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सहारनपुर पुलिस का बड़ा कारनामा, नाम एक होने पर निर्दोष को भेज दिया जेल

सहारनपुर पुलिस ने एक नाम होने के कारण अपराधी की जगह निर्दोष को जेल भेज दिया. कोर्ट ने गिरफ्तार जमानत पर रिहा करते हुए जांच के आदेश दिए हैं.

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पीड़ित पीड़ित चौधरी इकराम
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Published : Aug 11, 2022, 9:26 PM IST

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियो पर अंकुश लगाने के दावे कर रही है. अधिकारियों की वाहवाही लूटने के लिए थानेदार निर्दोष लोगों को जेल भेजने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. जनपद के थाना देहात कोतवाली पुलिस का बड़ा कारनामा सामने आया है. पुलिस ने एक निर्दोष व्यक्ति को इसलिए जेल भेज दिया क्योंकि उसका और पिता का नाम अपराधी से मिलता था. हालांकि पीड़ित अपनी बेगुनाही के सबूत दिखाता रहा, लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते निर्दोष को एक दिन जेल की हवा खानी पड़ी. पुलिस ने बिना जांच पड़ताल किए ही इकराम नाम के व्यक्ति को दूसरे इकराम की जगह गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जबकि सबूत और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अगले ही दिन उसको जमानत देकर पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं. पीड़ित के मुताबिक पुलिस के इस कारनामे से उसकी छवि खराब हुई है. इससे वह मानसिक तनाव में है.

थाना देहात कोतवाली इलाके के चौधरी विहार में रहने वाले इकराम ने 2015 में श्रीराम फाइनेंस कंपनी से गाड़ियों पर 1.50 लाख रुपये का लोन लिया था. लेकिन, किन्ही कारणों के इकराम लोन की किस्तें नहीं चुका पाया. इसके चलते फाइनेंस कंपनी ने थाना देहात कोतवाली में इकराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. लंबे समय से आरोपी इकराम फरार चल रहा था यही वजह है कि पुलिस ने अदालत से NBW वारंट जारी किया थे. हैरानी की बात तो ये है कि 7 अगस्त को पुलिस ने असली इकराम के बजाए कृष्णा इंक्लेव में रहने वाले चौधरी इकराम को गिरफ्तार कर लिया जबकि चौधरी इकराम अपने को बेगुनाह बताता रहा, लेकिन पुलिस ने गुडवर्क दिखाने की जल्दबाजी में उसकी बेगुनाही के सबूत देखना तो दूर उसकी सुनवाई भी नहीं की.

जानकारी देता पीड़ित पीड़ित चौधरी इकराम
पीड़ित चौधरी इकराम के मुताबिक सोमवार को उसका मामला स्पेशल जज के पास पहुंचा. जहां चौधरी इकराम ने अपनी बेगुनाही के सबूत दिखाए. अदालत ने चौधरी इकराम के सबूत देखे तो हैरान रह गई. पीड़ित चौधरी इकराम ने अदालत को बताया कि उसका नाम चौधरी इकराम और पिता का नाम हाजी मेहंदी हसन है. जबकि असली गुनहगार नाम सिर्फ इकराम है, लेकिन संयोग से उसके पिता का नाम भी मेहंदी है. इसके चलते पुलिस ने बिना पूछताछ एवं जांच किए ही उसको गिरफ्तार कर हथकड़ी लगाकर थाने ले गई. अदालत ने सबूतों एवं साक्ष्यों के आधार पर न सिर्फ पुलिस को फटकार लगाई बल्कि मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं.

यह भी पढे़ं: गोरखपुर पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, कहा- निर्दोष लोगों को भेजा गया जबरन जेल


चौधरी इकराम ने बताया कि वह जनवरी 2009 से दोहा में रहकर कारोबार कर रहा है. लेकिन, बीच-बीच में वह अपने बच्चों से मिलने सहारनपुर आता रहता है. कोरोना की वजह से कारोबार बंद हो गया, तो वह 2020 से सहारनपुर के कृष्णा इन्क्लेव में ही परिवार के साथ रहता है. चौधरी इकराम ने बताया कि उसने आज तक जिंदगी में कभी किसी भी प्रकार का लोन नहीं लिया है. दूसरे इकराम के गुनाह की सजा पुलिस की वजह से मुझे भुगतनी पड़ रही है. एक जैसे नाम जरूर है लेकिन मेरा पता अलग है. गिरफ्तारी होने से मेरी मानहानि हुई है.


