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सहारनपुर: पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा, अवैध तरीके से खरीदी गई जमीन जब्त

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में फर्जी तरीके से जमीन खरीद-फरोख्त मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. एडीएम वित्तीय की अदालत ने हाजी इकबाल और उसके बेटे को निहित करने के आदेश दिए हैं. एडीएम फाइनेंस ने बताया कि एमएलसी हाजी इकबाल ने कानून को ताक पर रखकर कृषि भूमि की खरीद फरोख्त की थी.

पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा.
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Published : Aug 17, 2019, 11:30 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: फर्जी तरीके से जमीन खरीद-फरोख्त मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की मुश्किलें एक के बाद एक बढ़ती जा रही हैं. पूर्व एमएलसी हाजी इजबाल और उनके बेटे वाजिद अली के खिलाफ फर्जी तरीके से विभिन्न कंपनियों, गरीब परिवारों और नाबालिक बच्चों के नाम से कृषि भूमि खरीदने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. एडीएम वित्तीय की अदालत ने हाजी इकबाल और उसके बेटे की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को जांच-पड़ताल के बाद राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं.

पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा.

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पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा

  • बसपा शासन में एमएलसी रहे हाजी इकबाल का अपना अलग ही वर्चस्व रहा है.
  • इसके बल पर उन्होंने न सिर्फ अवैध खनन को अंजाम दिया, बल्कि अलग-अलग लोगों के नाम से हजारों करोड़ रुपये की अपार संम्पत्ति बना ली.
  • इतना ही नहीं अवैध खनन मामले में जांच शुरू हुई तो अपने छोटे भाई महमूद अली को एमएलसी बनवा दिया, ताकि शासन में अपनी पैठ बनाये रखें.
  • अवैध खनन की जांच तो ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है.
  • खनन से कमाए पैसे से हाजी इकबाल ने विभिन्न कंपनियों, रिश्तेदारों और नाबालिग बच्चों के नाम से कृषि योग्य जमीन खरीदी थी.
  • इस दौरान उनके द्वारा न सिर्फ स्टांप चोरी किए गए, बल्कि नियमों और कानून को ताक पर रखकर जमीन के बैनामे किए गए.
  • शिकायतकर्ता की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी की अदालत में मामले का संज्ञान लेकर जांच कराई गई तो जमीन खरीद फरोख्त के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है.

एडीएम वित्तीय विनोद कुमार ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि अपर जिला मैजिस्ट्रेट के न्यायालय से जो फैसला आया है, उसमें पूर्व एमएलसी और उनके बेटे वाजिद अली द्वारा विभिन्न लोगों, कुछ कंपनियों और नाबालिग बच्चों के नाम से जमीन की खरीद फरोख्त करना पाया गया है. अलग-अलग समय मे इन लोगों कानून और नियमों को ताक पर रख कर सैकड़ों बीघा जमीन खरीदी थी. उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भू-व्यवस्था अधिनियम 1950 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई, जबकि उस समय यह अधिनियम प्रचलित था और इन्होंने नियम के विपरीत भूमि खरीद कर अन्य लोगों के नाम बैनामे करा दिए थे.

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उक्त जमीन को राज्य सरकार में निहित करने से पहले यह फैसला भी लिया गया है कि इस जमीन पर जितने भी चार्ज यानी ऋण एवं अन्य भार होगा तो जमीन को उससे मुक्त कर लिया जाएगा और उक्त भार को जमीन खरीदने वाले को चुकाना पड़ेगा. एमएलसी हाजी इकबाल और उनके बेटे वाजिद अली की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए गए हैं. नियमानुसार अपील के लिए एक महीने का पीरियड होता है. इस अपील के समय की समाप्ति के बाद उचित कार्रवाई के साथ जमीन को राज्य सरकार में निहित कर लिया जाता है.
- विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व

सहारनपुर: फर्जी तरीके से जमीन खरीद-फरोख्त मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की मुश्किलें एक के बाद एक बढ़ती जा रही हैं. पूर्व एमएलसी हाजी इजबाल और उनके बेटे वाजिद अली के खिलाफ फर्जी तरीके से विभिन्न कंपनियों, गरीब परिवारों और नाबालिक बच्चों के नाम से कृषि भूमि खरीदने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. एडीएम वित्तीय की अदालत ने हाजी इकबाल और उसके बेटे की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को जांच-पड़ताल के बाद राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं.

पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा.

इसे भी पढ़ें:- सहारनपुर: जमीन विवाद के चलते भाई ने की भाई की हत्या

पूर्व MLC हाजी इकबाल पर प्रशासन ने कसा शिकंजा

  • बसपा शासन में एमएलसी रहे हाजी इकबाल का अपना अलग ही वर्चस्व रहा है.
  • इसके बल पर उन्होंने न सिर्फ अवैध खनन को अंजाम दिया, बल्कि अलग-अलग लोगों के नाम से हजारों करोड़ रुपये की अपार संम्पत्ति बना ली.
  • इतना ही नहीं अवैध खनन मामले में जांच शुरू हुई तो अपने छोटे भाई महमूद अली को एमएलसी बनवा दिया, ताकि शासन में अपनी पैठ बनाये रखें.
  • अवैध खनन की जांच तो ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है.
  • खनन से कमाए पैसे से हाजी इकबाल ने विभिन्न कंपनियों, रिश्तेदारों और नाबालिग बच्चों के नाम से कृषि योग्य जमीन खरीदी थी.
  • इस दौरान उनके द्वारा न सिर्फ स्टांप चोरी किए गए, बल्कि नियमों और कानून को ताक पर रखकर जमीन के बैनामे किए गए.
  • शिकायतकर्ता की शिकायत पर अपर जिलाधिकारी की अदालत में मामले का संज्ञान लेकर जांच कराई गई तो जमीन खरीद फरोख्त के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है.

एडीएम वित्तीय विनोद कुमार ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि अपर जिला मैजिस्ट्रेट के न्यायालय से जो फैसला आया है, उसमें पूर्व एमएलसी और उनके बेटे वाजिद अली द्वारा विभिन्न लोगों, कुछ कंपनियों और नाबालिग बच्चों के नाम से जमीन की खरीद फरोख्त करना पाया गया है. अलग-अलग समय मे इन लोगों कानून और नियमों को ताक पर रख कर सैकड़ों बीघा जमीन खरीदी थी. उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भू-व्यवस्था अधिनियम 1950 की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई, जबकि उस समय यह अधिनियम प्रचलित था और इन्होंने नियम के विपरीत भूमि खरीद कर अन्य लोगों के नाम बैनामे करा दिए थे.

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उक्त जमीन को राज्य सरकार में निहित करने से पहले यह फैसला भी लिया गया है कि इस जमीन पर जितने भी चार्ज यानी ऋण एवं अन्य भार होगा तो जमीन को उससे मुक्त कर लिया जाएगा और उक्त भार को जमीन खरीदने वाले को चुकाना पड़ेगा. एमएलसी हाजी इकबाल और उनके बेटे वाजिद अली की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए गए हैं. नियमानुसार अपील के लिए एक महीने का पीरियड होता है. इस अपील के समय की समाप्ति के बाद उचित कार्रवाई के साथ जमीन को राज्य सरकार में निहित कर लिया जाता है.
- विनोद कुमार, अपर जिलाधिकारी, वित्त एवं राजस्व

