी थी.
- इस दौरान उनके द्वारा न सिर्फ स्टांप चोरी किए गए, बल्कि नियमों और कानून को ताक पर रखकर जमीन के बैनामे किए गए.
- शिकायतकर्ता की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी की अदालत में मामले का संज्ञान लेकर जांच कराई गई तो जमीन खरीद फरोख्त के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है.
एडीएम वित्तीय विनोद कुमार ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि अपर जिला मैजिस्ट्रेट के न्यायालय से जो फैसला आया है, उसमें पूर्व एमएलसी और उनके बेटे वाजिद अली द्वारा विभिन्न लोगों, कुछ कंपनियों और नाबालिग बच्चों के नाम से जमीन की खरीद फरोख्त करना पाया गया है. अलग-अलग समय मे इन लोगों कानून और नियमों को ताक पर रख कर सैकड़ों बीघा जमीन खरीदी थी. उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भू-व्यवस्था अधिनियम 1950 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई, जबकि उस समय यह अधिनियम प्रचलित था और इन्होंने नियम के विपरीत भूमि खरीद कर अन्य लोगों के नाम बैनामे करा दिए थे.
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उक्त जमीन को राज्य सरकार में निहित करने से पहले यह फैसला भी लिया गया है कि इस जमीन पर जितने भी चार्ज यानी ऋण एवं अन्य भार होगा तो जमीन को उससे मुक्त कर लिया जाएगा और उक्त भार को जमीन खरीदने वाले को चुकाना पड़ेगा. एमएलसी हाजी इकबाल और उनके बेटे वाजिद अली की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए गए हैं. नियमानुसार अपील के लिए एक महीने का पीरियड होता है. इस अपील के समय की समाप्ति के बाद उचित कार्रवाई के साथ जमीन को राज्य सरकार में निहित कर लिया जाता है.
- विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व