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नशा मुक्त गांव को मिला 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' का सम्मान - मिरगपुर गांव को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का सम्मान

सहारनपुर जिले की देवबंद तहसील के मिरगपुर गांव को 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' का सम्मान मिला है. मिरगपुर गांव को पूरी तरह मद्यपान, धुम्रपान व मांसाहार से मुक्त होने के चलते यह तमगा मिला है. मिरगपुर गांव को मिले इस सम्मान से जिले का नाम देश और दुनिया में चमका है.

मिरगपुर गांव को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का सम्मान मिला
मिरगपुर गांव को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड का सम्मान मिला
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Published : Nov 24, 2020, 5:32 PM IST

सहारनपुर: जिले के मिरगपुर गांव को 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' का सम्मान मिला. गांव में कई वर्षों से कोई भी व्यक्ति धूम्रपान, मद्यपान या मांसाहार का सेवन नहीं करता है. मिरगपुर गांव 'नशा मुक्त गांव' के लिए देशभर में अपनी पहचान बना चुका है.

बता दें कि देवबंद तहसील क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर मिरगपुर गांव का नाम 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ है. इस उपलब्धि से गांव में खुशी की लहर है. गांव की खास बात यह है कि यहां का रहन-सहन और खान-पान बहुत ही सात्विक है. गांव में लगभग पिछले 500 वर्षों से धूम्रपान, मद्यपान आदि का सेवन नहीं होता है और न ही नशे का कोई भी सामान गांव में बेचा जाता है.

इतना ही नहीं यहां के लोगों का कहना है पिछले लगभग 500 सालों से मांस, मदिरा का सेवन और धूम्रपान जैसा कोई भी व्यसन गांव में कोई भी व्यक्ति नहीं करता है. लहसुन और प्याज तक से भी गांव के लोग परहेज रखते हैं. इसके साथ-साथ गांव को 'नशा मुक्त' बनाने में युवाओं का भी काफी योगदान रहा है. गांव के लोग बताते हैं कि यह बाबा फकीरा दास का आशीर्वाद है, जिस वजह से गांव को यह 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' जैसी बड़ी उपलब्धि मिली है.

इस गांव को पहले भी कई बार पर्यटन स्थल बनाने की मांग की गई है और हर वर्ष गांव में बाबा फकीरा दास की समाधि स्थल पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. इस उपलब्धि पर गांव के लोगों ने सांसद व विधायक का भी धन्यवाद किया है.

सहारनपुर: जिले के मिरगपुर गांव को 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' का सम्मान मिला. गांव में कई वर्षों से कोई भी व्यक्ति धूम्रपान, मद्यपान या मांसाहार का सेवन नहीं करता है. मिरगपुर गांव 'नशा मुक्त गांव' के लिए देशभर में अपनी पहचान बना चुका है.

बता दें कि देवबंद तहसील क्षेत्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर मिरगपुर गांव का नाम 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ है. इस उपलब्धि से गांव में खुशी की लहर है. गांव की खास बात यह है कि यहां का रहन-सहन और खान-पान बहुत ही सात्विक है. गांव में लगभग पिछले 500 वर्षों से धूम्रपान, मद्यपान आदि का सेवन नहीं होता है और न ही नशे का कोई भी सामान गांव में बेचा जाता है.

इतना ही नहीं यहां के लोगों का कहना है पिछले लगभग 500 सालों से मांस, मदिरा का सेवन और धूम्रपान जैसा कोई भी व्यसन गांव में कोई भी व्यक्ति नहीं करता है. लहसुन और प्याज तक से भी गांव के लोग परहेज रखते हैं. इसके साथ-साथ गांव को 'नशा मुक्त' बनाने में युवाओं का भी काफी योगदान रहा है. गांव के लोग बताते हैं कि यह बाबा फकीरा दास का आशीर्वाद है, जिस वजह से गांव को यह 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' जैसी बड़ी उपलब्धि मिली है.

इस गांव को पहले भी कई बार पर्यटन स्थल बनाने की मांग की गई है और हर वर्ष गांव में बाबा फकीरा दास की समाधि स्थल पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. इस उपलब्धि पर गांव के लोगों ने सांसद व विधायक का भी धन्यवाद किया है.

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