Intro:सहारनपुर : फर्जी तरीके से जमीन खरीद-फरोख्त मामले में बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की मुश्किलें एक के बाद एक बढ़ती जा रही हैं। एमएलसी हाजी इजबाल और उसके बेटे वाजिद अली के खिलाफ फर्जी तरीके से विभिन्न कंपनियों, गरीब परिवारों और नाबालिक बच्चों के नाम से कृषि भूमि खरीदने के आरोप में मुकदमे दर्ज किए गए है। एडीएम वितीय की अदालत ने हाजी इकबाल और उसके बेटे की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को जांच पड़ताल के बाद राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं। एडीएम फाइनेंस विनोद कुमार ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि एमएलसी हाजी इकबाल और उनके बेटों ने विभिन्न कंपनियों और नाबालिक बच्चों के नामों से कानून और नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि की खरीद फरोख्त की थी। जिसमें स्टांप चोरी कर पैसे के लेनदेन को भी छुपाया गया था।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि बसपा शासन में एमएलसी रहे हाजी इकबाल का अपना अलग ही वर्चस्व रहा है। जिसके बल पर उन्होंने न सिर्फ अवैध खनन को अंजाम दिया बल्कि अलग अलग नामो से हजारो करोड़ रुपये की अपार संम्पत्ति बना ली। इतना ही नही अवैध खनन मामले में जांच शुरू हुई तो अपने छोटे भाई महमूद अली को एमएलसी बनवा दिया। ताकि शासन में अपनी पैठ बनाये रखे। अवैध खनन की जांच तो ईडी और सीबीआई द्वारा की जा रही है लेकिन खनन से कमाए पैसे से हाजी इकबाल ने विभिन्न कंपनियों, रिस्तेदारो, और नाबालिग बच्चो के नाम से कृषि योग्य जमीन खरीदी थी। इस दौरान उनके द्वारा न सिर्फ स्टांप चोरी की गई बल्कि नियमो और कानून को ताक पर रखकर जमीन के बैनामे किये गए। शिकायतकर्ता की शिकायत पर अपर जिला अधिकारी की अदालत में मामले का संज्ञान लेकर जांच कराई तो जमीन खरीद फरोख्त के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है। एडीएम वितीय विनोद कुमार ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि अपर जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय से जो फैसला आया है उसमें पूर्व एमएलसी और उसके बेटे वाजिद अली द्वारा विभिन्न लोगो , कुछ छंद नामो, कुछ कंपनियों और नाबालिग बच्चो के नामो से जमीन की खरीद फरोख्त करना पाया गया है। अलग अलग समय मे इन लोगो कानून और नियमो को ताक पर रख कर सेकड़ो बीघा जमीन खरीदी थी। उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भू व्यवस्था अधिनियम 1950 की खुले आम धज्जियां उड़ाई गई। जबकि उस समय यह अधिनियम प्रचलित था और इन्होंने नियम के विपरीत भूमि खरीद कर अन्य लोगो के नाम बैनामे करा दिए थे। हालांकि कानूनी तौर पर यदि कानून के खिलाफ कोई भूमि खरीदी जाती है तो उस दिन से ही वह जमीन राज्य सरकार में निहित हो जाती है। वर्तमान परिस्तिथि में अपर मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा उदघोषणा की गई थी कि लगभग 35 हेक्टेयर भूमि एमएलसी और उनके बेटे वाजिद अली जो कानून के दायरे से बाहर जा रही है उसको कानून दायरे में व्यापक जांच पड़ताल के बाद राज्य सरकार में निहित किया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त जमीन को राज्य सरकार में निहित करने से पहले यह फैसला भी लिया गया है कि इस जमीन पर जितने भी चार्ज यानी ऋण एवं अन्य भार होगा तो जमीन को उससे मुक्त कर लिया जाएगा और उक्त भार को जमीन ख़रीदने वाले को चुकाना पड़ेगा। एमएलसी हाजी इकबाल और उनके बेटे वाजिद अली की करीब 35 हेक्टेयर जमीन को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए गए हैं। नियमानुसार अपील के लिए एक महीने का पीरियड होता है इस अपील के समय की समाप्ति के बाद उचित कार्यवाई के साथ जमीन को राज्य सरकार में निहित कर लिया जाता है।

बाईट - विनोद कुमार ( अपर जिलाधिकारी वितीय )



Conclusion:FVO - जिला प्रशासन की इस कार्यवाई के बाद से एमएलसी खेमे में हड़कम्प की स्तिथि बनी हुई है। हालांकि अभी तक एमएलसी की ओर से अपने बचाव में कोई अपील भी नही की गई है। बसपा सरकार में एमएलसी रहे हाजी इकबाल के खिलाफ ईडी और सीबीआई जी जांच पहले ही चल रही है। अब जमीन खरीद फरोख्त मामले एमएलसी समेत पूरे परिवार पर शिकंजा कसा जा रहा है।


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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