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सहारनपुर: उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियो पर अंकुश लगाने के दावे कर रही है. अधिकारियों की वाहवाही लूटने के लिए थानेदार निर्दोष लोगों को जेल भेजने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. जनपद के थाना देहात कोतवाली पुलिस का बड़ा कारनामा सामने आया है. पुलिस ने एक निर्दोष व्यक्ति को इसलिए जेल भेज दिया क्योंकि उसका और पिता का नाम अपराधी से मिलता था. हालांकि पीड़ित अपनी बेगुनाही के सबूत दिखाता रहा, लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते निर्दोष को एक दिन जेल की हवा खानी पड़ी. पुलिस ने बिना जांच पड़ताल किए ही इकराम नाम के व्यक्ति को दूसरे इकराम की जगह गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जबकि सबूत और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने अगले ही दिन उसको जमानत देकर पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं. पीड़ित के मुताबिक पुलिस के इस कारनामे से उसकी छवि खराब हुई है. इससे वह मानसिक तनाव में है.

थाना देहात कोतवाली इलाके के चौधरी विहार में रहने वाले इकराम ने 2015 में श्रीराम फाइनेंस कंपनी से गाड़ियों पर 1.50 लाख रुपये का लोन लिया था. लेकिन, किन्ही कारणों के इकराम लोन की किस्तें नहीं चुका पाया. इसके चलते फाइनेंस कंपनी ने थाना देहात कोतवाली में इकराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. लंबे समय से आरोपी इकराम फरार चल रहा था यही वजह है कि पुलिस ने अदालत से NBW वारंट जारी किया थे. हैरानी की बात तो ये है कि 7 अगस्त को पुलिस ने असली इकराम के बजाए कृष्णा इंक्लेव में रहने वाले चौधरी इकराम को गिरफ्तार कर लिया जबकि चौधरी इकराम अपने को बेगुनाह बताता रहा, लेकिन पुलिस ने गुडवर्क दिखाने की जल्दबाजी में उसकी बेगुनाही के सबूत देखना तो दूर उसकी सुनवाई भी नहीं की.

जानकारी देता पीड़ित पीड़ित चौधरी इकराम
पीड़ित चौधरी इकराम के मुताबिक सोमवार को उसका मामला स्पेशल जज के पास पहुंचा. जहां चौधरी इकराम ने अपनी बेगुनाही के सबूत दिखाए. अदालत ने चौधरी इकराम के सबूत देखे तो हैरान रह गई. पीड़ित चौधरी इकराम ने अदालत को बताया कि उसका नाम चौधरी इकराम और पिता का नाम हाजी मेहंदी हसन है. जबकि असली गुनहगार नाम सिर्फ इकराम है, लेकिन संयोग से उसके पिता का नाम भी मेहंदी है. इसके चलते पुलिस ने बिना पूछताछ एवं जांच किए ही उसको गिरफ्तार कर हथकड़ी लगाकर थाने ले गई. अदालत ने सबूतों एवं साक्ष्यों के आधार पर न सिर्फ पुलिस को फटकार लगाई बल्कि मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं.

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चौधरी इकराम ने बताया कि वह जनवरी 2009 से दोहा में रहकर कारोबार कर रहा है. लेकिन, बीच-बीच में वह अपने बच्चों से मिलने सहारनपुर आता रहता है. कोरोना की वजह से कारोबार बंद हो गया, तो वह 2020 से सहारनपुर के कृष्णा इन्क्लेव में ही परिवार के साथ रहता है. चौधरी इकराम ने बताया कि उसने आज तक जिंदगी में कभी किसी भी प्रकार का लोन नहीं लिया है. दूसरे इकराम के गुनाह की सजा पुलिस की वजह से मुझे भुगतनी पड़ रही है. एक जैसे नाम जरूर है लेकिन मेरा पता अलग है. गिरफ्तारी होने से मेरी मानहानि हुई है.


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